पत्थरबाजों के बैनर पोस्टर पर सियासत : राज्यपाल के आदेश पर पुलिस ने लगाया पोस्टर, सरकार ने SSP से मांगा जवाब
रांची : खबर है रांची से जहां पुलिस विभाग की कार्रवाई पर हड़कंप मचा है। यूपी पुलिस की तर्ज पर चलते हुए झारखण्ड पुलिस ने हिंसा में शामिल उपद्रवियों का पोस्टर जारी किया तो अब इस पर सूबे की सरकार ने ही सवाल खड़ा कर दिया है। गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने रांची SSP से इस सम्बन्ध में जवाब तलब किया है।
दरअसल गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरूण एक्का ने रांची के एसएसपी सुरेन्द्र कुमार झा को 10 जून को रांची में हुई हिंसा और पत्थरबाजी में शामिल उपद्रवियों के फोटो सहित पोस्टर जो कि 14 जून को लगाए गए थे इस सम्बन्ध में स्पष्टीकरण मांग लिया है।
उन्होंने बताया कि यह विधिसम्मत नहीं है और माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा पी.आई.एल. संख्या-532/2020 में दिनाक 09.03.2020 को पारित न्यायादेश के विरूद्ध है। उपरोक्त पारित आदेश में माननीय न्यायालय द्वारा सड़क किनारे लगे बैनरों को तत्काल हटाने के निर्देश दिए गए थे। मामला और कुछ नहीं बल्कि लोगों की निजता में एक अनुचित हस्तक्षेप है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
आपको बता दें कि राज्यपाल रमेश बैस ने 13 जून को डीजीपी और अन्य आला अधिकारियों को राजभवन बुलाकर हिंसा की जानकारी ली थी। साथ ही पूछा था कि घटना को लेकर उनके पास क्या इंटेलिजेंस इनपुट थे और इसके आधार पर प्रिवेंटिव एक्शन क्यों नहीं लिया गया था। राज्यपाल ने हिंसा और उपद्रव करने वाले लोगों की पहचान कर उनके पोस्टर शहर के प्रमुख स्थान पर लगाने का निर्देश दिया था।
अब मामला सामने आते ही सूबे में सियासत शुरू हो गई है। एक तरफ विपक्षी दल भाजपा के प्रवक्ता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सरकार का गृह मंत्रालय और रांची पुलिस आपस में पोस्टर-पोस्टर खेलकर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल 10 जून को जिस तरीके से एक खास समुदाय के द्वारा राजधानी रांची में उपद्रव किया गया। उस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए गृह विभाग द्वारा ऐसी कार्यवाही की जा रही है , आखिर जब पोस्टर जारी किए गए थे पोस्टर लगाया जा रहा था उससे पहले गृह विभाग ने पोस्टर क्यों लगाने से नहीं रोका। इन सब प्रकरण से यही पता चलता है कि मुख्य मुद्दे से भटकाने के लिए तमाम चीजें की जा रही है।
वही सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि गृह मंत्रालय का हस्तक्षेप बिल्कुल जायज है। यहां योगी मॉडल नहीं चलेगा यहां हेमंत मॉडल चलेगा। हेमंत मॉडल की सराहना पूरे देश भर में कोरोना के काल में किए गए कार्यों के लिए की गई थी। सांप्रदायिक सौहार्द को बनाकर रखना हमारी जिम्मेदारी है सरकार की जिम्मेदारी है।