JHARKHAND NEWS : कोल्हान बना झारखंड के सत्ता की सीढ़ी,जीते तो सत्ता, हारे तो सत्ता से बाहर

Edited By:  |
Kolhan became the ladder of power in Jharkhand, if he wins then he is in power, if he loses then he is out of power Kolhan became the ladder of power in Jharkhand, if he wins then he is in power, if he loses then he is out of power

- कोल्हान पूर्व में भाजपा का हुआ करता था गढ़ आज झामुमो का बन गया गढ़, कोल्हान की 14 विधानसभा सीटो में 11 पर झामुमो, 2 पर कांग्रेस और एक सीट पर निर्दलीय सरयू राय जीते

- भाजपा कोल्हान में अपना पुराना गढ़ वापस लेने और झामुमो कोल्हान में बने अपने गढ़ को बचाने में जुटा, लोकसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक पार्टिया विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी

- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मनोहरपुर विधानसभा से भी चुनाव लड़ने की चर्चा, झारखंड में सत्ता वापसी के लिए संथाल और कोल्हान को साधने की तैयारी में झामुमो

चाईबासा :झारखंड में विधानसभा चुनाव नवंबर -दिसंबर में होगा चुनाव में महज अब कुछ 2- 3 महीने बचे हैं.चुनाव आयोग भी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है. चुनाव आयोग द्वारा जम्मू -कश्मीर और हरियाणा चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया गया है. संभावना जताई जा रही थी कि झारखंड में भी समय से पूर्व चुनाव होगा ,चुनाव आयोग झारखंड में भी विधानसभा चुनाव की घोषना कर सकती है. लेकिन अब झारखंड में अपने निर्धारित समय नवंबर- दिसंबर में ही चुनाव होगा, हालांकि समय से पूर्व चुनाव की संभावना को देखते हुए.सभी राजनीतिक दलों द्वारा विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू भी कर दी गई है. विधानसभा चुनाव की तैयारी में सभी राजनीतिक दल भी जुट गई है.


कोल्हान प्रमंडल में 14 विधानसभा सीट है

कोल्हान प्रमंडल में 14 विधानसभा सीट है,जिसमे 11 सीटों पर झामुमो ने चुनाव जीती है. दो सीट कांग्रेस की है और एक निर्दलीय जमशेदपुर से सरयू राय विधायक निर्वाचित हुए थे. यहां तक की जमशेदपुर से मुख्यमंत्री रहते रघुवर दास चुनाव हार चुके हैं. कोल्हान में 14 विधानसभा सीट है. जिसमें चाईबासा सदर,मझगांव, चक्रधरपुर ,मनोहरपुर, जगन्नाथपुर, सरायकेला, खरसावां , पोटका, घाटशिला, बहरागोड़ा, इचागढ़, जमशेदपुर पूर्वी , जमशेदपुर पश्चिमी , जुगसलाई विधानसभा सीट शामिल है. पश्चिमी सिंहभूम जिला में 5 विधानसभा सीट है जिसमें चाईबासा सदर, मझगांव ,चक्रधरपुर ,मनोहरपुर चार सीट झामुमो और एक सीट जगन्नाथपुर कांग्रेस ने जीती है.कोल्हान जो एक समय भाजपा का गढ़ हुआ करता था आज भाजपा का कोल्हान से सुफडा साफ हो गया है एक भी सीट भाजपा को नहीं मिली है. कोल्हान में करारी हार के कारण ही भाजपा झारखंड के सत्ता से भी बाहर हो गई है. कहा जाता है कि कोल्हान झारखंड की सत्ता की सीढ़ी है. कोल्हान हारने के कारण ही भाजपा सत्ता से बाहर हुई और कोल्हान जीतने के कारण ही झामुमो झारखंड की सत्ता पर काबिज हुई. जो कोल्हान कभी भाजपा का गढ़ हुआ करता था , आज झामुमो का गढ़ बन गया है और कोल्हान में भारी जीत के कारण झामुमो झारखंड के सत्ता पर काबिज है.


