लोकसभा चुनाव 2024 : गोड्डा में निर्दलीय प्रत्याशी अभिषेक झा ने किया नामांकन, अपनी जीत का किया दावा
देवघर : झारखंड का सबसे हॉट सीट गोड्डा लोकसभा का चुनाव इस बार दिलचस्प देखने को मिल सकता है. एक तरफ लगातार चौथी बार सांसद बनने के लिए भाजपा के निशिकांत दुबे मैदान में पसीना बहा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के कांग्रेस कोटे के उम्मीदवार प्रदीप यादव चुनाव प्रचार में लगे हैं. निशिकांत दुबे ने10को जबकि13मई को प्रदीप यादव ने अपना अपना नामांकन दाखिल किया है.
गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला थी लेकिन अभिषेक आनंद झा के नामांकन दाखिल करने से अब मुकाबला में ट्वीस्ट देखने को मिल सकता है. अभिषेक झा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आज गोड्डा समाहरणालय में निर्वाची पदाधिकारी सह उपायुक्त के समक्ष अपना नामांकन दाखिल किया. अभिषेक झा एक समय में निशिकांत दुबे के बहुत करीबी थे. लेकिन अब वो इनके विरुद्ध चुनाव लड़ेंगे. नामांकन के बाद अभिषेक झा ने अपनी जीत का दावा किया. नामांकन के लिए देवघर से गाड़ियों के काफिला के साथ गोड्डा पहुँचने पर क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. नामांकन के बाद गोड्डा के मेला मैदान में एक जनसभा का भी आयोजन किया गया.
कौन है अभिषेक झा और कैसे चुनावी समीकरण को बिगाड़ सकते हैं
एकीकृत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके पंडित बिनोदानंद झा के प्रपौत्र अभिषेक झा हैं . राजनीति विरासत में इन्हें मिली है. इनके दादा कृष्णानंद झा भी संयुक्त बिहार में मंत्री रह चुके हैं . कांग्रेस खानदान से ताल्लुक रखने वाले अभिषेक झा इस बार गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. ब्राह्मण समाज से आने वाले अभिषेक झा की पकड़ इस समाज में बहुत ज्यादा हैं. एक कारोबारी के तौर पर भी अभिषेक झा की पहचान है. यही कारण है की दलित,सवर्णऔर वैश्य समाज में भी इनकी पकड़ मजबूत है.2009में सांसद निशिकांत दुबे के बहुत करीबी आए. तब सांसद के प्रयास से इन्हें भाजपा ने मधुपुर से अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन वह चुनाव हार गए. फिर भी2009से लेकर2023तक अभिषेक झा ने सांसद का साथ नहीं छोड़ा और उनके हर चुनाव में बढ़ चढ़ कर भाग लिया. लेकिन इस बार अभिषेक झा निशिकांत के विरुद्ध चुनावी मैदान में ताल ठोक दिया है. इसके पीछे कारण माना जा रहा है जमीन. देवघर का एक विवादित जमीन के सिलसिले में पिछले दिनोंedकी कार्रवाई कई जगहों पर हुई थी जिसमें अभिषेक झा भी शामिल है. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि निशिकांत दुबे के इशारे पर यह सब हुआ है. इसी मामले को लेकर अभिषेक झा ने निशिकांत दुबे से दूरी बना ली है.
किसके पक्ष से बैटिंग कर रहे या फिर चुनाव जीतेंगे
गोड्डा लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहाँ18-18प्रतिशत यादव,मुस्लिम और सवर्ण है जबकि16प्रतिशत वैश्य,12प्रतिशत हरिजन,10प्रतिशत आदिवासी और8प्रतिशत में अन्य समाज के मतदाता हैं. पिछले चुनाव की बात करें तो मोदी लहर में भाजपा को सभी जाति और समाज ने भरपूर समर्थन किया था. लेकिन इस बार के चुनाव में यादव समाज से प्रदीप यादव,मुस्लिम समाज से ओवेसी की पार्टीaimimका उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहा है जो मुस्लिम समुदाय से आते हैं.
अब निशिकांत दुबे और अभिषेक झा दोनों ब्राह्मण समाज से हैं. यादव, मुस्लिम और सवर्ण बहुल क्षेत्र होने के कारण सभी उम्मीदवारों के लिए हरिजन और आदिवासी मतदाता संजीवनी साबित होंगे. जो उम्मीदवार हरिजन और आदिवासी को अपने पक्ष में रीझा लेंगे संभावना है उन्ही की जीत हो सकती है. ऐसे में अभिषेक झा का जो समीकरण है वो भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़ेंगे. जाहिर है इससे भाजपा इस सीट पर कमजोर होगी. लेकिन चाणक्य निशिकांत दुबे की राजनीतिक चाल में अगर फंस गए तो कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी. दूसरी ओर यह कयास लगाया जा रहा है कि अभिषेक झा भाजपा को कमजोर करने और कांग्रेस को जीताने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं. अब देखना होगा कि 4 जून को बाज़ी किसके हाथ लगती है. गोड्डा में मतदान 1 जून को होना है.