मशहूर संगीतकार खय्याम का निधन, 93 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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मुंबईः मशहूर संगीतकार खय्याम का 93 साल की उम्र में निधन हो गया है। सीने में संक्रमण और निमोनिया की शिकायत के बाद उन्हें पिछले महीने 28 जुलाई को मुंबई के सुजय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 17 साल की उम्र में खय्याम ने अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत की थी।

बचपन से ही फिल्मों के थे शौकीन

संगीत की दुनिया के इस बेताज बादशाह की जिंदगी भी काफी फिल्मी रही है। खय्याम को बचपन से ही फिल्मों का शौक था। उन दिनों फिल्में देखना अच्छा नहीं नहीं माना जाता था, इसलिए वह परिवार से छिप छिपाकर फिल्में देखने जाया करते थे। फिर उन्हें फिल्मों में हीरो बनने का चस्का लगा। जब घर वालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने खय्याम को घर से निकाल दिया। कुछ समय तक खय्याम ने फिल्मों में एक्टिंग करने की कोशिश की लेकिन बाद में उनकी दिलचस्पी संगीत की तरफ बढ़ने लगी। खय्याम ने पहली बार फिल्म हीर रांझा में संगीत दिया लेकिन उन्हें पहचान मिली मोहम्मद रफी के गाने 'अकेले में वह घबराते तो होंगे' से। फिल्म शोला और शबनम ने उन्हें संगीतकार के रूप में इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया।

2011 में पद्म भूषण से नवाजा गया था

उन्होंने, "आखिरी खत, कभी-कभी, त्रिशूल, नूरी, बाजार, उमराव जान और यात्रा जैसी फिल्मों में यादगार धुनें दी। उन्हें साल 2007 में संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड और साल 2011 में पद्म भूषण जैसे सम्मानों से नवाजा गया। कभी-कभी और उमराव जान के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड और उमराव जान के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला। उन्होंने जिन गानों की धुनें बनाई हैं वो आज भी करोड़ों लोगों की पसंद बनी हुई हैं।


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