बिहार में पर्यटन के क्षेत्र में अधिक निवेश पर जोर : हितधारकों के साथ हुई अहम बैठक, कई होटलों के प्रतिनिधियों ने भी लिया भाग
PATNA :राज्य के पर्यटन स्थलों के आसपास नई पर्यटन नीति के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा निवेश हो, इस हेतु पर्यटन से जुड़े हितधारकों के साथ शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। पर्यटन सचिव लोकेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में पर्यटन निदेशालय सभागार में इस बैठक का आयोजन किया गया जिसमें बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के साथ राज्य के विभिन्न होटलों ताज, हयात, मरासा सरोवर, मौर्य, पनाश, लेमन ट्री आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
पर्यटन सचिव ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में विभिन्न धर्मों से संबंधित अनेक धार्मिक स्थल तथा सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक रमणीक पर्यटन स्थलों की बहुलता है। इन विविध पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए देश-विदेश से अनेक पर्यटक बिहार लगातार आते हैं। वर्ष 2023 में लगभग 8.21 करोड़ देशी-विदेशी पर्यटक द्वारा बिहार में परिभ्रमण किया गया था।
अतः यह आवश्यक है कि पर्यटकों को पर्यटन स्थलों पर मानक अनुरूप मूलभूत जन सुविधाएं उपलब्ध हो, ताकि पर्यटक बिहार से सुखद अनुभूति लेकर जायें। राज्य में पर्यटन का बेहतर माहौल बन रहा है और पर्यटन के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश हो, इसे लेकर पर्यटन नीति 2023 में कई प्रावधान किए गए हैं, इसके तहत विभिन्न योजनाओं में 30 प्रतिशत तक की सीधी सब्सिडी प्राप्त होती है। आप पर्यटन से जुड़े व्यवसायी इस नीति का लाभ उठाएं और राज्य में अधिक से अधिक निवेश करें।
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, चैंबर और होटल के प्रतिनिधियों ने पर्यटन नीति में कुछ सुझावों को शामिल करते हुए नीति में संशोधन की आवश्यकता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य में 4 स्टार होटलों के निर्माण या उन्नयन पर सब्सिडी का प्रावधान किया गया है, इस सीमा को 2 स्टार होटलों तक लाया जाए। जैसे अनुमंडल स्तर पर होटल का निर्माण करते हैं, तो उसे कम से कम 2 स्टार, जिला मुख्यालय में कम से कम 3 स्टार और पटना, गया व नालंदा में कम से कम 4 स्टार होटलों का निर्माण करने पर अनुदान का प्रावधान हो।
व्यवसायियों ने एसजीएसटी के रिइंबर्समेंट को 10 साल तक की सीमा अवधि तक ले जाने की अपील की ताकि नये व्यवसाय की शुरूआती समस्याओं से निबटने में मदद मिले। उन्होंने मांग करते हुए यह भी कहा कि पर्यटन के प्रोजेक्ट को स्टेज वन क्लियरेंस में जिन कागजातों की आवश्यकता है, उसे उद्योग नीति के समतुल्य रखा जाए और प्रोजेक्ट एक्सपैंशन करने हेतु 50 फीसदी के न्यूनतम प्रोजेक्ट कॉस्ट को घटाकर 25 फीसदी किया जाना चाहिए और इपीएफ व इएसआइ से सभी कर्मियों को लाभ देने हेतु विभागीय निदेश हो, इससे पर्यटन के क्षेत्र में निवेश की रफ्तार बढ़ेगी।
इन सभी सुझावों पर सचिव ने सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आपकी मांगों के अनुरूप सक्षम प्राधिकार से विमर्श के उपरांत इसे लागू किया जाएगा। बैठक में बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक नंदकिशोर और पर्यटन निदेशक विनय कुमार राय के साथ ही विभागीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
(पटना से नीलकमल की रिपोर्ट)