भाकपा-माले पहुंचा CM नीतीश के पास : सारण कांड में मांगा मुआवजा, याद दिलाया कि है ये प्रावधान ...
PATNA :भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम के नेतृत्व में माले विधायकों ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात कर सारण कांड के मृतक के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की है। साथ ही भाकपा-माले ने शराब माफिया गिरोहों के राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण की उच्चस्तरीय जांच की भी मांग की है।
भाकपा माले की तरफ से कहा गया है कि सीएम नीतीश कुमार ने उनकी मांगों को गंभीरता से सुना है और उसपर कानून सम्मत कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है। माले की तरफ से सीएम को शराब बंदी कानून के उस प्रावधान की याद दिलाई, जिसमें शराब के कारोबारियों की संपत्ति जब्त कर पीड़ित परिजनों को मुआवजा देने का नियम है। माले का कहना है कि मरने वाले अधिकांश लोग गरीब और मजदूर पृष्ठभूमि से आते हैं। इसलिए महागठबंधन की सरकार को इसपर संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए।
मांग पत्र की कॉपी पढ़िए यहां ---
श्री नीतीश कुमार जी
माननीय मुख्यमंत्री बिहार सरकार, पटना
विषयः सारण कांड के मृतक परिजनों को मुआवजा और शराब माफिया गिरोहों के राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण की उच्चस्तरीय जांच के संबंध में.
महाशय,
सारण में जहरीली शराब से तकरीबन सत्तर मौतें बेहद दुखद और चिंताजनक है. मृतकों की संख्या व दायरे का लगातार विस्तार ही होता जा रहा है. इस सिलसिले में हमारी पार्टी के सिकटा विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, अगिआंव विधायक मनोज मंजिल, पूर्व विधायक अमरनाथ यादव, सारन जिला सचिव सभा राय आदि नेताओं के नेतृत्व में पार्टी की एक जांच टीम ने विगत 16 दिसंबर को जिले के मशरख, बहरौली सहित कई अन्य पीड़ित इलाकों का दौरा किया. स्थिति बेहद गंभीर है.
जांच टीम ने हादसे की चपेट में आए चंद्रमा राम, ब्रजेश यादव, नूर अंसारी आदि मृतकों के परिजनों से मुलाकात की. खुशी साह टोले का भी दौरा किया. अधिकांश मृतक गरीब व मजदूर पृष्ठभूमि के हैं. टोलों में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. घर के घर उजड़ गए हैं. मरने वाले तो इस दुनिया से चले गए लेकिन अपने पीछे परिवार को बेसहारा छोड़ गए हैं. उनके बाल-बच्चों का भविष्य अंधकारमय प्रतीत हो रहा है. ऐसी स्थिति में जनता द्वारा चुनी गई किसी सरकार का दायित्व अपने नागरिकों के प्रति पहले से कहीं अधिक बढ़ जाता है.
शराबबंदी की मांग भाकपा-माले की बहुत पुरानी मांग रही है. इसलिए जब आपने शराबबंदी कानून लाया तो हमने उसका समर्थन किया, लेकिन हमने बारंबार यह भी कहा कि शराब पीने वालों की बजाए अवैध तरीके से शराब के उत्पादन व वितरण में लगे माफिया गिरोहों को केंद्र करना चाहिए, जिन्हें राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण भी हासिल है. ऐसे गिरोहों ने शराब का एक पूरा अवैध तंत्र खड़ा कर रखा है, जिसमें वे गरीबों को भी शामिल कर लेते हैं. जबतक ऐसे गिरोहों पर कार्रवाई नहीं होती, मौतों का सिलसिला रूकने वाला नहीं और न ही शराबबंदी कानून अपने मकसद में कामयाब हो पाएगी.
