आमदनी रुपया, खर्चा चवन्नी : झारखंड में नौकरशाहों की सुस्ती, 5 महीने में सिर्फ 16 फीसदी राशि ही खर्च हुई
मनोज कुमार
झारखंड में विकास की रफ्तार काफी धीमी है। विकास के लिए आवंटित राशि भी काफी कम खर्च हुई है। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में यह पाया है। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को फटकार भी लगाई और विकास की गति को तेज करने का दिशा निर्देश भी दिया। मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए इस बात को स्वीकार किया कि विकास कार्यों की गति धीमी है और जितना काम होना चाहिए वह नहीं हो पाया है।
राज्य में विकास योजनाओं पर हुए खर्च पर नजर डाले तो वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 91,277 करोड रुपए का बजट था जिसमें 53,333 करोड़ रुपए विकास कार्यों पर खर्च करने थे लेकिन वित्तीय वर्ष के पहले 5 माह में खर्च हुए राशि को देखें तो मात्र 8635.89 करोड़ ही खर्च हुए हैं जो कुल बजट राशि का मात्र 16.19% है। इसमें भी कई ऐसे विभाग हैं जिसमें एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ है। वाणिज्य कर, उत्पाद, सूचना तकनी, कार्मिक, आवास विभाग में 1 रुपए भी खर्च नहीं हुआ है। कई विभाग हैं, जिसमें 1% राशि भी खर्च नहीं हुई है। पशुपालन, योजना विकास, वित्त, परिवहन विभाग में 1 % से भी कम खर्च। वहीं कोरोनाकाल के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने सिर्फ 3.72 % राशि ही खर्च की है। करीब 23 विभाग ऐसे हैं, जहां 10 फीसदी से कम राशि खर्च हुई। खर्च करने में कृषि, सहकारिता, ऊर्जा विभाग सबसे आगे हैं, जहां करीब 20 फीसदी राशि खर्च हो पाई है।
ज़ाहिर है झारखंड में नौकरशाहों की सुस्ती के कारण पैसे होते हुए भी राज्य के विकास के लिए नहीं खर्च हो पा रहे हैं। जिस पर सीएम ने भी नाराजगी जताई है। हालांकि कोरोनाकाल का भी हवाला दिया जा रहा है। वहीं इस पर सियासत भी तेज हो गई है। विपक्ष विकास योजनाओं में सुस्ती को लेकर सरकार पर निशाना साध रहा है। वहीं सरकार की सहयोगी कांग्रेस विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रही है। सियासत से अलग जरूरी है कि झारखंड में विकास को गति देने के लिए विकास योजनाओं पर पैसे खर्च करने में तेजी लाई जाए।