सामाजिक पहल : बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया से बहने वाली निरंजना नदी का होगा जीर्णोद्धार..बौद्ध धर्म गुरू और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की पहल

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BODHGAYA KE NIRANJANA RIVER KE JIRNODHAR KE LIE NEW PAHAL BODHGAYA KE NIRANJANA RIVER KE JIRNODHAR KE LIE NEW PAHAL

GAYA:-ज्ञानस्थली बोधगया में बहने वाली निरंजना नदी के जीर्णोद्धार के लिए सामाजिक स्तर पर नई पहल की गई है .इसके लिए हाई लेवल एडवाइजरी बोर्ड का गठन किया गया है.इस एडवाइजरी बोर्ड के सेक्रेटरी जनरल के रूप में लाओस मंदिर के प्रभारी भंते साईंसाना बौद्धबोंग, संरक्षक भंते चालिन्दा, भंते इंडगा, भंते तेजिन्दा, भंते थिरोसक एवं मेम्बर के रूप में भंते नयारा, भंते अपिचात, भंते निपुण व भंते नंदसारा सहित कई देशों के धर्मगुरुओं को शामिल किया गया है। इस दौरान बोधगया में ही निरंजना रिवर रिचार्ज मिशन कार्यालय का उद्घाटन बौद्ध परंपरा के अनुसार बौद्ध भिक्षुओं द्वारा धार्मिक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया।

इस मौके पर कार्यक्रम में शामिल बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमिटी के भिक्षु प्रभारी भंते चालिन्दा ने कहा कि निरंजना नदी में सालों भर पानी बहने के लिए काम करना साक्षात ईश्वर के लिए कार्य करना है। निरंजना भगवान बुद्ध और विष्णु की नदी होने के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों के लिए ज्ञान और मोक्ष की नदी है। इस नदी से दुनिया के 2 सौ करोड़ लोगों की आस्था जुड़ी है। उन्होंने नदी के जीर्णोद्धार के लिए कार्य करने वाले लोगों को अपना आशीर्वचन देते हुए कहा कि यह बहुत ही सराहनीय कार्य है।

वही वट लाओ मंदिर के प्रभारी भंते साईंसाना बौद्ध बोंग ने कहा कि निरंजना नदी के जीर्णोद्धार का निर्णय बहुत ही सराहनीय कदम है। इससे इस नदी में सालों भर पानी रहेगी। जिससे यहां आने वाले बौद्ध श्रद्धालु के बीच भी एक अच्छा मैसेज जाएगा। हजारों वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध ने बोधगया में ही निरंजना नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त कर पूरी दुनिया को मध्यम मार्ग का संदेश दिया था। ऐसे में इस नदी का कायाकल्प होना बड़े ही गौरव की बात है। निरंजना नदी के जीर्णोद्धार को लेकर हाई लेवल एडवाइजरी बोर्ड का भी गठन किया गया है। जिसमें विश्व के कई देशों के बौद्ध धर्म गुरुओं को शामिल किया गया है। उन्होंने इस कार्य से जुड़े लोगों को धन्यवाद दिया।

वही मौके पर उपस्थित निरंजना रिवर रिचार्ज मिशन के संयोजक संजय सज्जन सिंह ने कहा कि निरंजना नदी के जीर्णोद्धार को लेकर हमलोगों ने पूरी तरह से कमर कस ली है। जो नदी सालों भर सूखी रहती थी, अब उसमें सदा निरा बहेगी। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व हमलोगों ने गया जिले के अति उग्रवाद प्रभावित डुमरिया प्रखंड में बहने वाली रामरेखा नदी को भी पुर्नजीवित करने का कार्य किया है। इसके लिए लगभग सवा सौ किलोमीटर की यात्रा भी हमने की थी। अब उस नदी को जल संग्रहित कर जीवित किया गया है। हमारे साथ जो लोग भी हैं वे सभी मिलकर निरंजना नदी को एक बार फिर से रिचार्ज करने का कार्य करेंगे। ताकि गया वासियों व पूरे विश्व में बौद्ध धर्मावलंबियों के बीच एक अच्छा संदेश जाए।


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