नीतीश ने बीजेपी को क्या दिया संदेश : आखिर कौन सी वजह रही कि नीतीश ने बीजेपी से ज्यादा सुबहानी पर किया भरोसा

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पटना : भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1987 बैच के टॉपर और बिहार के पूर्व विकास आयुक्त आमिर सुबहानी ने सूबे के सबसे बड़े पद मुख्य सचिव का कार्यभार संभाल लिया है . बिहार के ही सीवान जिले के निवासी और पूर्व बैंक अधिकारी रहे आमिर सुबहानी को कभी गृह सचिव से हटानेवाली भाजपा की सरकार में आज श्री सुबहानी मुख्य सचिव की कुर्सी पर बैठ गये आखिर ऐसा कैसे संभव हो पाया .

असल में बिहार में नीतीश कुमार के सत्ता संभालते ही आमिर सुबहानी की यात्रा काफी दिलचस्प रही है. 2005 में बिहार की सत्ता संभालने के बाद नीतीश ने केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से सुबहानी को वापस बुलाकर जनवरी 2006 में कंफेड का चैयरमैन बनाया और फिर 2009 में गृह सचिव .2010 में दो तिहाई बहुमत से सत्ता में आने के बाद नीतीश ने फिर उन्हें गृहसचिव बनाया जहा वे 4 वर्षो तक रहे . लेकिन नीतीश को छोड़ बिहार की सत्ता से अलग होने के बाद बीजेपी ने आमिर सुबहानी के खिलाफ मोर्चा खोला उन्हें गृह सचिव पद से बेदखल होना पड़ा. लेकिन फिर 2015 में लालू के साथ सत्ता वापसी के बाद ही नीतीश ने फिर से सुबहानी को गृहसचिव की कुरसी सौप दी.

लेकिन 2020 में फिर से बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री की कु्सी पर बैठने वाले नीतीश ने ज्यो ही सत्ता संभाली एक बार फिर सुबहानी को लेकर बीजेपी के तेवर कड़े हुए और पार्टी के विधान पार्षद संजय पासवान ने करीब 15 वर्षो से गृह सचिव की कु्सी पर बैठे सुबहानी पर सवाल खड़े किये . श्री पासवान के बयान के एक सप्ताह के अंदर ही 31 दिसंबर 2020 को राज्य में जब बड़े पैमाने पर अधिकारियो का तबादला हुआ तो आमिर सुबहानी को गृह सचिव पद से हटाया गया. उनके हटाने के बाद बीजेपी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि उनके दबाब पर यह तबादला हुआ .

लेकिन साल भर आते - आते 30 दिसंबर को राज्य सरकार ने आमिर सुबहानी को मुख्य सचिव बनाने की अधिसूचना जारी कर दी.जबकि पिछले कई महीनो से बिहार के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारो में यह चर्चा आम थी कि नीतीश आमिर सुबहानी को मुख्य सचिव बनाना चाहते है लेकिन बीजेपी किसी भी कीमत पर मानने को तैयार नही है.

ऐसे में सुबहानी का मुख्य सचिव बनना राजनीतिक गलियारो में चर्चा का विषय है कि क्या नीतीश बीजेपी से ज्यादा भरोसा सुबहानी पर करते है. यों अपने शालीन स्वभाव और ईमानदार,निर्विवाद छवि होने के कारण सुबहानी नीतीश के प्रिय पात्र अफसरो में रहे है . लेकिन बीजेपी के बल पर ही बिहार की कुर्सी पर बैठे नीतीश ने बीजेपी मांग को ठुकराकर इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया.

फिलहाल नीतीश के इस फैसले से जहां बीजेपी के कार्यकर्ता भौंचक है तो मुख्य विपक्षी राजद भी किंकर्तव्य विमूढ है. वजह साफ है जब 2020 में आमिर सुबहानी को गृह सचिव के पद से बेदखल किया गया था तब तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार ने बीजेपी के दबाब में यह फैसला लिया है. अब नीतीश के इस फैसले पर बीजेपी और विपक्षी दल के नेता चुप है.वजह साफ है नीतीश के सामने सिर्फ नीतीश की मर्जी.

अशोक मिश्रा , कशिश न्यूज.


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