2 लाख का ईनामी नक्सली ढेर : चाईबासा पुलिस और सीआरपीएफ की टीम ने मुठभेड़ के दौरान मार गिराया
चाईबासा :नक्सलियों के खिलाफ झारखंड पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। चाईबासा पुलिस और सीआरपीएफ की टीम ने पीएलएफआई संगठन के दो लाख रुपए का ईनामी कुख्यात नक्सली एरिया कमांडर मंगरा लुगुन को मुठभेड़ में मार गिराया है. उसके पास से हथियार और अन्य सामान बरामद किया गया है.
एसपी ने क्या कहा
मामले की जानकरी देते हुए चाईबासा एसपी अजय लिंडा ने बताया कि गोईलकेरा थाना अन्तर्गत लेपा,रेड़दा क्षेत्र के जंगल में मंगरा लुगुन रहता था. वहां आज गुरुवार की सुबह पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ के बाद एक नक्सली का शव बरामद किया गया है।उसके पास सेहथियार,पीट्ठू आदि सामान भी बरामद किया गया है.इस शव को मंगरा लुगुन बताया जा रहा है जो इस इलाके में दहशत का पर्याय था.
इसका नवंबर में दिनेश गोप दस्ते के साथ दो बार मुठभेड़ हुई थी,जिसमें 26 नवम्बर की मुठभेड़ के बाद दिनेश गोप गुदड़ी के जंगलों में भाग निकला था,लेकिन मंगरा लुगुन छोटी टीम के साथ इसी जंगल में रूक गया था.
AK-47लेकर घूमता था मंगरा
उल्लेखनीय है कि 16 नवम्बर को ही मंगरा लुगुन के बारे में जानकारी मिली थी कि वह आधा दर्जन नक्सली के साथ इस इलाके में रह रहा है और मंगरा स्वयं एके-47 राइफल लेकर चलता है. वह गोइलकेरा थाना क्षेत्र के सारुगाड़ा जंगल में पिछले कुछ दिनों से निरंतर सक्रिय था.
मिली जानकीर के अनुसार मंगरा लुगुन का मुख्य उद्देश्य विकास योजनाओं को करने वाले ठेकेदारों,हब्बा-डब्बा जैसे जुआ खेल कराने वाले संचालकों,बालू घाट संचालकों आदि को डरा-धमका कर लेवी वसूलना था. वह हत्या आदि जैसी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देता था.
चंद्रमोहन तिर्की की हत्या में था शामिल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते महीने गोइलकेरा थाना अंतर्गत हब्बा-डब्बा जुआ खेल संचालक दलकी गांव निवासी चन्द्रमोहन तिर्की की गोली मारकर हत्या मंगरा लुगुन के इशारे पर ही की गई थी. मंगरा के दस्ते के लोगों ने उसे घर से बुलाया और उसकी हत्या कर दी थी. चन्द्रमोहन दलकी गांव में हब्बा-डब्बा जुआ का संचालन व बालू का कारोबार भी करता था,लेकिन उसने मंगरा लुगुन को लेवी नहीं दिया था. इस गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कायदा गांव के समीप लगने वाले साप्ताहिक हाट में भी हब्बा-डब्बा का संचालन होता था. वहां पूर्व में पुलिस ने छापेमारी की थी.
लेवी वसूली से कमाई
इसके संचालकों से मंगरा लुगुन लेवी उगाही करता था. इस छापेमारी के बाद मंगरा को लगा कि चन्द्रमोहन के कहने पर ही पुलिस ने यहां छापेमारी की है,जिससे उसे लेवी मिलना बंद हो गया था. दूसरी ओर,भरडीहा बालू घाट के संचालकों से हर माह 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक लेवी वसूलता था. यहां भी पुलिस ने इसे कई बार दबोचने का प्रयास किया,लेकिन वह इतना शातिर था कि वह स्वयं बालू घाट पर नहीं पहुंच सारुगाड़ा क्षेत्र में शरण लेकर वहां से अपने लोगों को लेवी का पैसा लेने भेज देता था.