नयी सरकार नयी जिम्मेवारी : बड़ा सवाल! ACS केके पाठक का कौन होगा नया बॉस..
PATNA:-बिहार में एनडीए की नयी सरकार बन गयी है,सीएम के पद पर नीतीश कुमार ही आसीन पर हैं,पर डिप्टी सीएम बदल गये हैं.पहले तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम के रूप में कार्य कर रहे थे तो अब बीजेपी नेता सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा नये डिप्टी सीएम बने हैं.कई अन्य मंत्रियों का भी शपथ हुआ है और बाकी का जल्द ही होने वाला है.मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभागों के बंटवारा होने की संभावना है.अभी सभी विभाग सीएम नीतीश कुमार के ही पास है.
पर राज्य के अधिकांश लोगों के मन में सवाल है कि कड़क आईएएस माने जाने वाले केके पाठक का बॉस कौन होगा,यानी शिक्षा विभाग का मंत्री कौन बनेगा,पहले की आरजेडी कोटे का सभी मंत्रालय बीजेपी के कोटे में आता है तो बीजेपी केके पाठक की कार्यशैली के साथ काम करने के लिए किस मंत्री को जिम्मेदारी देती है.अगर अगर 2020 की तरह शिक्षा विभाग जेडीयू कोटे में आती है तो नीतीश किस मंत्री को केके पाठक का बॉस बनाते हैं.
बताते चलें कि अगस्त 2022 से 28 जनवरी 2024 तक महागठबंधन की सरकार में अधिकांश समय शिक्षा विभाग के एसीएस के रूप में केके पाठक ने जिम्मेदारी संभाली है.उनके इस कार्यकाल में सबसे ज्यादा चर्चा केके पाठक और शिक्षा विभाग की ही हुई है चाहे वह लाखों की संख्या में बीपीएससी से शिक्षकों की नियुक्ति की हो,या फिर सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को सुधारने को लेकर केके पाठक के द्वारा निकाले गये एक के बाद एक आदेश के और उनके औचक निरीक्षण की योजना की.
उन्होंने हजारों शिक्षकों का वेतन रोकने के साथ ही लाखों छात्र-छात्राओं का स्कूल से नाम कटवाया.उनकी कार्यशैली का विरोध करने वाले उनके विभागीय मंत्री प्रोफेसर चन्द्रेशखर को आधिकांश समय साइडलाइन ही रहना पड़ा और अंत मे उनकी शिक्षा विभाग से विदाई हुई.आलोक मेहता को शिक्षा विभाग का नया बॉस बनाया गया,जिसका स्वागत केके पाठक ने गुलदस्ता देकर किया था,पर वे कुछ कर पाते उससे पहले ही सरकार गिर गयी.
गौरतलब है कि केके पाठक की कार्यशैली की खिलाफत त्ककालीन सत्ताधारी आरजेडी के कई नेता करते रहते थे.वहीं विपक्षी पार्टी के रूप में बीजेपी ने भी केके पाठक की कार्यशैली का विरोध किया था,पर सीएम नीतीश कुमार का आशीर्वाद केके पाठक को लगातार मिलता रहा.अब देखना है कि नयी सरकार में नये तेवर के साथ आयी बीजेपी केके पाठक के शिक्षा विभाग को अपने पास रखती है या फिर शिक्षा के बदले अपने पुराने वित्त विभाग पर दावा करती है.या इसके इतर केके पाठक को साइड लाइन करने का दवाब बनाती है.इस पर राजनेताओं के साथ ही सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की भी नजर रहेगी.