कनहर परियोजना का क्या है स्टेटस : झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, 17 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश की अदालत में होगी सुनवाई

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RANCHI : कनहर परियोजना मामले पर झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि यह योजना आज तक क्यों नहीं पूरी हुई. हेमेंद्र प्रताप देहाती (अब स्वर्गीय) की जनहित याचिका 466 ऑफ 2009 की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश बीआर षाडंगी ने मुख्य सचिव एल ख्यांग्ते, जल संसाधन सचिव, वित्त सचिव समेत वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव को न सिर्फ फिजिकली एपीयर करा कर पूछा कि योजना को क्यों पूरा नहीं किया गया और इसका लाभ क्यों नहीं लोगों को मिल रहा है. पलामू प्रमंडल की इस बहुप्रतिक्षित योजना को लेकर कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए नाराजगी जतायी. कोर्ट ने कहा कि इस योजना के पूरा होने से लोगों को स्वच्छ पीने का पानी ही नहीं मिलता, बल्कि पशु-पक्षियों तथा खेतों को भी पानी मिलता. सरकार की सुस्त रफ्तार पर भी कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की.

याचिकाकर्ता के वकील और सीनीयर एडवोकेट महेश तिवारी ने कहा कि पलामू प्रमंडल में कनहर परियोजना के क्रियान्वित नहीं होने से आम जनजीवन और पशु पक्षियों पर बुरा असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि पलामू में सूखे की मार से भी पीने के पानी की काफी किल्लत हो रही है. 2009 में याचिका दायर की गयी थी. पर अब तक सरकार की तरफ से इस परियोजना को लेकर गंभीरता नहीं दिखायी गयी. कोर्ट ने मामले पर कहा कि अगले सप्ताह यानी 17 जुलाई तक सरकार स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे. उसी दिन अगली सुनवाई की तारीख भी निर्धारित की गयी है.

कोर्ट ने उनसे मौखिक कहा कि वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने पांच साल में इस परियोजना को पूरी होने का टाइमलाइन दिया था लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को कनहर बराज परियोजना पूरा करने को लेकर टाइम फ्रेम प्रस्तुत करने एवं कनहर बाराज के पूरा नहीं होने तक गढ़वा, पलामू के लोगों को लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने सरकार द्वारा कनहर बैराज पूरा करने के लिए आठ साल का समय मांगे जाने को गंभीरता से लिया.

कोर्ट ने सरकार के इस शपथ पत्र को स्वीकार नहीं किया. कोर्ट ने मौखिक कहां कि वर्ष 2009 से कनहर परियोजना को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई वर्ष 2024 तक चल रही है लेकिन राज्य सरकार कनहर बराज परियोजना को लेकर उदासीन बनी हुई है. झारखंड के पलामू, गढ़वा क्षेत्र में सुखाड़ की स्थिति वर्षों से देखी जा रही है लेकिन वहां सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कोई सकारात्मक कदम राज्य सरकार ने अब तक नहीं उठाया है.

इससे पहले राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर कनहर बराज परियोजना को पूरा करने को लेकर आठ साल का समय मांगा गया, जिस पर कोर्ट ने मौखिक कहा कि राज्य सरकार की ओर से बार-बार शपथ पत्र दाखिल किया जा रहा है लेकिन अब तक पर कनहर बराज परियोजना को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. कनहर बराज परियोजना को पूरा करने को लेकर हाई कोर्ट गंभीर है. सरकार द्वारा वर्ष 2020 में इस परियोजना को पांच साल में पूरा करने का दावा किया गया था लेकिन यह दावा पूरा नहीं हुआ, जो इस बात का संकेत करता है कि राज्य सरकार कैसा काम कर रही है.

रांची से दिपक की रिपोर्ट