JHARKHAND ELECTION 2024 : देवघर एसपी को हटाए जाने के मामले में इंडिया गठबंधन प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग में की शिकायत दर्ज
रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले देवघर एसपी को हटाए जाने के मामले को लेकर इंडिया गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, कांग्रेस से विनय सिन्हा दीपू , राजद से कैलाश यादव एवं भाकपा माले से कॉमरेड शुभेंदु सेन ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता की.
झामुमो महासचिव सुप्रीमो भट्टाचार्य ने कहा कि भारत चुनाव आयोग को कुछ आपत्ति दर्ज की. अचानक से फरमान आया कि देवघर के एसपी को वहां से स्थानांतरित कर दिया गया. रांची के डीसी मंजूनाथ भजंत्री को भी स्थानांतरित कर दिया गया. निशिकांत दुबे ने इन दोनों व्यक्तियों पर लोकसभा चुनाव के तौर पर सवाल खड़े किए थे. एक प्रत्याशी के तौर पर किसी अधिकारी से दिक्कत हो तो उस पर सवाल खड़ा कर सकते हैं. हमें उस पर कोई आपत्ति नहीं है. अब निशिकांत दुबे कुछ नहीं हैं. अब यह साफ है कि आदिवासी और दलित को उनके पद से हटाया जाए, बीजेपी ऐसा चाहती है. अभी संताल में सोहराई, गुरु परब है और कई पर्व हैं. उन्होंने कहा कि इस चुनाव को बीच में कराया गया ताकि प्रशासन को पंगु बनाया जाए. अभी जो पुलिस और प्रशासन के लोग हैं वो सब छुट्टी लेते हैं. वैसे समय में पूरे सामाजिक व्यवस्था, आस्था पर निशाना साधा जा रहा है. पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को होना है. यहां चुनाव हो रहा है जमशेदपुर और रांची से लोग बिहार और यूपी जाते हैं और वो वापस नहीं आ पाएंगे. किस तरह से बीजेपी को मौका मिले. एक सीएम अपने राज्य को छोड़ कर यह दिवाली मनाता है. यह दर्शाता है कि कितना दिवाला पन है बीजेपी में. एक सीएम ट्वीट करता है कि हेमंत सोरेन के उम्र 5 साल में 7 साल कैसे बढ़ गया. हमारा जो उम्र का बेसलाइन एक जन्म प्रमाण पत्र और मैट्रिक सर्टिफिकेट को माना गया है जबकि इनको मालूम नहीं है कि उनके नामांकन को स्वीकार कर लिया गया है. नामांकन स्वीकृत होने के बाद चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा नहीं होगी. ऐसा बचपन इन्होंने कोडरमा में भी किया था. यह सब चुनाव आयोग एक पक्षीय काम कर रहा है और उनके साथ सांठगांठ साफ दिख रहा है.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यहां एक जुमला चलता था. जब पीएम और गृह मंत्री जिक्र करते थे उस पर आयकर विभाग का कोई मामला सामने नहीं आया. लेकिन एक विधानसभा के एक स्कूल में सवा सौ करोड रुपए मिले. अगर स्कूल में सवा सौ करोड़ है तो इस विधानसभा क्षेत्र में यूनिवर्सिटी में कितना पैसा होगा. स्कूल का ट्रांजैक्शन और बच्चों का जो ट्यूशन फीस है वो ऑनलाइन जमा होते हैं वहां इतने पैसे मिलने का क्या सूत्र है. अगर एक कार्यकर्ता के पास एक क्षेत्र चुनाव में खर्च करने के लिए इसमें पैसे हैं तो पूरे राज्य में खर्च करने के लिए कितने पैसे हैं. बाबूलाल मरांडी और हिमंता विस्वा सरमा को अब स्पष्ट करना चाहिए कि मदन सिंह नाम का उनका कार्यकर्ता इतने पैसे ले कर क्या कर रहा था.