त्रिकुट रोपवे हादसे का आज एक साल पूरा : देश का सबसे कठिन रेस्क्यू ऑपरेशन में 3 की हुई थी मौत, ज़मीन से 800 मीटर ऊपर हवा में लटकी थी 48 की जान

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देवघर : आज ही के दिन 10 अप्रैल 2022 चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को चारों तरफ सिर्फ रामनवमी की धूम मची हुई थी. सारा दिन जय श्रीराम के नारों से पूरा वातावरण गूंज रहा था. तभी अचानक देवघर के वातावरण में चीखने-पुकारने और बचाओ बचाओ की आवाज सुनाई पड़ने लगी. यह चीख देवघर के त्रिकुट पहाड़ पर बने झारखंड का एक मात्र रोपवे से आ रही थी.

दरअसल रामनवमी के अवसर पर बड़ी संख्या में पर्यटक त्रिकुट पर्वत स्थित मंदिर में पूजा अर्चना के साथ रोपवे का आनंद उठाने प्रत्येक साल आते हैं. पिछले साल भी पर्यटक आए थे.सैकड़ों पर्यटकों ने रोपवे का आनंद भी उठाया. लेकिन 48 पर्यटकों की किस्मत ही खराब थी कि शाम के समय जब जमीन से 800 मीटर ऊपर से रोपवे के कैबिन में बैठाकर ऊतारा जा रहा था. तभी रोप टूट कर अलग हो गया. इससे रोपवे का संचालन ठप हो गया. रोपवे कैबिन जहां तहां लटक गई. इसी बीच जमीन से 15 फीट ऊपर से एक कैबिन टूट कर नीचे गिर गया था. इसमें सवार 1 महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. बाकी 48 पर्यटक जमीन से 800 मीटर ऊपर हवा में लटके हुए थे. जिंदगी और मौत से जूझ रहे पर्यटक सिर्फ भगवान का नाम ले रहे थे.

जिला प्रशासन को सूचना मिलते ही उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री तुरंत घटना स्थल पहुंच वस्तु स्थिति की जानकारी ली. उपायुक्त को उस समय उनको अपनी तकनीकी पढ़ाई का लाभ मिला. त्रिकुट रोपवे पहुंचते ही उपायुक्त ने समझ लिया की इसमें सेना की मदद की आवश्यकता होगी. रातों रात इसकी जानकारी झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन सहित अपने आलाधिकारियों को दी. सरकार ने भी उस समय तुरंत सेना से मदद मांगी. अगले दिन सोमवार को वायुसेना, आटीबीपी,सेना,एनडीआरएफ की टीम घटना स्थल पर पहुंच पहले तो पूरे क्षेत्र की जानकारी ली. फिर शुरु हुआ देश का सबसे खतरनाक रेस्कयू आपरेशन जिंदगी. गर्व होनी चाहिए देश की सेना पर जिन्होंने हवा में झुलती पर्यटकों की जिंदगी को एयरलिफ्ट कर एक-एक को बचाया. इस ऑपरेशन में कुछ तकनीकी खामियां की वजह से एयरलिफ्ट के दौरान दो पर्यटकों की मौत हो गई थी. लेकिन ऑपरेशन जिंदगी में सेना की तारीफ हर ओर गुंज रहा था. पूरे देश की नजर इस कठिन ऑपरेशन पर टिकी हुई थी. झारखंड के सीएम हो या देश के पीएम सभी कोई इस ऑपरेशन की सफलता के लिए कामना कर रहे थे. सेना के लिए यह सबसे कठिन ऑपरेशन माना गया है. हवा में एक तार पर लटकी जिंदगी करीब जमीन तल से 800 मीटर ऊपर, एक तो प्राकृतिक हवा से रोपवे कैबिन हिल रहा था ऊपर से दो दो हेलिकॉप्टर के पंखी का दवाव. अगर इस दौरान एक भी इंच या हवा का तेज दबाब होता तो कईयों की जान जा सकती थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सेना ने सूझबूझ और अपने कर्तव्यों के द्वारा एक-एक कर सभी को सकुशल एयरलिफ्ट रेस्क्यू कर उनके चेहरे सहित उनके परिवार में खुशी ला दी. पूरे 46 घंटे तक चली आपरेशन जिंदगी के पूरा होने तक जिला के डीसी,एसपी लगातार वहीं डटे रहे थे. झारखंड सरकार के मंत्री जगरनाथ महतो जिनका हाल ही में निधन हुआ है, मंत्री हाफीजुल अंसारी सहित झारखंड सरकार के कई आईएएस,आईपीएस लगातार घटना स्थल पर पहुंच कर स्थिति की जानकारी ले रहे थे.

10 अप्रैल 2022 को हुए रोपवे हादसा के बाद यहाँ रोपवे का संचालन बंद है. देवघर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग के jtdc ने कोलकाता की कंपनी दामोदर रोपवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को इसका संचालन और देखरेख का जिम्मा 2009 में दिया था. लेकिन पिछले साल हुए हादसे के बाद यह रोपवे बंद होने के कारण यहां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हज़ारों लोगों की रोजी रोटी पर आफत हो गई. पर्यटकों के भरोसे गुजर बसर करने वाले लोग यहां से पलायन कर दूसरे प्रदेश चले गए हैं. प्रकृति की गोद में बसे त्रिकुट रोपवे के नहीं संचालन से सरकार को भी राजस्व का हानि हो रहा है. हादसे के बाद इसको लेकर सरकार ने एक उच्चस्तरीय जांच कमिटी भी गठित की जिनके द्वारा रिपोर्ट भी सौंप दिया गया है. लेकिन इसके संचालन पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. झारखंड के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन का गृह जिला होने के कारण स्थानीय लोगों द्वारा इसका संचालन फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है. किसी जमाने में पर्यटकों से गुलजार रहने वाला त्रिकुट पर्वत आज वीरानी का दंश झेल रहा है.खैर आज के ही दिन एक वर्ष पूर्व हुए हादसे की याद आज भी स्मरण होने पर रोंगटे खड़े हो जाते हैं.


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