सारण कांड के बहाने भाजपा महागठबंधन सरकार पर हमलावर होना चाहती है, लेकिन यह हर कोई जानता है कि जहरीली शराब से मौतों के मामलों में सबसे आगे भाजपा शासित प्रदेश ही हैं. मध्यप्रदेश एक नंबर पर है तो उसके बाद गुजरात. बिहार में भी भाजपा के कई बड़े नेताओं के नाम शराब के कारोबार में सामने आते रहे हैं. पूर्व मंत्री व भाजपा नेता रामसूरत राय संचालित स्कूल से शराब भरी ट्रक की बरामदगी का ठोस प्रमाण हमने आपको उपलब्ध करवाया था. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय सिन्हा के एक रिश्तेदार के यहां से भी बड़े पैमाने पर शराब की बोतलें पाए जाने की चर्चा है. सारण में भी लोगों ने बताया कि उत्तरप्रदेश से शराब से आई थी. भाजपा जिस प्रकार की पार्टी है, उसमें उसकी ऐसी किसी साजिश से कत्तई इंकार नहीं किया जा सकता. सारण कांड के पीछे भी ऐसे लोगों के नाम आ रहे हैं जो राजनीतिक व सामाजिक रूप से दबंग हैं. यदि इसकी सही से जांच हो तो सारा मामला खुलकर सामने आ जाएगा और भाजपा का पर्दाफाश हो जाएगा.
एक तरफ जहरीली शराब से मौतें हो रही हैं, तो दूसरी ओर पुलिस-प्रशासन ने इसे दलितों-गरीबों के उत्पीड़न का हथियार बना रखा है. यह अत्यंत दुखद व असंवेदशील रवैया है. आपको बताना चाहेंगे कि मसौढ़ी के हांसाडीह गांव में मुसहर, नट, डोम व अन्य पिछड़ी जातियों के टोले पर विगत 9 दिसंबर को पुलिस ने बर्बर दमन ढाया. महिलाओं को नंगा करके पीटा. इसके कारण 55 वर्षीय सोनवां देवी की मौत हो गई. इससे आम लोगों में काफी गुस्सा है.
महाशय, शराबबंदी कानून का तो कहीं से भी ऐसा उद्देश्य नहीं था.
शराब की लत के शिकार लोग कोई अपराधी नहीं है, बल्कि बुरी लत के शिकार हैं. अतः उनके प्रति सरकार को संवेदनशील रवैया ही अपनाना चाहिए.
अतः इस आलोक में हम आपसे निम्नलिखित बिन्दुओं पर विचार करने और तत्पश्चात उचित कार्रवाई की मांग करते हैं :-
1. मृतकों के परिजन व बाल-बच्चे अनाथ हो गए हैं. वे जहरीली शराब से उत्पन्न आपदा से पीड़ित हैं. प्रत्येक मृतक परिजन को 10 लाख रु. का मुआवजा और उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व भविष्य की जिम्मेवारी सरकार खुद ले. आपने अतीत में खजूरबनी जहरीली शराब हत्याकांड (गोपालगंज) के पीड़ितों को मुआवजा दिया भी है.
2. शराबबंदी के तहत दलितों-गरीबों पर दमन पर रोक लगाई जाए. मसौढ़ी के हांसाडीह कांड के दोषियों पर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर उनपर कार्रवाई की जाए. मृतक परिजन को 10 लाख का मुआवजा दिया जाए. अतीत में भी शराबबंदी में गिरफ्तार गरीबों की पिटाई से पुलिस हाजत में कई लोगों की मौतें हुई हैं.
3. शराब के उत्पादन व वितरण में लगे शराब माफिया गिरोहों व उन्हें मिल रहे राजनीतिक-प्रशासनिक संरक्षण की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए. सारण कांड के मामले में सरकार अपने स्तर से तत्काल एक जांच टीम गठित करें.
4. शराब को एक सामाजिक बुराई मानते हुए इसके खिलाफ सामाजिक स्तर पर अभियान चलाया जाए. इसमें विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों की मदद ली जा सकती है और उनके बीच किसी प्रकार की समन्वय समिति बनाई जा सकती है.
5. प्रत्येक प्रखंड पर कारगर नशामुक्ति केंद्र की स्थापना की जाए.