नेशनल तीरंदाज दाने-दाने को मोहताज : तीरंदाजी की दुनिया में जलवे बिखेरने वाले सरायकेला के प्रेम चंद मार्डी दिहाड़ी मजदूरी कर चलाते हैं अपना परिवार
जमशेदपुर : कभी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी आज आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. इतना ही नहीं दिहाड़ी मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहा है. झारखंड के खेल के मैदान में कई मेडल जीतकर राज्य का नाम रौशन करने वाले खिलाड़ी आज परिवार के साथ आर्थिक तंगी से जूझ रहा है.
तीरंदाजी की दुनिया में जलवे बिखेरने वाले सरायकेला के प्रेम चंद मार्डी की कहानी कुछ ऐसी ही है. इनकी सुध न खेल प्रेमी ली है और न ही सरकार ने ली. हालात यह है कि नेशनल और स्टेट लेवल पर तीरंदाजी में अपना परचम लहराने वाला गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी प्रेम मार्डी दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहा है.
सरायकेला जिला के गम्हरिया प्रखंड के पिंडराबेड़ा गांव के प्रेम चांद मार्डी आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए कभी दूसरों के खेतों में धनकटनी करता है तो कभी ईंट भट्ठा में काम करता है. इन दिनों वे अपने घर के आस-पास नरेगा के नर्सरी में पेड़ पौधे लगाने का काम कर रहा है. पेट की आग के सामने भटक गया प्रेम चाँद मार्डी. घर-परिवार आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए पिछले कई सालों से ही दिहाड़ी मजदूरी कर रहा है.
उसने सपना को अधूरा छोड़ घर-परिवार चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करना शुरू कर दिया.
प्रेम चंद मार्डी ने बताया कि तीरंदाजी के क्षेत्र में सरायकेला के साथ साथ झारखंड सहित देश का नाम अंतरराष्ट्रीय फलक तक रोशन करना चाहता हूं. लेकिन, समझ में ही नहीं आता कि क्या करें. घर चलायें या खेलें. अब 'निशाना' पेट की आग के सामने भटक गया है.
प्रेम चांद की पत्नी बताती हैं किमहंगाई व आर्थिक समस्या के कारण काम करना पड़ रहा है. अभी तक कहीं से भी किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है. कई वर्षों से सरकार से आस लगाए बैठे थे मगर मजबूरी में मजदूरी करनी पड़ती है. पति ने तीरंदाजी के बड़े-बड़े सपने देखे,पर अब उसकी आंखों में सपने की जगह आंसू है. अब तो ऐसी स्थिति हुई कि खेल को भी छोड़ना पड़ेगा. नहीं तो घर चलाना भी मुश्किल हो जाएगा.