भारत में बढ़ते कैंसर के इलाज पर चर्चा : एक्सपर्ट्स ने साझा की विशेष जानकारी, RGCIRC ने वार्षिक सम्मेलन का किया आयोजन

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 Discussion on increasing cancer treatment in India  Discussion on increasing cancer treatment in India

NEW DELHI : राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र (RGCIRC) ने एसोसिएशन ऑफ मेडिकल फिजिसिस्ट्स ऑफ इंडिया (उत्तरी भाग) के 29वें वार्षिक सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया। एडवांस्ड मेडिकल फिजिक्स के नजरिए से "तकनीकी विकासः कैंसर देखभाल के क्षेत्र में जड़ों का भविष्य से जुड़ाव" (टेक्नोलॉजिकल एडवांसेजः कनेक्टिंग रूट्स टू फ्यूचर इन कैंसर केयर) विषय पर आयोजित कार्यक्रम भारत में बढ़ते कैंसर की समस्या को सुलझाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल थी।

सम्मेलन ने अत्याधुनिक तकनीकों और नवीन अनुसंधान के माध्यम से कैंसर देखभाल में क्रांति लाने के लिए भौतिक विज्ञानियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों के देखते हुए परीक्षण शुद्धता और इलाज की प्रभावकारिता में वृद्धि के लिए नई तकनीकों और सटीक एवं प्रभावशाली तौर-तरीकों के उपयोग पर जोर दिया गया। एम्स और आईआईटी दिल्ली सहित दुनियाभर के अग्रणी संस्थानों के सुप्रसिद्ध वक्ताओं ने कैंसर विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति और बेहतरीन भविष्य पर जानकारियां साझा की।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के प्रोफेसर और अतिथि वक्ता डॉ. डीएस मेहता ने एडवांस्ड डायग्नोस्टिक टूल्स में ऐसे संयुक्त अनुसंधान की जानकारी साझा की, जिसमें कैंसर के शीघ्र पता लगाने के लिए कृत्रिम मेधा के साथ ऑप्टिकल इमेजिंग का उपयोग किया जाता है। वहीं, मुख्य अतिथि और जीबी पंत अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अनिल अग्रवाल ने कैंसर के मरीजों के लिए बेहतर होते परिणामों में भौतिक विज्ञानियों की महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला।

"कैंसर के विरुद्ध हमारी लड़ाई में भौतिक विज्ञानियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब हम भारत में इस बीमारी की बाढ़ सी देख रहे हैं," उन्होंने कहा।

आयोजन समिति के चेयरमैन और आरजीसीआईआरसी में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ मुनीश गैरोला ने कार्यक्रम की सफलता पर संतोष व्यक्त किया। "इस सम्मेलन ने न केवल मेडिकल फिजिक्स के क्षेत्र के मंचों के लिए नये मापदंड स्थापित किये हैं बल्कि तकनीकी नवाचार से भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए स्पष्ट, कार्रवाई योग्य रणनीतियों की रूपरेखा प्रदान की है। नवाचार के प्रति हमारी सम्मिलित विशेषज्ञता और प्रतिबद्धता न केवल आज की हमारे समक्ष चुनौतियों का समाधान कर रही है, बल्कि हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें उन्नत, सटीक और सहानुभूतिपूर्ण देखभाल आम होंगी."

दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान परीक्षण प्रक्रियाओं में एआई के साथ एकीकरण से लेकर प्रोटॉन थेरेपी से जुड़ी नवीनतम प्रगति और हाई-प्रिसिजन रेडियोथेरेपी तकनीकों आदि कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इन विचार-विमर्शों में कैंसर के इलाज के लिए बहुमुखी प्रणाली की आवश्यकता को रेखांकित किया यानी पूरे भारत में मरीजों के लिए बेहतर परिणामों हेतु परंपरागत मेडिकल प्रेक्टिसों के साथ भविष्य की तकनीकों का मिश्रण।

एएमपीआई-एनसी के चेयरमैन और एलएलआरएम मेरठ में मेडिकल फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ अजय श्रीवास्तव ने जोड़ते हुए कहा कि "इस सम्मेलन ने फिर से कैंसर के इलाज में मेडिकल फिजिक्स की महत्वपूर्ण भूमिका को अग्रिम पंक्ति के रक्षक के तौर पर स्थापित किया है। इस क्षेत्र के सबसे प्रतिभाशाली विशेषज्ञों के इस सम्मेलन में हमारी चर्चा परंपरागत सीमाओं को पार कर गई, जिसमें कैंसर की देखभाल की दिशा में नये रास्तों के निर्माण के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और क्लीनिकल सटीकता का विलय दिखा।