भाजपा में आपसी गुटबाजी के कारण हार हुई थी

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा में आपसी गुटबाजी, अंतर कलह, टिकट बंटवारे आदि के कारण भाजपा की करारी हार हुई थी यह सर्वविदित है. कोल्हान में भाजपा की करारी हार को आज भी भाजपा का आलाकमान और प्रदेश नेतृत्व पचा नहीं पा रहा है, और हर हाल में इस बार चुनाव में कोल्हान को अपने पुराने गढ़ को बचाने और झारखंड की सत्ता पर कागज होने के लिए भाजपा आलाकमान और प्रदेश के नेता , शेष नेतृत्व युद्ध स्तर पर, पूरे ताकत ,ऊर्जा के साथ चुनाव की तैयारी में जुटा हुआ है. वही झारखंड मुक्ति मोर्चा जो सरकार में है और झारखंड के सत्ता पर काबिज है. कांग्रेस झामुमो गठबंधन से झारखंड में सरकार चल रही है. वह कोल्हान में अपने सभी सीटों को बचाने और झारखंड के सत्ता पर पुनः काबिज होने के लिए जी जान से जुटी हुई है.राजनीतिक हल्को में चर्चा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कोल्हान के पश्चिमी सिंहभूम जिला के मनोहरपुर विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं.पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संथाल के दो सीट बरहेट और दुमका से विधानसभा चुनाव लड़े थे. हालांकि बाद में दुमका सीट उन्होंने छोड़ दिया था, जहां से उनके भाई बसंत सोरेन ने चुनाव जीता था.हेमंत सोरेन मनोहरपुर से चुनाव लड़कर कोल्हान और संथाल दोनों को साधने की कोशिश में है और यही कारण है कि संथाल और कोल्हान दोनों झामुमो का गढ़ बन चुका है.


झामुमो को पता है कि संथाल और कोल्हान को साधने के बाद ही झारखंड की सत्ता पर काबिज हुआ जा सकता है.वहीं दूसरी और मनोहरपुर विधानसभा 25 वर्षों से झामुमो का गढ़ रहा है. जहां से वर्तमान सासंद जोबा मांझी पांच बार विधायक चुनी गई. जोबा मांझी सभी सरकारों में लगभग 20 वर्षों तक मंत्री भी रही. इसलिए मनोहरपुर विधानसभा सीट जो झामुमो का गढ़ है. उसमें हेमंत सोरेन अपनी किस्मत आजमा सकते हैं. हालांकि यह भविष्य के गर्भ में है कि हेमंत सोरेन मनोहरपुर से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लेकिन हेमंत सोरेन के चुनाव लड़ने की घोषणा से सांसद बन चुकी जोबा मांझी के सपनों पर भी पानी फेर दिया है. क्योंकि उनके बेटे जगत मांझी को मनोहरपुर से चुनाव लडने और राजनीतिक में उतारने की तैयारी चल रही थी. जोबा मांझी के सांसद बनने के बाद जगत मांझी को मनोहरपुर का भावी विधायक के रूप में देखा जा रहा था. कहा जाता है कि अगर हेमंत सोरेन मनोहरपुर से चुनाव लड़ते भी हैं और जीत भी जाते हैं तो हेमंत मनोहरपुर सीट छोड़ देंगे और छह माह के बाद उपचुनाव होगा .जगत मांझी फिर चुनाव लड़ेंगे और जीतकर विधायक बनेंगे. वहीं लोकसभा चुनाव मे जोबा मांझी को टिकट मिलने के बाद झामुमो के जिला अध्यक्ष और चक्रधरपुर के विधायक सुखराम उरांव का भी सपना टूटा है, खुद सुखराम खुले मंच से लोकसभा टिकट नहीं मिलने का दर्द बयां कर चुके हैं. वह भी लोकसभा चुनाव टिकट लेकर सांसद बनने और अपने बेटे सन्नी उरांव को चक्रधरपुर से विधायक का टिकट दिलाकर विधायक बनाने की तैयारी में थे. मगर ऐसा नही हो पाया, मंसूबा पर पानी फिर गया. सासंद जोबा मांझी के बेटे जगत मांझी और विधायक सुखराम के बेटे सन्नी उरांव भी राजनीति में काफी सक्रिय हैं और अपने माता-पिता के राजनीतिक विरासत और तैयार जमीन पर राजनीति में जुड़े हुए हैं। राजनीति में डेब्यू हो रहा है.

झामुमो अपने सभी सिटिंग विधायकों को ही टिकट देगी

झामुमो अपने सभी सिटिंग विधायकों को ही टिकट देगी लेकिन भाजपा में किसे टिकट मिलेगा, कौन प्रत्याशी बनेगा ,कौन चुनाव लड़ेगा यह अभी तक तय नहीं हो पा रहा है. भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है ऐसे ऐसे लोगों ने भी चुनाव लड़ने के लिए सपना देख रहे है और आवेदन दे रहे हैं जिनका जनाधार तक नहीं है.पिछले चुनाव में जिस तरह पार्टी में गलत टिकट बंटवारे के कारण भाजपा की करारी हार हुई. भाजपा विधानसभा चुनाव मे फिर से वही गलती दोहराना नहीं चाहती. इसलिए फूंक फूंक कर और अपने पार्टी स्तर और विभिन्न स्रोतों से हुए सर्वे के आधार पर जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट देगी, क्योंकि तय है कि कोल्हान हारे तो झारखंड की सत्ता भी हाथ से गई.