सक्षमता परीक्षा : नौकरी जाने का भय ! शिक्षा विभाग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी..

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breaking niojit teachers will go to High Court due to fear of losing their jobs breaking niojit teachers will go to High Court due to fear of losing their jobs

PATNA:-बिहार के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलने से पहले ही नौकरी जाने का भय सता रहा है.वे कि सक्षमता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता की वजह से वे काफी डरे हुए हैं.शिक्षा विभाग द्वारा सक्षमता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता के खिलाफ नियोजित शिक्षकों का संघ हाईकोर्ट जाने की तैय़ारी कर रहा है.

नियोजित शिक्षक संघ के नेता राजू सिंह ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग का फैसला नियोजन नीति के खिलाफ है.नियोजन के बाद बिहार सरकार ने 60 साल तक नौकरी में रहने की बात कही थी और अब सक्षमता परीक्षा पास नहीं करने वाले नियोजित शिक्षकों को हटाने की तैयारी शिक्षा विभाग कर रही है.जिसके खिलाफ नियोजित शिक्षक संघ विरोध जता रहा है.

बताते चलें कि राज्य में करीब 4 लाख नियोजित शिक्षक हैं.कई सालों ने इन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिये जाने की मांग की जा रही थी.इस मांग को पूरा करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने पटना के गांधी में आयोजित बीपीएससी शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में कहा था कि एक औपचारिक परीक्षा लेकर नियोजित शिक्षकों को भी राज्यकर्मी का दर्जा दिया जायेगा,जिसके बाद उनकी सुविधायें बढ़ जायेगी और दूसरे जिलों में तबादला भी हो सकेगा.

बाद में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने को लेकर शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को नीतीश कैबिनेट ने मंजूरी दे दी.इसमें सक्षमता परीक्षा लेकर राज्यकर्मी का दर्ज देने की बात कही गयी थी और एक नियोजित शिक्षक को सक्षमता परीक्षा पास करने के लिए तीन मौके दिये जाने की बात कही गयी थी,पर जो नियोजित शिक्षक तीन बार में भी सक्षमता परीक्षा पास नहीं करते हैं या परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं तो उनके लिए शिक्षा विभाग बाद में फैसला लेगा.

इस बीच बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने पहली सक्षमता परीक्षा की तिथि जारी कर दी और इसमें शामिल होने के लिए आवेदन की प्रकिया जारी है.इस बीच शिक्षक संघ ने इस सक्षमता परीक्षा के कई प्रावधानों का विरोध करते हुए आवेदन नहीं करने की अपील नियोजित शिक्षकों से की थी.शिक्षक संघ के इस विरोध के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमिटि का गठन किया गया और इस कमिटि ने बैठक करके तीन की बदले चार सक्षमता परीक्षा लेने का फैसला किया है.इन चार परीक्षा में से किसी तीन परीक्षा में नियोजित शिक्षक शामिल हो सकते हैं.तीन सक्षमता परीक्षा में शामिल होने के बाद भी अगर कोई नियोजित शिक्षक पास नहीं होता है या परीक्षा में शामिल नहीं होता है तो उसकी नौकरी खत्म करने का फैसला शिक्षा विभाग की कमिटि ने किया है.सक्षमता परीक्षा पास नहीं करने पर नौकरी खत्म करने का प्रस्ताव को सरकार के स्तर से मंजूरी या बदलाव किया जा सकता है.शिक्षा विभाग की केके पाठक की अध्यक्षता वाली कमिटि के इस फैसले का नियोजित शिक्षकों द्वारा विरोध किया जा रहा है.

बतातें चलें कि शिक्षा विभाग की य़ोजना है कि बीपीएससी से नियुक्त शिक्षकों की तरह ही नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देकर उन्हें अपने घर के आस-पास के स्कूल से हटाकर जिले के सुदुरवर्ती या दूसरे जिलों के स्कूलों में पदस्थापित किया जाए जिससे कि वे स्थानीयता का फायदा या दबंगई करने के बजाय दूर के स्कूल के आस-पास रहकर पठन-पाठन पर ध्यान दे सकें.शिक्षा विभाग की इस नीति से उन लाखों शिक्षकों की परेशानी बढ़ने वाली है जो अपने घर के आस-पास के स्कूल में पदस्थापित हैं.ये स्कूल के साथ ही अपनी पारिवारिक जिम्मेवारी भी बखूबी निभा रहे हैं पर घर से दूर के स्कूल में पदस्थापन होने के बाद इनकी मुश्किलें बढ़ जायेगी.घर से दूर के स्कूल में पदस्थापित जो शिक्षक या शिक्षिकायें राज्यकर्मी का दर्जा मिलने पर अपने घर के आस-पास आना-जाना चाह रहे थे,उनकी योजना को भी झटका लगने वाला है.इसलिए नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा के आवेदन में तीन जिलों के प्रावधान को हटाने की मांग कर रहे हैं,और सक्षमता परीक्षा पास नहीं करने या शामिल नहीं होने पर नौकरी खत्म करने का शिक्षा विभाग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.


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