आखिर कौन है मेसर्स सुमंगल एसोसिएट्स : जिसके प्यादे बेच रहे हैं बीमारू कंपनी एसबीएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जमीन

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दिल्ली हाईकोर्ट में 24 वर्ष से बंद पड़ी एसबीएल इंडस्ट्रीज का मामला चल रहा है लिक्विडेशन में

मेसर्स सुमंगलम एसोसिएट्स के तीन गुर्गों ने प्लाट नंबर 2184 की 67 डिसमिल जमीन बेचने की रची साजिश

RANCHI : झारखंड की प्रतिष्ठित कंपनी एसबीएल इंडस्ट्रीज की जमीन को बिचौलियों ने बेचना भी शुरू कर दिया है. तहकीकात के क्रम में पता चला कि कोई मेसर्स सुमंगलम एसोसिएट्स के तीन लोग जमीन बेचने की साजिश में अब तक कई लोगों से लाखों रुपये की ठगी कर चुके हैं. इनके खिलाफ अब पीड़ित लोग केस मुकदमा भी करने लगे हैं.

बताते चलें कि राजधानी रांची के रातू में एसबीएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड एक प्रतिष्ठित कंपनी थी, जो पीयरलेस लिमिटेड के मालिक पीसी सेन की ओर से चलायी जा रही थी। अलग झारखंड राज्य बनने के बाद से यह कंपनी 2000 में बीमार हो गयी. फिलहाल इसका एक मुकदमा कंपनी लॉ बोर्ड में मध्यस्थता में फंसा हुआ है. वर्तमान में कंपनी की 50 एकड़ से अधिक जमीन पर बिचौलियों की नजर है, जिसकी कीमत 150 करोड़ से अधिक बतायी जाती है.

कंपनी की जमीन जो रातू मौजा के खाता संख्या 426 की है, उस जमीन के एक हिस्से को बेचने के लिए (लगभग 67 डिसमील जमीन) किसी उपेंद्र दुबे, महताब और माधुरी देवी ने अर्जुन कुमार के साथ 19 अक्तूबर 2021 को समझौता किया। तीन लाख रुपये की दर से सौदा प्रति डिसमिल तय भी हुआ. अर्जुन कुमार ने 40 लाख रुपये का भुगतान सुमंगलम एसोसिएट्स को चेक और आऱटीजीएस के माध्यम से किया। यह राशि 2021 से 2022 तक दी गयी. कई बार जमीन की रजिस्ट्री कराने का आग्रह करने पर भी तीनों आरोपियों ने पहले बहाना बनाया, फिर टालते हुए कह दिया की जमीन नहीं दिया जायेगा. इसके बाद याचिकाकर्ता अर्जुन कुमार ने दी गयी राशि की मांग की. 20 लाख का चेक तीनों आरोपियों ने अर्जुन कुमार को दिया, इसके अलावा 5 लाख का क्षतिपूर्ति चेक भी देने की बातें कही. चेक काटने के बाद तीनों आरोपियों ने चेक के इनकैश होने पर भी रोक लगवा दी.

उपेंद्र दुबे, महताब और माधुरी देवी अपने आप को सुमंगल एसोसिएट्स का मालिक बताते हैं. उपेंद्र दुबे देवी मंडल कमड़े के रहनेवाले हैं. इनके अलावा महताब अंसारी भी कोकोदोरो पिठौरिया का रहनेवाला है. इसके अलावा अरविंद पाठक की पत्नी माधुरी देवी भी सुमंगल एसोसिएट की मालकिन अपने आप को बताती हैं, जो प्रेम नगर हेसाग की रहनेवाली हैं. इन तीनों ने एसबीएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जमीन जिसका खाता संख्या 426 और प्लाट संख्या 2184 था, उसके तीन एकड़ 76 डिसमिल में से अर्जुन कुमार को 67 डिसमिल जमीन देने के लिए एग्रिमेंट किया. 19 अक्तूबर 2021 को तीनों ने अर्जुन कुमार से 20 लाख रुपये पेशगी ली और समझौता किया. इसके बाद एक साल के दौरान और 20 लाख रुपये तीनों ने अलग-अलग तिथियों में फिर से लिया.

हरमू निवासी अर्जुन कुमार ने फर्स्ट क्लास ज्यूडिशीयल मजिस्ट्रेट 24 के यहां 1047 ऑफ 2024 परिवाद दायर कर धोखाधड़ी कर गलत जमीन देने का आरोप लगाया है. अर्जुन कुमार ने कहा है कि एचडीएफसी बैंक सिंह मोड़, हटिया के चेक संख्या 000003 के जरिये तीनों आरोपियों की ओर से 30.9.2023 की तिथि से एक चेक निर्गत किया गया था, जो बाउंस कर गया. इसके बाद इन्हें 23 दिसंबर 2023 को वकालती नोटिस भेजी गयी. मामले पर सभी आरोपियों ने अदालत से अग्रिम जमानत भी ले रखी है. इन तीनों की तरफ से एचडीएफसी बैंक का 20 लाख का चेक दिया गया, जिसे इनकैश करने के लिए अर्जुन कुमार ने 13 दिसंबर 2023 को उसे इंडियन बैंक में जमा कराया गया और 14 दिसंबर को चेक पर भुगतान करने से रोक लगाने का आदेश इन तीनों ठगों ने बैंक से करा दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट में 321 ऑफ 2001 का मामला अब भी है लंबित आपको बताते चलें कि दिल्ली हाईकोर्ट में कंपनी पीटीशन 321 ऑफ 2001 अब भी लंबित है. इसमें एसबीएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड से जुड़े अभय कुमार, मो गुलजार हुसान और शंभू एस कुमार ने पूर्व मैनेजमेंट पीसी सेन और आधिकारिक लिक्विडेटर को प्रतिवादी बनाया है. इसमें अदालत की तरफ से 26 सितंबर 2021 के फौसले को रिकाल करने की जिरह की गयी है. मामला पीसी सेन की ओर से अभय कुमार, मो गुलजार और शंभू एस कुमार की ओर से किये गये ट्रांसफर ऑफ शेयर के तहत भागीदारी की बात कही गयी है. इतना ही नहीं एक और दावेदार यानी हजारीबाग के रहनेवाले प्रदीप प्रसाद भी कह रहे हैं कि उन्होंने भी पीसी सेन से समझौता कर एसबीएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयर अपने नाम करा लिये हैं. मामला जो भी हो अब तक 505 कर्मियों को न तो कंपनी के बंद होने के बाद कुछ पैसा मिला और न ही रीटायर होनेवाले लोगों को सेवानिवृति लाभ. कंपनी के अलग-अलग दावेदारों की वजह से कर्मियों की भी मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं. साथ ही साथ 24 वर्षों से मामला अदालत में ही विचाराधीन है.


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