JHARKHAND NEWS : अफीम की खेती के खिलाफ पुलिस और ग्रामीणों का संयुक्त अभियान, नशे के सौदागरों के खिलाफ उठाए गए कड़े कदम

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DESK : झारखंड की पहचान अब न केवल अपनी वादियों और खनिज संपदा के लिए, बल्कि नशे के सौदागरों द्वारा अफीम की खेती के लिए भी होने लगी है। राज्य में बढ़ती अफीम की खेती ने गंभीर रूप धारण कर लिया था, लेकिन अब पुलिस प्रशासन और ग्रामीण एकजुट होकर इसे समाप्त करने के लिए कदम उठा रहे हैं। रांची और राज्य के 9 जिलों में खास तौर पर अफीम की खेती का प्रभाव देखने को मिल रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए पुलिस ने पहली बार अफीम के खिलाफ एक बड़ा अभियान शुरू किया है। पहले जहां अफीम की खेती के पौधों में फूल और फल आने का इंतजार किया जाता था, वहीं अब पुलिस ने अपने रणनीति को बदलते हुए छोटे पौधों के स्तर पर ही नष्ट करने का कार्य शुरू कर दिया है। बुंडू इलाके में पुलिस द्वारा अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वर्ष रांची में करीब 800 एकड़ में अफीम की खेती की गई थी, जिनमें से 400 एकड़ से अधिक भूमि पर फैली अफीम की खेती को नष्ट कर दिया गया है।

पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिससे अब कई ग्रामीण यह समझने लगे हैं कि अफीम की खेती न केवल उनके अपने भविष्य, बल्कि पूरे समाज के लिए खतरनाक है। इस जागरूकता के बाद बुंडू के रेदा इलाके के बुचाडीह गांव के ग्रामीणों ने खुद ही अपने खेतों में फैली अफीम की खेती को नष्ट करना शुरू कर दिया। ग्रामीणों का मानना है कि अफीम की खेती से उनके गांव और बच्चों का भविष्य बर्बाद हो सकता है, और इसलिए वे पुलिस के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान करने के लिए आगे बढ़े हैं। ग्राम प्रधान ने भी इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि अब ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी है, और वे अपने खेतों को नष्ट करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

झारखंड की भौगोलिक स्थिति नशे के सौदागरों के लिए उपयुक्त मानी जाती है, जिससे अफीम की खेती यहां बड़े पैमाने पर होती है। लेकिन अब पुलिस प्रशासन इस पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है। रांची के डीआईजी और एसएसपी, चंदन कुमार सिन्हा ने इस अभियान की गंभीरता को रेखांकित करते हुए बताया कि अफीम के खिलाफ अभियान लगातार जारी रहेगा और ग्रामीणों की मदद से इसे समाप्त किया जाएगा। झारखंड में अफीम की खेती के खिलाफ चल रहे अभियान में पुलिस और ग्रामीणों की साझेदारी यह साबित कर रही है कि जब समुदाय एकजुट होकर कार्य करता है, तो कोई भी समस्या हल हो सकती है। यह कदम न केवल अफीम की खेती को समाप्त करने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में नशे के प्रभावों को कम करने में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।