15 दिवसीय पितृपक्ष का हुआ समापन : महालया को लेकर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी

Edited By:  |
Reported By:
Devotees took a dip in Ganga on Mahalaya Devotees took a dip in Ganga on Mahalaya

साहेबगंज:- पितृ लोक में हमारे पितर् व पूर्वजों को संतुष्टि मिले इसके लिए हमारे सनातन धर्म में आश्विन् मास के कृष्णपक्ष के 15 दिनों को पितृ पक्ष अवधारणा मानी गई है। इन 15 दिनों में लोगों के पितरों के मृत्यु की तिथि के अनुसार नदी तट पर वैदिक मंत्रोच्चार कर जल तर्पण करने का विधान वर्णित है। शास्त्रों में कहा गया है कि गंगा तट पर जल तर्पण करना पितरों के लिए अधिक संतुष्टि दायक होता है। वहीं आश्विन् मास कृष्णपक्ष प्रतिपदा तिथि दिन शनिवार के दिन से शुरू हुआ पन्द्रह दिवसीय पितृपक्ष आज जल तर्पण के साथ समाप्त हो गया।



पितृपक्ष के आज अंतिम पन्द्रहवें दिन साहेबगंज में मुक्तेश्वर धाम गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जमा हो गई। लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई और पितरों के प्रति गंगाजल तर्पण किया। इस दौरान पंडितों ने विधि विधान से मंत्रोच्चार कर जल तर्पण कराया। जिसके बाद लोगों ने गंगा स्नान कर मंदिर में दान दक्षिणा दिया। बता दें कि, धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने के साथ गंगा में जल तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांन्ति मिलती है। जिससे लोगों के परिवार में सुख-शांति मिलता है और क्लेश का नाश होता है।


पंडित धनेश तिवारी ने बताया कि आश्विन मास प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाला 15 दिनों तक चला पितृपक्ष का आज बड़े संयोग शनि अमावस्या के दिन समापन हो गया। इस दौरान भारी वर्षा व आंधी के बीच भी लोगों ने विधि विधान से अपने पूर्वजों के प्रति जल तर्पण किया। शास्त्रों में पितृपक्ष में कुश, तिल,अक्षत,जौ व दूब,फूल के साथ गंगाजल तर्पण करने व पिंडदान करने की परंपरा आदि कालों से चली आ रही है।


पंडित धनेश तिवारी ने कहा कि वर्तमान समय में केवल मां गंगा साक्षात् हमारे समक्ष है जो मोक्ष प्रदान करती है। आश्विन् मास के कृष्णपक्ष यानी पितृपक्ष में यदि लोग भीष्म पितामह को स्मरण कर अपने पूर्वजों के प्रति गंगाजल तर्पण करें तो हमारे पितर तृप्त होते हैं उनकी आत्मा को अधिक संतुष्टि मिलती है। वहीं श्रद्धालुओं ने कहा कि आज पितृपक्ष का अंतिम दिन और महालिया फिर रविवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है। इसलिए हम लोगों ने गंगा स्नान किया है और मां गंगा से परिवार एवं समाज में शांति आए, कल्याण हो इस कामना से गंगा स्नान किया है।


Copy