JHARKHAND NEWS : बिरसा मुंडा रत्न अवार्ड से नवाजे गये मशहूर डॉ. यूएस वर्मा
Ranchi : रांची के फेमस होटल रेडिसन ब्लू में बिरसा मुंडा रत्न अवार्ड 2024 का आयोजन किया गया. 19 दिसंबर 2024 को ‘पुलिस पब्लिक रिपोर्टर’ के द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. समारोह में अपने-अपने क्षेत्र में परचम लहराने वाले शख्सियतों को नवाजा गया.
रांची के जाने-माने वरीय चिकित्सक डॉक्टर यूएस वर्मा को भी सम्मानित किया गया. उन्हें प्रतीक चिन्ह और मोमेंटो देकर नवाजा गया. डॉ. वर्मा ने एलोपैथिक के साथ-साथ होम्योपैथिक इलाज में भी महारत हासिल की है. असाध्य और पुराने रोगों के इलाज में इन्हें सर्वाधिक सफलता मिली है. डॉ. वर्माBAUयानी बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी तो हैं ही… साथ ही यूएस पॉलीक्लिनिक,कचहरी चौक रांची के मुख्य कार्यकारी निदेशक भी हैं. कोरोना काल में डॉक्टर वर्मा ने सच्चे कोरोना वॉरियर के रूप में अपने पूरे मेडिकल टीम के साथ करीब 30 हजार अत्यंत गंभीर पॉजिटिव लोगों का इलाज किया. अच्छी बात यह रही कि उन्होंने अपने स्वनिर्मितUV66 संजीवनी गोल्ड तथा कुछ और औषधियों से सभी रोगियों को पूर्णतः स्वस्थ करने में सफलता हासिल की. दिशोम गुरू से लेकर कईIASऔरIPSअधिकारियों का इलाज कर उन्हें स्वस्थ कर चुके हैं. डॉक्टर उमाशंकर वर्मा के इसी जज्बे को देखते हुए उन्हें पहले भी कई बार नवाजा जा चुका है.
रांची केBAUके चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ वर्मा ने मेडल हासिल करने के बाद सिर्फ इतना कहा कि उन्हें तब बेहद सुकून मिलता है,जब उनकी दवा के असर से उन्हें ढेर सारे दुआयें मिल जाती है. संसार में कुछ वैसे चीजें हैं जो इंसानों के वश में नहीं. इसमें यश और अपयश भी शामिल. मौके पर कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय और रांची विधायक सीपी सिंह समेत कई दिग्गज लोग मौजूद थे.
डॉक्टर वर्मा ने बताया कि एलोपैथिक,होम्योपैथिक,आयुर्वेदिक,युनानी सिद्धा जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां है. उसमें कुछ ना कुछ कमियां हैं,कोई भी चिकित्सा पद्धति पूर्ण नहीं है,बल्कि एक-दूसरे का बहुत हद तक पूरक है. इसमें गहन अनुसंधान की आवश्यकता है. कुछ ऐसे भी नए रोग सामने आए हैं,जिसे पूर्व में नहीं देखा गया था. एलोपैथिक इलाज ऑपरेशन,इमरजेंसी मैनेजमेंट में जहां प्रथम स्थान ग्रहण किए हुए है. वहीं पुराना,जटील,असाध्य रोग,चर्म रोग,मानसिक बीमारियों,किडनी,लिवर,हृदय,पीसीओडी,ज्वाइंट पेन,बवासीर,एनल फिशर,वायरस रोगों पर होम्योपैथी असरदार है.
19 रोज के इलाज में लौटी खोई आवाज
डॉ वर्मा ने अपने कुछ पुराने लम्हे को याद कर बताया कि उन्हें तब सबसे ज्यादा सुकून और खुशी हुई थी,जब डॉ. सैयद साकिर अली ने फोन कर उनसे बातें की. उन्हें अब भी याद है कि डॉ. सैयद की आवाज चली गई थी. देश विदेश में वर्षों इलाज कराने के बाद भी वह बोल नहीं पाये. डॉ. सैयद एक बेहतर फिजियोथैरेपिस्ट हैं और कुछ अलग कर दिखाने के चलते उन्हें राष्ट्रपति पदक भी मिला है. आवाज चले जाने से दुखी,निराश और हताश डॉ. सैयद अली उनसे इलाज कराने रांची आये. उन्होंने उनका इलाज शुरू किया. दूसरे ही दिन उनके गले में सुरसुराहट होने लगी. तीसरे ही दिन चमत्कार हुआ और डॉ. सैयद अली बोलने लगे. उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में करीब 19 रोज लग गये.
कुछ माह में चलने लगीं लकवाग्रस्त लड़कियां
वहीं रांची के अपर बाजार इलाके में रहनेवाली बबली कुमारी और अनुराधा लकवाग्रस्त होकर बेड पर यूं ही पड़ी रही. कुछ माह के इलाज में ही दोनों चलने लगी.
किडनी फेल्योर के कई मरीजों को किया चंगा
इसी तरह झारखंड सरकार के कर्मचारी श्रवण कुमार सिन्हा,कांके रोड रांची के राजन कुमार सिंह,सिमडेगा की भागीरथी श्रीवास्तव,मुंबई के धर्मेंद्र सिंह,दिल्ली के अमित कुमार मिश्रा,पूर्णिया बिहार के किशोर कुमार वर्मा,ईटीवी हैदराबाद के विनय विनीत जैसे कई लोग डॉ. वर्मा के योगदान को भूला नहीं सके हैं. इन सबकी किडनी पूरी तरह से डैमेज हो गयी थी. चंद महीनों के इलाज में सब ठीक हो गये.
डीप कोमा से भी बाहर खींच लाये कई पेशेंट को
ब्रेन हेमरेज होकर रांची के दो बड़े हॉस्पिटल के डॉक्टरों के जवाब दे देने के बाद डीप कोमा में चले गये रांची के लालपुर में रहनेवाले सिद्धार्थ कुमार साहू,झुमरीतिलैया के गुरमीत छाबड़ा,तमाड़ के शिक्षक धनंजय महतो,डालटनगंज के संजीव श्रीवास्तव,खेत मोहल्ला हिंदपीडी के सुभान खान भी ठीक ठाक होकर अपनी शेष जिंदगी बेहतर ढंग से गुजार रहे.
कई महिलाओं की भर गई सूनी गोद भरी
डॉ. वर्मा ने बताया कि निसंतान सुनीता देवी,चंदा देवी,सबीना खातून,सरिता श्रीवास्तव जब गोद में अपने बच्चे के लिये उनके चेंबर में आती हैं तो उन्हें अच्छा लगता है. उनकी इलाज से उनकी सूनी गोद भर गई.