अंबेडकर को साक्षी मानकर भरी मांग : दारोगा बनने के बाद प्रेमी का शादी से इंकार..पर प्रेमिका की जिद के आगे एक न चली ..

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Film story of Daroga's love, denial and marriage in Bhagalpur Film story of Daroga's love, denial and marriage in Bhagalpur

BHAGALPUR:-आमतौर पर शादियां घरों के मंडप,मंदिर या होटलों में होते हैं,पर भागलपुर में एक शादी संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर की तस्वीर के सामने हुई है,जहां दारोगा ने अपनी प्रेमिका से शादी रचाई है.इस शादी से पहले प्रेमी-प्रेमिका की प्रेम कहानी में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिलें हैं.


पूरी प्रेम कहानी की चर्चा करें तो भागलपुर जिले की वंदना और उसके प्रेमी दरोगा मनोज की प्रेम कहानी फिल्म की मशाला फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह है.इनके प्यार में कई ट्विस्ट आए, पहले प्यार फिर धोखा और फिर प्यार .प्रेमिका अपनी प्रेमी को पाने के लिए कई हदें पार की जिसके बाद अंत में उनके प्यार की जीत होती है और महिला थाना के सहयोग से प्रेमी-प्रेमिका शादी के बंधन में बंधते हैं.


दरअसल भागलपुर एकचारी टपुआ थाना का रहने वाला मनोज कुमार उर्फ गौरव कुमार वर्तमान में मुजफ्फरपुर में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं उन्होंने उसी गांव की रहने वाली वंदना कुमारी से संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को साक्षी मानकर शादी कर ली दोनों जन्म जन्मांतर के लिए एक हो गए एक तरफ जहां थाने की महिला पुलिस ने ही प्रेमिका को दुल्हन की तरह सजाया और दूसरी तरफ sc-st थाने की पुलिस ने प्रेमी को दूल्हे की तरह सेहरा पहनाया और दोनों ने बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर उनसे आशीर्वाद लेकर प्रेमी ने प्रेमिका के मांग में सिंदूर भरा और जन्म जन्मांतर के लिए एक हो गए वही महिला थाना पुलिस और sc-st पुलिस के जितने भी जवान थे सबों ने वर वधू को आशीर्वाद दिया और शगुन के तौर पर दुल्हन को पैसे भी दिए गए, चारों तरफ खुशी का माहौल रहा.थाने मे ही मिठाइयां बांटी गई लोग एक दूसरे को मुंह मीठा करवाकर शादी का जश्न मनाया।


इस प्यार का सफर इतना आसान नहीं था इस मंजिल तक दोनों प्रेमी प्रेमिका को पहुंचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, गौरतलब हो कि प्रेमिका वंदना कुमारी 16 वर्ष की जब थी तब से उसे मनोज से प्यार हो गया था और प्यार इतना हद तक बढ़ गया कि दोनों एक दूजे के लिए मरने लगे .. फिर लड़के मनोज की नौकरी पुलिस विभाग में लग गई और वह दारोगा बन गया जिसके बाद उसने लड़की से शादी करने से इनकार कर दिया. लड़की अपने प्यार को पाने के लिए हर जगह मिन्नते करने लगी यहां तक कि थाना से लेकर वरीय पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के चक्कर काटने लगी और कई मीडिया में इसकी खबरें प्रकाशित होनी शुरू हो गई. इसकी चर्चा पुलिस महकमा में भी होने लगी.अंततः प्रेमी मनोज को झुकना पड़ा और प्रेमिका की जीत हुई.

अब दोनों ने एक साथ जीने मरने की कसमें खाई और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर भागलपुर के महिला थाने में प्रेमी ने प्रेमिका की मांग में सिंदूर भरा है.दोनों ने अंतर्रजातीय विवाह किया है.बिना दहेज और अन्तर्रजातीय शादी की अब हर तरह चर्चा और तारीफ हो रही है.


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