देवघर में तंत्र विद्या पर मां दुर्गा की होती पूजा : नवरात्र में श्रद्धालुओं के लिए 3 दिनों तक 3 मंदिर का कपाट रहता है बंद, जानिये वजह

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देवघर : देश के प्रसिद्ध 52 शक्तिपीठों में देवघर भी एक है. ऐसी मान्यता है कि माता सती का हृदय यहां गिरा था और तब से इसकी मान्यता एक शक्तिपीठ के रुप में की जाती रही है. यही कारण है कि नवरात्र के अवसर पर बाबा मंदिर में मां दुर्गा की भी विशेष पूजा की जाती है.



पौराणिक परंपरा के अनुसार देवघर में तंत्र विद्या के आधार पर मां की पूजा की जाती रही है और उसी रिति-रिवाज से आज भी मां की पूजा की जाती है. खासकर नवरात्रा के अंतिम तीन दिन मां पार्वती,मां संध्या और मां काली की पूरे तांत्रिक विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है.

आम श्रद्धालुओं के लिए हो जाता है पट बंद

बाबा मंदिर प्रांगण में 22 मंदिर है. मुख्य मंदिर जहाँ माता सती के साथ भोले बाबा विराजमान हैं. उसके चारों तरफ शक्ति रूपी देवी स्थापित हैं. बाबा के सामने पार्वती मंदिर से जाना जाने वाला मंदिर में त्रिपुर सुंदरी हैं बाई ओर माँ संध्या पीछे की ओर बगलामुखी और दाएं माँ काली हैं. नवरात्र के महा सप्तमी,महा अष्टमी और महा नवमी के दिन माँ पार्वती,संध्या और काली मंदिर में सिर्फ तंत्र विद्या से पूजा उस मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा की जाती है. इस तीन दिन तक आम श्रद्धालुओं के लिए तीनों मंदिर का पट बंद रहता है. बताया जा रहा है कि इस दौरान विश्व कल्याणार्थ के लिए पुरानी परंपरा के तहत तंत्र विधान से सिर्फ पूजा की जाती है.

देवघर में एक भी साधक अपने तंत्र विद्या को नहीं कर सकते हैं सिद्ध

माता सती का जिस स्थान पर हृदय गिरा था उसी स्थान पर ज्योर्तिलिंग की स्थापना की गई है. खुद विष्णु द्वारा इसकी स्थापना करने की बात जानकर बताते हैं. माता सती का हृदय यही जलाया गया था. इसलिए इसे चिता भूमि भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहाँ कोई भी साधक अपनी तंत्र विद्या की सिद्धि प्राप्त नहीं कर सकते. शक्तिपीठ,हृदयापीठ,चिता भूमि होने के कारण कई बड़े बड़े तांत्रिक यहाँ अपनी तंत्र विद्याओं की सिद्धि के लिए आये लेकिन चिताभूमि होने के कारण यहां सिद्धि की प्राप्ति से वंचित रह जाते हैं. बताया जाता है कि तांत्रिक अपनी साधना को सिद्ध करने के लिए आते तो हैं लेकिन जैसे ही अपने साधना में लीन होते हैं वैसे ही उनका मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है. यही कारण है कि आज तक यहाँ तंत्र विद्या की सिद्धि किसी ने प्राप्त नहीं की. देवघर से नजदीक बंगाल है जहां स्थापित कई मंदिरों में तंत्र विद्या की सिद्धि के लिए साधक जाते हैं.

श्रावण मास में देवघर स्थित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक की अति प्राचीन परंपरा रही है. लेकिन देवघर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ और प्रसिद्ध शैव स्थल होने के कारण सालों भर यहां श्रद्धालुओं का तांता तो लगा ही रहता है. शिव और शक्ति एक जगह विराजमान होने के कारन दुर्गा पूजा के अवसर पर भी पवित्र ज्योर्तिलिंग के जलाभिषेक का खास महत्व है.