Bihar News : नित्यानंद राय ने कवयित्री-सम्मेलन का किया उद्घाटन, कहा : देश को एक सूत्र में बांधने के लिए एक संपर्क भाषा जरूरी
PATNA : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि संपूर्ण देश को एक सूत्र में जोड़ने और परस्पर सौहार्द बढ़ाने के लिए एक संपर्क भाषा का होना आवश्यक है। उत्तर-दक्षिण का भेद मिटाने के लिए यह बहुत ही आवश्यक है। भारत की एक राष्ट्रभाषा हो, इसके लिए बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का प्रयास सराहनीय और समर्थन योग्य है।
वर्तमान सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि ग़ैर हिन्दी प्रदेश के अधिकारी अब शिक्षकों से हिन्दी सीख रहे हैं। अब वे भी गर्व से कहते हैं कि हम हिन्दी जानते हैं। हमारी सरकार हिन्दी को इतना बढ़ावा देगी कि पूरे देश में हिन्दी के बिना किसी का कार्य नहीं चलेगा। आपको बता दे कि नित्यानंद राय ने यह बातें रविवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में विगत 1 सितम्बर से आयोजित हिन्दी पखवारा और पुस्तक चौदस मेला के 18वें दिन 'कवयित्री-सम्मेलन' का उद्घाटन करते हुए कही।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के समय इस देश में 'हिन्दी-मन' वाला कोई नेता नहीं रहा। यदि हिन्दी मन वाले किसी नेता के हाथ में भारत के हाथ में सत्ता आयी होती तो अवश्य ही देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी हो गयी होती लेकिन हिन्दी के सामने इतनी बाधाएं खड़ी कर दी गयी है कि यह कार्य कठिन हो गया है।
इसके पहले सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने नित्यानंद राय राय का उन्हें फिर से केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने पर अभिनंदन किया। उन्हें सम्मेलन की शीर्ष समिति 'स्थायी समिति' की मानद सदस्यता प्रदान की। अपने संबोधन में डॉ. सुलभ ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री से हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित करने हेतु प्रधानमंत्री तक उनकी बात पहुंचाने का आग्रह किया।
उन्होंने इस भ्रांति को दूर किया कि हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनाए जाने से भारत की किसी अन्य भाषा का कोई अहित होगा। उनका कहना था कि इससे भारत को 'अंग्रेज़ी की दासता' से मुक्ति मिलेगी तथा अन्य भारतीय भाषाओं का भी उन्नयन होगा।
इस अवसर पर बिहार विधान परिषद के सदस्य संजय मयूख, नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति संजय कुमार, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद, सम्मेलन के संरक्षक सदस्य डॉ. विनोद शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजित कवयित्री सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी वंदना से हुआ।
वरिष्ठ कवयित्री और सम्मेलन की उपाध्यक्ष डॉ. मधु वर्मा, आराधना प्रसाद, डॉ. पूनम आनन्द, डॉ. शालिनी पाण्डेय समेत कई कवयित्री ने अपनी सुमधुर काव्य रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
(पटना से नीलकमल की रिपोर्ट)