उपेंद्र कुशवाहा ने संजय जायसवाल पर किया पलटवार : कहा-आपके बोल हैं गोल मटोल, हमें यह बर्दाश्त नहीं

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पटना : बिहार में इन दिनों उत्तरप्रदेश इलेक्शन का इफ़ेक्ट देखने को मिल रहा है। सम्राट अशोक की औरंगजेब से तुलना पर बीजेपी कर जेडीयू के बीच बयान बाजी इस कदर आगे बढ़ चुकी है कि अब लगने लगा है कि इसका असर बिहार में चल रही एनडीए की सरकार पर भी ना पड़ जाए। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जेडीयू के खिलाफ आक्रामक रुख इख्तियार कर लिया है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने जेडीयू पर बड़ा हमला बोल दिया है तो वहीँ जेडीयू की ओर से पलटवार करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने एक लम्बा चौड़ा पत्र बिहार बीजेपी अध्यक्ष के नाम लिखा है।

पत्र में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि गठबंधन के सन्दर्भ में एवं सम्राट अशोक वाले मुद्दे पर आपका बयान देखा। पूरा बयान पढने के उपरांत मुझको लगा कि आपके बयान पर अपनी राय से मै भी आपको अवगत करा दूँ। गठबंधन के सन्दर्भ में दिए गए आपके वक्तव्य से मै पूरी तरह सहमत हूँ। गठबंधन ठीक तरह से चले, यह राज्यहित में आवश्यक है और इसे जारी रखना हमारा- आपका दोनों का कर्तव्य है।

लेकिन सम्राट अशोक के मुद्दे पर हम आपकी राय से सहमत नहीं हो सकते क्योकि इस सन्दर्भ में आपका वक्तव्य पूर्णतः गोल मटोल एवं भटकाव पैदा करने वाला है। आपने लिखा है कि आपकी पार्टी भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दास्त नहीं कर सकती। मेरा सवाल है कि आप दया प्रसाद सिन्हा के द्वारा घोर व अमर्यादित भाषा में सम्राट अशोक की औरंगजेब से की गई तुलना को इतिहास में छेड़छाड़ मानते है या नहीं?

आपने अपने वक्तव्य में कहा है कि राष्ट्रपति द्वारा दिए गए पुरस्कार की वापसी की मांग प्रधानमंत्री से करना बकवास है। मेरा आपसे दूसरा सवाल है कि मांग प्रधानमंत्री से की जाए या राष्ट्रपति से यह तो हम दोनों मिलकर तय कर लेंगे, परन्तु पहले आप साफ-साफ यह तो बताइए कि पुरस्कार वापसी की हमारी मांग का आप समर्थन करते है या नहीं ?

बिहार की सरकार आपके आवेदन पर कार्रवाई करते हुए दया प्रसाद सिन्हा को सजायाफ्ता बनाये, फिर पदमश्री पुरस्कार वापस लेने की मांग को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति जी से मिले। आपका यह वक्तव्य भी पूर्णतः भटकाव पैदा करने वाला है, क्योकि अपने वक्तव्य में आपने स्वयं इस बात का उल्लेख किया है कि पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध होने के बावजूद राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया, फिर भी आपका यह कहना कि दया प्रसाद सिन्हा को सजायाफ्ता हो जाने के बाद पुरस्कार वापसी की मांग की जाए, हास्यपद नहीं तो और क्या है?

आपके वक्तव्य से स्पष्ट है कि पुरस्कार वापसी में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है। सम्राट अशोक के प्रति अपमान जनक रूप से इतिहास को नए सिरे से परिभाषित करने के कुत्स्ति प्रयास का विरोध का इतिश्री बिहार पुलिस में एक आवेदन देकर कर लेना आपके लिए तो संभव है मगर हमारा विरोध तबतक जारी रहेगा जबतक दया प्रसाद सिन्हा का पुरस्कार वापिस नहीं हो जाता चाहे राष्ट्रपति जी करे या प्रधानमंत्री।


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