ओम बिरला पहुँचे पटना : 85वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन: बिरला करेंगे उद्घाटन,लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने पर संवाद
कशिश न्यूज डेस्क :
85वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में शामिल होने नई दिल्ली से शाम 06:45 बजे में पटना पहुंचे। हवाई अड्डे पर बिहार विधान सभा के माननीय अध्यक्ष श्री नंद किशोर यादव एवं बिहार विधान परिषद के माननीय सभापति श्री अवधेश नारायण सिंह ने उनकी आगवानी की। इस सम्मेलन में भाग लेने हेतु देश के विभिन्न विधान मंडलों के पीठासीन पदाधिकारियों एवं सचिवों का आगमन सुबह से ही होता रहा ।
पटना में कल लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला 85वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इसमें लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने पर संवाद किया जाएगा। इससे पहले आज विधायी सचिवों का सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा।
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला 20 जनवरी 2025 को बिहार की राजधानी पटना में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन करेंगे। इस दो दिवसीय सम्मेलन का मुख्य विषय ‘संविधान की 75वीं वर्षगांठ: संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने में संसद और राज्य विधायी निकायों का योगदान’ होगा।
इस ऐतिहासिक सम्मेलन में राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, बिहार सरकार के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव और अन्य गणमान्य व्यक्ति हिस्सा लेंगे। मंगलवार 21 जनवरी 2025 को बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला समापन सत्र को संबोधित करेंगे। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी, बिहार सरकार के मंत्री तथा बिहार विधानमंडल के सदस्य भी मौजूद रहेंगे।
सम्मेलन के दौरान,लोक सभा अध्यक्ष बिरला द्वारा ‘संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया’ पुस्तक के 8वें संस्करण का विमोचन किया जाएगा। यह संसदीय कार्यवाही और प्रक्रियाओं को समझने के लिए एक अद्वितीय स्रोत है।इस सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र और संविधान की जड़ों को मजबूत करना है। विशेष रूप से यह चर्चा की जाएगी कि संसद और राज्य विधानमंडल कैसे संविधान के मूल्यों को संरक्षित और सुदृढ़ कर सकते हैं।
इस मंच पर देशभर के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारी अपने विचार साझा करेंगे और नए मार्गदर्शक सिद्धांत तैयार करने में योगदान देंगे।पटना में इस सम्मेलन का आयोजन इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है। बिहार लोकतंत्र की ऐतिहासिक भूमि रही है और इस आयोजन के माध्यम से राज्य विधानमंडल के योगदान को भी नई पहचान मिलेगी।