जीतन सहनी हत्याकांड : पुलिस की जांच से असंतुष्ट सहनी परिवार, DGP से मिला VIP का शिष्टमंडल, अनुसंधान को भटकाने की जतायी आशंका

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 VIP delegation met DGP  VIP delegation met DGP

PATNA : विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी की हत्या मामले को लेकर वीआईपी का एक शिष्टमंडल आज बिहार के पुलिस महानिदेशक से मिला और उन्हें एक आवेदन-पत्र देकर अनुसंधान को भटकाने की आशंका जताई।

वीआईपी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व आईपीएस अधिकारी ब्रजकिशोर सिंह और राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति के नेतृत्व में इस शिष्टमंडल में पार्टी के कई नेता शामिल रहे। मृतक के भतीजे पवन सहनी द्वारा लिखे आवेदन पत्र में कहा गया है कि इस हत्याकांड में पुलिस द्वारा मीडिया में दिए जा रहे बयान से अनुसंधान की दिशा भटकने की आशंका है।

आवेदन में कई सवाल भी उठाए गए हैं। आवेदन में कहा गया है कि अनुसंधान अभी तक अत्यंत ही प्रारंभिक अवस्था में है। मीडिया में 10 जुलाई की रात का सीसीटीवी फुटेज चलाया जा रहा है, जिसमें बताया जा रहा है कि 10 से 15 लोग घटनास्थल के समीप लाठी-डंडे के साथ खड़े हैं। सवाल उठाया गया है कि कुछ इनलोगों की पहचान कर इनसे पूछताछ की गई है।

आवेदन के जरिये सवाल उठाया गया है कि मीडिया में कुछ कागजात दिखाए जा रहे है। क्या ये कागजात तालाब से बरामद बॉक्स के अंदर से मिले है? अगर हां तो यह किसने दिया और देने वाले का मकसद कहीं अनुसंधान को भटकाने की मंशा तो नहीं है? इसकी जांच होनी चाहिए। अगर ये कागजात बॉक्स के अंदर से नहीं मिले तो फिर इन्हें कौन और किस कारण से वितरित कर रहा है।

आवेदन में कहा गया है कि अभी तक पुलिस के अनुसार सिर्फ एक अपराधी पकड़ा गया है। अपराध में उपयोग किए गए हथियार की भी बरामदगी नहीं हो पायी है। फिर भी लगता है कि अनुसंधानकर्ता जल्दबाजी में अनुसंधान को बंद करना चाहता है। यह भी गौरतलब है कि अभी अन्य सह अभियुक्त आजाद हैं और उनसे पूछताछ नहीं हो पायी है। क्या एक मात्र अपराधी की बातों को मानकर अनुसंधान के निष्कर्ष पर पहुंचना उचित है?

पत्र के जरिए मांग की गई है कि अनुसंधान में साक्ष्यों का संकलन किया जाए तथा जब सारे साक्ष्य इकट्ठे हो जाए, तब उनका विश्लेषण करके निष्कर्ष पर पहुंचा जाए। अभी जब साक्ष्य संकलन का कार्य चल ही रहा है, तब हत्या के कारण के संबंध में निष्कर्ष पर शीघ्र पहुंच जाना न केवल जल्दबाजी है बल्कि अनुसंधान की दिशा के भटकने की प्रबल संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले में किसी षड्यंत्र की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

शिष्टमंडल ने आग्रह किया है कि अनुसंधान समाप्त होने पर कांड का विचारण फास्ट ट्रैक कोर्ट से करवाया जाए। इस शिष्टमंडल में ब्रजकिशोर सिंह के अलावा प्रदेश अध्यक्ष बाल गोविंद बिंद, उमेश सहनी, सुमित सहनी, प्रभुदत्त बेलदार, सुनीता सहनी, बैद्यनाथ सहनी, पुष्पा सहनी शामिल थे।