यहां पर दिखी जबरदस्त सहभागिता और समृद्ध परिचर्चा न केवल हमारे मिशन को सुदृढ़ किया है बल्कि नवाचार और सहयोग के माध्यम से मरीजों के लिए परिणामों का परिदृश्य बदलने के हमारे सामूहिक संकल्प को नई ऊर्जा प्रदान की है।"

एएमपीआई-एनसी के प्रेजिडेंट डॉ. एमके सेमवाल ने भी कैंसर की जांच-पड़ताल और उपचार में आयनित विकिरण के सुरक्षित एवं सटीक इस्तेमाल को सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल फिजिसिस्टों की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की।

चीफ मेडिकल फिजिसिस्ट एवं रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर (आरएसओ) और एएमपीआई-एनसी कॉन 2024 की आयोजन समिति के सेक्रेटरी डॉ. मनिंद्र भूषण मिश्रा ने कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लेने के लिए मेडिकल फ्रेटर्निटी को धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि "हम सब यहां से प्राप्त ज्ञान और गहन जानकारी को मरीजों की सेवा में उपयोग, भौतिक विज्ञान में नई पहलें और कैंसर के क्षेत्र की उन्नति की दिशा में योगदान करने के लिए सामूहिक प्राण करते हैं।

सम्मेलन ने एक सहयोगी हब के रूप में भी काम किया, जिसने सम्बन्ध स्थापित किए और कैंसर से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के उद्देश्य से भविष्य की साझेदारियों के लिए मंच तैयार किया। विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ इस कार्यक्रम में आधुनिक चिकित्सा उपचार की अंतर्विषयक प्रकृति और कैंसर से निपटने के लिए आवश्यक वैश्विक प्रयासों पर प्रकाश डाला गया।

मेडिकल फिजिक्स समाज की ऊर्जा से प्रभावित होकर एएमपीआई-एनसी कॉन 2024 की समाप्ति पर राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईआरसी) ने कैंसर देखभाल के क्षेत्र में उन्नति लाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस सम्मेलन से प्राप्त अंतर्दृष्टि से कैंसर उपचार प्रोटोकॉल को प्रभावित करने और नई शोध पहलों का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जिससे भारत के बढ़ते कैंसर संकट से निपटने में सहायता मिलेगी।

एएमपीआई-एनसी कॉन 2024 और भविष्य के कार्यक्रमों पर अधिक जानकारी के लिए कृपया www.recirc.org पर जाएं।

आरजीसी आईआरसी के बारे में:

वर्ष 1996 में स्थापित हुआ राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र कैंसर के इलाज के लिए एशिया के प्रमुख अद्वितीय केंद्रों में गिना जाता है, जहां सुप्रसिद्ध सुपर स्पेशलिस्टों के देखरेख में अत्याधुनिक तकनीकों से विशिष्ट इलाज किया जाता है। लगभग 2 लाख वर्ग फुट में फैले और नीति बाग में एक और सुविधा के साथ रोहिणी में 500+ बिस्तरों की वर्तमान क्षमता के साथ आरजीसीआईआरसी महाद्वीप के सबसे बड़े टर्टियरी कैंसर देखभाल केंद्रों में से एक है। साढ़े तीन लाख (3.5) से ज्यादा मरीजों के सफल इलाज के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ, संस्थान में अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ तकनीकें जैसे पूरे शरीर की रोबोटिक सर्जरी, साइबर नाइफ, टोमोथेरेपी, टू बीम (अगली पीढ़ी की इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी), इंट्रा-ऑपरेटिव ब्रैकीथेरेपी, पीईटी एमआरआई फ्यूजन और अन्य उपलब्ध हैं। आरजीसीआईआरसी में श्री स्टेज एयर फिल्ट्रेशन और गैस स्केवेंजिंग सिस्टम के साथ 14 अत्याधुनिक सुसज्जित मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और और डे केयर सर्जरी के लिए 3 माइनर ऑपरेशन थिएटर हैं। संस्थान को लगातार भारत के सर्वश्रेष्ठ ऑन्कोलॉजी अस्पतालों में घोषित किया जाता रहा है और इसे कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। अधिक जानकारी के लिए कृपया https://www.rgeire.org/ पर क्लिक करें।


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