शिव पर बेलपत्र चढ़ाने से पूर्व क्यों लिखते ‘राम’ ? : आइये जानते हैं इसकी पूरी कहानी

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देवघर: अयोध्या में राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को लेकर सोमवार कोपूरा देश राममय हो गया. भगवान राम और भोलेनाथ दोनों एक दूसरे के इष्ट हैं. यानी राम ही शिव और शिव ही राम हैं. जिस प्रकार राम ने लंकापति रावण के अहंकार को समाप्त किया था उसी प्रकार मनुष्य के अंदर के अहंकार को समाप्त करने के लिए बाबाधाम में राम नाम का बेलपत्र चढ़ाया जाता है. इससे राम और शिव दोनों अपने अपने ईष्ट से मिलते हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं.

पैदल कांवर लेकर भगवान राम आये थे बाबाधाम,भोलेनाथ को अर्पित की थी गंगाजल

जानकारों के अनुसार जब रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए राम लंका जा रहे थे तब वे भोलेनाथ का जलार्पण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था. भगवान राम सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा का जल लेकर पैदल ही कांवर यात्रा कर बाबाधाम पहुँचे थे. लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए उन्होंने बाबा बैद्यनाथ का जलार्पण कर उनसे आशीर्वाद लिया था. राम को ज्ञात था कि पृथ्वी पर स्थापित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से मनोकामना लिंग देवघर में है जहां की गई कामना की पूर्ति अवश्य होती है. इसीलिए राम ने बाबा बैद्यनाथ का जलार्पण किया था.

शिव का राम से अद्भुत मिलन इस शैव स्थान को अपने आप मे खास बनाता है. देवघर के बाबा मंदिर में जिस जगह पर सती का हृदय गिरा था वहीं ज्योर्तिलिंग स्थापित है. इसकी स्थापना खुद हरि यानी विष्णु ने की थी. भोलेनाथ यानी हर का हरि से मिलन फिर राम से मिलन ही इस शिवालय को अलग बनाता है जो किसी दूसरे ज्योर्तिलिंग में नहीं सुनने को मिलता है. हरि और हर का मिलन यहाँ होलिका दहन के बाद होता है लेकिन राम नाम का मिलन प्रतिदिन होता है. जो भी भक्त या पुरोहित बेलपत्र पर राम का नाम लिखकर भोलेनाथ पर अर्पित करते हैं उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. सोमवार को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु राम नाम का बेलपत्र चढ़ा कर अपनी अपनी मनोकामना मांग रहे.


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