रेलयात्रा सुगम बनाने की कवायद : रांची रेल मंडल के 23 जोड़ी ट्रेनों को एलएचबी( Linke Hofmann Bush) कोच में किया गया परिवर्तित

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रांची:ट्रेन यातायात को सुगम और आधुनिक बनाने की कवायद रेलवे की ओर से लगातार किया जा रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट हो या फिर रेल पटरियों का विस्तारीकरण रेलवे का इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है. साथ ही ट्रेन के बोगियों और कोच में भी कई परिवर्तन किए जा रहे हैं. पूरे देश के साथ रांची रेल मंडल के ट्रेनों को भी एलएचबी(Linke Hofmann Bush)कोच में परिवर्तित किया जा रहा है.

गांव कस्बों से लेकर महानगरों के बीच पटरियों पर दौड़ती हुई रेलगाड़ी भारतीय जनजीवन का एक अहम हिस्सा है. हम सभी ट्रेन में सफर तो करते हैं. लेकिन उससे जुड़ी कुछ ऐसी बातें होती है . जिन्हें हम नहीं जानते हैं . भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है. हर दिन लाखों यात्री इस सुगम यातायात माध्यम से सफर करते हैं. रेलवे की ओर से लगातार रेल यात्रा को सुगम बनाने के लिए कवायद की जा रही है. इसी के तहत देश के विभिन्न रेल मंडल अपने ट्रेनों को एलएचबी कोच में तब्दील करने की दिशा में लगातार काम कर रही है. इसी कड़ी में रांची रेल मंडल भी इस दिशा में कदम उठाया है. बताते चलें कि कोविड संक्रमण के पहले दक्षिण पूर्वी रेलवे के रांची रेल मंडल से कुल 66 जोड़ी ट्रेनें संचालित होती थी. इसमें मेल एक्सप्रेस 48 जोड़ी और पैसेंजर ट्रेनें 18 जोड़ी है. वर्तमान में मंडल की ओर से 43 जोड़ी मेल एक्सप्रेस और 12 जोड़ी पैसेंजर ट्रेन चलाई जा रही है और 4 जोड़ी नई ट्रेनें भी शुरू हुई है. वर्तमान में कुल 59 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन हो रहा है. अब तक मंडल की ओर से 23 जोड़ी ट्रेनों को एलएचबी(LHB)कोच में परिवर्तित कर दिया गया है. जिससे यात्रियों को पहले की तुलना में ज्यादा आरामदेह और सुरक्षित यात्रा का अनुभव हो रहा है.

इंजन के साथ लगने वाली लाल रंग के कोच को लिंक हॉफमेन बुश(Linke Hofmann Busch) LHBकोच कहा जाता है. यह कोच जर्मनी से वर्ष 2000 में भारत लाया गया था. फिलहाल इसकी फैक्ट्री कपूरथला पंजाब में स्थित है . यह कोच अल्मुनियम से बनाए जाते हैं. इस वजह से यह हल्का होता है . इन कोचों में डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है. इन की अधिकतम रफ्तार की सीमा 200 किलोमीटर प्रति घंटे होती है . इस में बैठने की क्षमता भी ज्यादा होती है.

गौरतलब है कि पहले एलएचबी कोच का उपयोग सिर्फ एक्सप्रेस,शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस जैसी तेज गति से चलने वाली ट्रेनों में किया जाता था. लेकिन बाद में भारतीय रेलवे ने सभी आईसीएफ(Integral Coach Factory ) ICFकोच को जल्द से जल्द में अपग्रेड करने का फैसला किया है. एलएचबी कोच सुरक्षा,गति क्षमता,आराम मामलों में नीले रंग के आईसीएफ(Integral Coach Factory)कोच से बेहतर है. नीले रंग के आईसीएफ कोच लोहे से बनाए जाते हैं इसकी वजन भी अधिक होता है. इसमें एयर ब्रेक का प्रयोग होता है. इसकी अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. बैठने की क्षमता भी एलएचबी कोच से कम ही होता है. दुर्घटना के दौरान भी आईसीएफ कोच के डिब्बे एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाता है. लेकिन एलएचबी कोच एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं. रांची रेल मंडल अपने सभी ट्रेनों को एलएचबी कोच में तब्दील करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. यात्री सुविधा के मद्देनजर मंडल की ओर से रेलवे के निर्देश पर यह कदम उठाया जा रहा है.


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