बिहार में हाथ के साथ कन्हैया... : कन्हैया ने कहा- कांग्रेस को बचाना है...तो क्या कन्हैया बचाएंगे कांग्रेस को?

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Kanhaiya ne kaha congress ko bachana hi... to kya kanhaiya bachayenge congress ko Kanhaiya ne kaha congress ko bachana hi... to kya kanhaiya bachayenge congress ko

सुमित झा

5 साल पहले जेएनयू कैंपस से लाल सलाम का नारा बुलंद करने वाले कन्हैया का अब लाल सलाम से मोहभंग हो गया है। लाल झंडा ढ़ोने वाले कन्हैया अब कांग्रेस का झंडा ढोएंगे। अब कन्हैया हाथ में हंसिया नहीं, कांग्रेस का हाथ थामकर चलेंगे। लाल रंग का कुर्ता पहने कन्हैया ने लाल सलाम का नारा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में कन्हैया कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। राहुल गांधी ने कन्हैया को कांग्रेस पार्टी की सदस्यता दिलाई। हालांकि प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी नहीं आए। केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास औऱ बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदनमोहन झा ने कन्हैया का कांग्रेस में स्वागत किया। इस दौरान कन्हैया ने बताया कि वो कांग्रेस में शामिल क्यों हुए। कन्हैया ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कांग्रेस की शान में खूब कसीदे गढ़े...कन्हैया ने कहा कि कांग्रेस देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी है...और अगर कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा...कन्हैया ने कहा कि कांग्रेस वो पार्टी है जो महात्मा गांधी के सपनों को लेकर चल रही है...उन्होंने कहा कि कांग्रेस वो पार्टी है जो भगत सिंह...नेहरू...और कई महापुरुषों के सपनों को लेकर आगे चल रही है...कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस को आज बचाने की जरुरत है..और हमें अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए...कन्हैया ने इस दौरान अपनी पुरानी पार्टी सीपीआई को भी धन्यवाद दिया और कहा कि मेरी पुरानी पार्टी ने लड़ना सिखाया...

बिहार के बेगूसराय के रहने वाले कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से बिहार की सियासत भी गरमा गई। बीजेपी ने जहां तंज कसते हुए कहा कि देश विरोधी नारे लगाने वालों के कांग्रेस में शामिल होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं कांग्रेस को विश्वास है कि कन्हैया के शामिल होने से कांग्रेस मजबूत होगी। दरअसल गुटबाजी से परेशान बिहार कांग्रेस पिछले 30 सालों से बिहार में अपने दम पर खड़ी नहीं पाई है। तीस सालों से बिहार में कांग्रेस की जड़ें कमज़ोर होती गईं। बिहार के आखिरी कांग्रेसी मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र थे। आरजेडी के सहारे ही बिहार में कांग्रेस का वजूद बना है। पिछले 5 विधानसभा चुनावों में पार्टी को सफलता नहीं मिली। फरवरी 2005 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 10 सीट। 2010 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 4 सीट। 2015 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 27 सीटें मिली। हालांकि 2015 में नीतीश-लालू के साथ होने का फायदा मिला। 2020 विधानसभा चुनाव में महज 19 सीटें जीत सकी। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को एक सीट मिली। ज़ाहिर है युवा चेहरा कन्हैया को पार्टी में शामिल कर, कांग्रेस को उम्मीद है कि इसका फायदा बिहार में मिलेगा। लेकिन सवाल है कि क्या कन्हैया को लेकर तेजस्वी यादव सहज होंगे।


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