जगदानंद का नीतीश को खुला आफर ! : क्या नीतीश फिर छोड़ेगें बीजेपी का साथ, फिर थामेंगें लालू का हाथ

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पटना : कहावत है कि राजनीति में ना कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है और ना दुश्मन ही. राजनीति के दो दुश्मन कब एक साथ आ जायें कुछ कहा नही जा सकता .बिहार में नये साल की शुरूआत के साथ ही यह नजारा तब देखने को मिला जब गुरूवार को राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को साथ आने का खुला आफर दे दिया . इतना ही नही जगदानंद ने यह भी एलान किया कि अगर नीतीश बीजेपी को छोड़ते है तो सरकार पर आने वाले संकट से निपटने के लिये राजद नीतीश के साथ खड़ी रहेगी . यानि सरकार को गिरने नही दिया जायेगा.

हालांकि जगदानंद ने नीतीश के साथ आने के लिये जातीय जनगणना और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग का बहाना बनाया है. इस पी सी में जगदानंद यहीं नही रूके उन्होनें यहां तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सलाह दे डाली कि जातीय जनगणना और विशेष राज्य के दर्जे की मांग के खिलाफ बयान देने वाले बीजेपी कोटे के मंत्रियो को तुरंत कैबिनेट से बर्खास्त भी करें.

ये इशारा क्या कहता है -

जगदानंद सिंह के द्वारा अचानक पीसी कर नीतीश को खुला आफर दिये जाने से राजनीतिक हलको में हड़कंप मच गया है. एक तरफ राजद से मिले आफर पर जद यू ने सधी प्रतिक्रिया दी है तो एन डी ए की सहयोगी हम ने भी नीतीश को इन दोनो मुद्दो पर गठबंधन की परवाह नही करने की सलाह दी है.

जद यू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने राजद के आफर पर खुशी जतायी है और कहा है कि हमे खुशी है कि वह हमारे साथ है. जबकि पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार और अभिषेक झा ने कहा है कि जद यू अपने स्टैंणड पर कायम है और पीछे हटने का सवाल नही है. जद यू प्रवक्ताओं की मांने तो सभी दलो की बैठक होना अभी बाकी है. दूसरी तरफ हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि जो जातीय जनगणना में साथ नही दे उससे गठबंधन तोड़ने में भी कोई हर्ज नही है. जबकि बीजेपी ने राजद के आफर को दिवा स्वप्न करार दिया है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल और अरविंद सिंह ने कहा कि तेजस्वी बेरोजगार हा गये है और उन्होनें मान लिया कि वे कभी सी एम बनने वाले नही जैसा कि उनके मामा साधु यादव ने खुद कहा है.बीजेपी प्रवक्ताओं ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री की बिहार पर विशेष नजर रही है और यही वजह है कि बिहार को 1 लाख 25 हजार करोड़ का विशेष पैकेज मिला है.

जगदानंद के बयान पर बयानबाजी जो भी हो लेकिन सवाल यह है कि आखिर नीतीश के धुर राजनीतिक विरोधी जगदानंद सिंह को एकाएक नीतीश के समर्थन मे बयान देने की जरूरत क्या थी . जबकि एक दिन पहले बुधवार को राजद ने विधान परिषद की 24 सीटो पर होने वाले चुनाव की तैयारी के लिये बैठक की थी और नीतीश के खिलाफ मैदान में पहलवान उतारने की रणनीति बनायी थी.क्या एक रणनीति के तहत राजद नीतीश को खुला आफर देकर यह संदेश देना चाहती है कि अगर जातीय जनगणनणा और विशेष राज्य के दरजे पर गंभीर है तो बीजेपी का साथ छोड़िये हम आपके साथ है और हम पुराने सारी बातो को भूलने को तैयार है या फिर राजद महागठबंधन के अपने सहयोगियो कांग्रेस और वामपंथी दलो को संदेश देना चाहती है जो बीजेपी की तरह ही राजद के साथ इन दोनो मांगो पर पूरी तरह गंभीर नही है.ऐसे में इन पर दबाब बनाने के लिये कि राजद को नीतीश के साथ जाने से गुरेज नही .यानि एक तीर से दो निशाना .

लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर नीतीश क्या करेगें. क्या वे फिर बीजेपी का साथ छोड़ेगें या लालू का हाथ थामेंगें. जबकि केन्द्र सरकार ने साफ तौर पर कह दिया है कि भले ही वह जातीय जनगणना नही करायेगी लेकिन राज्य सरकार अपने संसाधन पर इसे करवा सकती है.इसका संकेत नीतीश ने पहले दिया भी है कि अगर सभी दलो में सहमति होगी तो राज्य सरकार खुद अपने स्तर से जातीय जनगणना करायेगी . जहा तक विशेष राज्य के दर्जे का सवाल है तो बीजेपी के नेता भी मान रहे हैं कि केन्द्र सरकार के विशेष सहयोग के बिना बिहार विकसित राज्यो की श्रेणी में नही आ सकता . ऐसे में विशेष राज्य के दर्जे की मांग के बहाने नीतीश फिलहाल बीजेपी का साथ छोड़े दें यह शायद संभव नही.

लेकिन राजद के खुले आफर से जद यू की बांछे खिली हुई है और उन्हें इंतजार है कि आखिर उनके नेता नीतीश कौन सा कदम उठाते हैं.

अशोक मिश्रा , कशिश न्यूज.


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