देवघर में ऑटो चालकों ने दिखाई मानवता : भटके हुए व्यक्ति को ट्रेन से भेजा गंतव्य तक, चारों तरफ हो रही खूब सराहना

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देवघर : ऑटो चालकों पर अक्सर यात्रियों के साथ बदतमीजी और उनके सामान लेकर फरार होने जैसे कई गंभीर आरोप लगते रहते हैं. लेकिन इससे हटकर देवघर के टेंपु चालकों ने एक व्यक्ति के साथ उदारता दिखाई है. दरअसल देवघर के ऑटो चालकों ने एक भटके हुए व्यक्ति को चंदा जमा कर वापस उसको घर भेजा है. टेंपु चालकों की इस नेक काम की चारों तरफ चर्चा हो रही है.


बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला सीताराम नामक व्यक्ति गलत ट्रेन में चढ़ने के कारण भटक कर देवीपुर पहुंच गया था. सीताराम कुछ दिन पहले रोजगार के लिए एक ठेकेदार के साथ मछली मारने के लिए अपने साथियों के साथ घर से निकला था. उक्त ठेकेदार द्वारा दो दिन तक राज्य से बाहर ले जाकर इससे मछली मरवाया. फिर इसको अन्य लोगों के साथ वापस घर भेज दिया. गलती से सीताराम अपने साथियों से बिछड़ कर दूसरे ट्रेन में चढ़ गया. सीताराम के पास ना तो पैसा था, ना ही कुछ सामान ही था. सभी उसके साथी के पास था जो दूसरी ट्रेन से रायपुर की ओर रवाना हो गए थे. साथियों से बिछड़ने के बाद सीताराम दूसरी ट्रेन में चढ़ गया. टिकट नहीं रहने के कारण आरपीएफ ने उसे जसीडीह स्टेशन में उतार दिया.


जसीडीह स्टेशन से वह व्यक्ति दूसरे ट्रेन पकड़कर अपने घर जा रहा था. इसी दौरान टीटी ने बिना टिकट यात्रा करने के कारण उसे शंकरपुर स्टेशन में उतार दिया. वहां से सीताराम पैदल देवीपुर चौक पहुंचा. ठंड के मौसम में बेसुध बैठा सीताराम को देवीपुर के टेंपू चालकों ने उसकी परेशानी पूछी. तब सीताराम ने पूरी घटनाक्रम टेंपू चालकों को बताया. टेंपू चालकों ने मानवता दिखाते हुए आपस में चंदा इकट्ठा कर सीताराम को खाने-पीने की सामग्री रास्ते में ठंड ना लगे इसके लिए कंबल व 1500 रुपये नगद देकर उसे जसीडीह स्टेशन पहुंचाया. टेंपू चालकों ने ही सीताराम को टिकट कटा कर उसे ट्रेन में बैठाकर रायपुर के लिए भेज दिया. टेंपू चालकों ने जो मानवता दिखाई है उसकी चर्चा चहुओर हो रही है. सही में एकता में ही बल है, यह कहावत सीताराम के लिए किए गए टेंपू चालकों की कार्य में सटीक बैठता है. अगर टेंपू चालकों में एकता नहीं होती तो शायद सीताराम यूहीं भटकता रह सकता था.


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