JHARKHAND NEWS : लोहरदगा में बकरी पालन उन्नति का आधार, कृषि आधारित नगद व्यवहार और जीरो मार्केटिंग
लोहरदगा :लोहरदगा जिले के पहाड़ी इलाकों के गांवों में बकरी और गाय पालन ग्रामीणों के लिए आर्थिक समृद्धि का एक अहम जरिया बन चुका है। कृषि आधारित नगद व्यवहार और जीरो मार्केटिंग मॉडल के तहत यहां के लोग खेती के साथ-साथ पशुपालन से भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। विशेष रूप से बकरी पालन इन इलाकों में प्रचलित है, जो न केवल परिवारों की आमदनी का मुख्य स्रोत है, बल्कि रोजगार के अवसर भी उत्पन्न कर रहा है।
पारंपरिक तौर पर, लोहरदगा जिले के बंजर और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में भेड़ और बकरियों का पालन किया जाता है। हालांकि, सरकारी योजनाओं और अनुदान की कमी के कारण, इन क्षेत्रों में बकरी या मवेशी पालन के लिए कोई विशेष सहायता नहीं पहुंच पाई है। बावजूद इसके, यहां के ग्रामीण अपनी परंपराओं के अनुसार गाय और बकरी पालन करते आ रहे हैं। सुबह से शाम तक मवेशियों को चराने के बाद, ग्रामीण इन्हें घर वापस लाते हैं और खेती के साथ-साथ पशुपालन से होने वाली आय से अपने परिवार का पालन करते हैं।
नदी किनारे और पहाड़ी की तराई में बसे इन गांवों में खेती और पशुपालन जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। ग्रामीणों के लिए बकरी और गाय पालन एक स्थिर आमदनी का स्रोत बन गया है, जो उनकी रोज़ी-रोटी का आधार बन चुका है। यहाँ के लोग बकरियों से दूध, मांस और त्वचा जैसे उत्पाद प्राप्त करते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।
गांव में लगभग हर घर में गाय और बकरी पालन की जाती है, और यह अब एक जीवनशैली बन चुकी है। कृषि और पशुपालन का यह संयोजन न केवल ग्रामीणों की आजीविका को सुरक्षित रखता है, बल्कि यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ साबित हो रहा है।