राहुल गांधी पर मंगल पाण्डेय का तीखा प्रहार : कहा : कांग्रेस के युवराज का वायनाड से चुनाव लड़ना हाशिये पर जाने का प्रतीक

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 Mangal Pandey's sharp attack on Rahul Gandhi  Mangal Pandey's sharp attack on Rahul Gandhi

PATNA :बिहार सरकार के स्वास्थ्य एवं कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन करने पर सवाल पूछा है। उन्होंने राहुल गांधी से पूछा कि आप हिंदी भाषी क्षेत्र के किसी राज्य से चुनावी रण में क्यों नहीं कूदे। आपको फिर केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने की क्या जरुरत पड़ गयी।

राहुल गांधी पर प्रहार करते हुए मंगल पाण्डेय ने कहा कि आखिर कांग्रेस के युवराज देश की जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं। देश में अधिसंख्य सनातनी हिंदी भाषी क्षेत्र में रहती है, जो सक्रिय राजनीति को प्रभावित करती है। हिंदी भाषी व सनातनी विरोधी इंडिया गठबंधन को फिर देश की जनता धूल चटाएगी। राहुल गांधी वायनाड से भी चुनाव हारेंगे और मुख्यधारा की राजनीति से हाशिये पर चले जाएंगे।

मंगल पाण्डेय ने कहा कि कांग्रेस सांसद के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल करने के दौरान समर्थकों और कार्यकर्ताओं में गर्मजोशी नहीं दिखी। वहीं, राहुल गांधी का वायनाड से चुनाव लड़ना तुष्टिकरण की राजनीति को हवा देना है। एक खास धर्म के वोटबैंक के आसरे चुनाव जीतने की लालच उनके हाशिये पर होने का गवाह है। साथ ही नामांकन के दौरान राहुल गांधी का ये कहना कि ये चुनाव लोकतंत्र और संविधान की लड़ाई के लिए है। मैं पूछना चाहता हूं कि आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार का समर्थन करना कौन-सी लोकतांत्रिक व्यवस्था है। ये सवाल जनता उनसे पूछेगी और उन्हें जवाब देना होगा।

मंगल पाण्डेय ने कहा कि आज हिंदी भाषी प्रदेशों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ, राजस्थान, हरियाणा इन सभी राज्यों में भाजपा की या उसके गठबंधन की सरकार है। जहां पिछली लोकसभा में भी भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था। वहीं, अन्य हिंदी भाषी राज्यों में दिल्ली से भी कांग्रेस बाहर है और झारखंड में वो मामूली सहयोगी है।

वहीं, इन राज्यों से लगे कुछ अन्य राज्य जहां हिंदी भाषी हैं, उनमें महाराष्ट्र और गुजरात की बात करें तो यहां भी भाजपा की सरकार है। पश्चिम बंगाल में टीएमसी और पंजाब में आप का कब्जा है। कांग्रेस हर प्रकार से हिंदी प्रदेशों में हाशिये पर है। उनका पुराना इतिहास उन्हें सत्ता से बेदखल कर गया है। अब ऐसे में पीएम मोदी के नेतृत्व के सामने लोकसभा में उनका टिकना मुश्किल है।


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