किसानों में मायूसी : बारिश नहीं होने से सुखाड़ की स्थिति, किसानों की बढ़ी परेशानी
रांची : खलारी कोयलांचल क्षेत्र और आसपास के ग्रामीण इलाकों में बारिश नहीं होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. खेतों में पड़े बिछड़े को पीला होते देख किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ तौर पर दिखने लगी है. किसानों के द्वारा अपने पीले पड़ते धान के बिछड़े को जिंदा बचाने के लिए कुआं और चापाकल से पानी पटाया जा रहा है. पिपरवार कोयलांचल क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले सभी किसानों ने एक स्वर में कहा कि इस साल बारिश नहीं होने से अकाल होने की पूरी तरह से संभावना दिख रही है. कर्ज लेकर धान के बिछड़े लगाने वाले किसान कर्ज लौटाने को लेकर अभी से चिंतित होने लगे हैं.
धान के पीले होते बिछड़े को देख महिला किसान मीना कुमारी आसमान की ओर देखती हुई कहती हैं कि इस साल बारिश के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. बारिश के इंतजार में धान का बिछड़ा भी मरने लगा है. बुजुर्ग किसान राम प्रसाद महतो ने कहा कि धनरोपनी करने के लिए महाजन से कर्ज लेकर धान का बिहन खरीदकर बिछड़ा तैयार किए हैं लेकिन बारिश नहीं होने से धनरोपनी होने की संभावना नहीं दिख रही है.
जितेंद्र कुमार महतो ने कहा कि हम पति पत्नी मिलकर बारिश होने के इंतजार में टुलू पंप से पानी चलाकर धान के बिछड़े को पटा कर जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं. विजय पटेल ने कहा कि सिंचाई की कोई सुविधा नहीं होने के कारण हम सभी किसान पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं. पुरन महतो ने बताया कि बारिश नहीं हुई तो हम किसान एक बार फिर से कर्ज में डूब जायेंगे.
कुल मिलाकर किसान की स्थिति काफी नाजुक दिख रही है. सभी किसान अपनी जमा पूंजी खेत में डालकर आसमान की तरफ देख रहे हैं.
पिपरवार कोयलांचल क्षेत्र से सटे बमने गांव के किसान कृष्णा कुमार महतो ने बताया कि हम किसान धान की खेती के लिए पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं,बारिश नहीं होने से इस वर्ष धान की रोपनी अभी तक नहीं हो पाई है. अब सरकार को अकाल घोषित कर देना चाहिए.
खलारी प्रखंड के डुडू गांव के रहने वाले किसान दहेश महतो ने बताया कि घर में रखे धान को भी हम गरीब किसानों ने बिछड़े के लिए खेत में डाल दिया. बिछड़ा तैयार भी हो गया, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण धनरोपनी नहीं हो पाई, हमारे सारे खेत अभी भी परती पड़े हुए हैं.