'मान' की परंपरा ने बढ़ाया बेटियों का सम्मान : बगहा में बेटी पढ़ाओ बेटी बचाव के साथ-साथ आत्मनिर्भर हो रहीं बेटियां
बगहा : हमारे देश में बेटियों को आगे बढ़ाने को लेकर लगातार प्रयास हो रहे हैं देश के प्रधानमंत्री भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिए है, पढ़ेगी बेटी तभी बढ़ेगी जैसे स्लोगन भी खूब सुनाई पड़ते है बिहार में भी बेटियों की सम्मान की खबरे अक्सर आती रहती है लेकिन आज जिस खबर से हम आपको रूबरू करने जा रहे है उसे देखकर आप का भी मन बेटियों के प्रति सम्मान प्यार से भर जायेगा।
ये कहानी है बगहा के थरुहट गांव बकुली की जहां के लोग बेटियों के सम्मान की अनूठी मिसाल कायम कर रहे है आइये अब आपको पूरी कहानी बताते है। दरअसल बकुली गांव में गांव में बेटियों के जन्म पर पोखर खनवाया जाता है, पोखरे के आमदनी से बेटी के पढ़ाई लिखाई, और शादी में खर्च करते हैं। पोखर का नाम भी बेटी के नाम रखा जाता है। इन दिनों पोखर की आय से दर्जनों परिवार फल फूल रहा है। अब बेटियों को भी खूब सम्मान मिलता है।
थारुओं के इस गांव के पोखर से अब बेटियों की संख्या आंकी जाती है बकुली गांव में अब तक 40 पोखर खोदे जा चुके हैं, और इसकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, मान देने की इस अनोखी परंपरा ने एक ओर बेटियों का सम्मान बढ़ाया है तो दूसरी ओर कई परिवारों में आर्थिक संपन्नता भी आई है। यहां के लोग तेलांगना के काकीनाडा और कोलकाता के बैरकपुर से मछली पालन का प्रशिक्षण ले चुके हैं गांव में सालाना डेढ़ से दो सौ क्विटल मछली का उत्पादन होता है। बताया जाता है 20 से 25 वर्ष पहले नहर की खुदाई हुई जिससे गड्ढे बन गए खेती की जमीन बर्बाद हो गई फिर लोगों ने मछली पालन शुरू कर दिया और बाद में पुरषों का रुझान इस और कम हो गया तो की बेटियों ने इसे संभाला जिसके बाद ये परम्परा शुरू हुई।
बेटियां आजकल हर क्षेत्र में चाहे वो सेना हो पुलिस हो या अन्य कोई भी क्षेत्र हो देश का मान और सम्मान बढ़ा रही है। ऐसे में बाधा के बकुली गांव के लोगों का बेटियों को मान देने की परंपरा जो सम्मान दे रहा है वो कबीले तारीफ है। या यूँ कहा जाये की इस परम्परा से लोग बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं के साथ साथ आत्मनिर्भर बेलिया के सपनों को साकार कर रहे है।
अमित सिंह की रिपोर्ट