विधान मंडल का शीत कालीन सत्र खत्म : शराब की खाली बोतले और माननीयो के आचरण के कारण हंगामेदार रहा सत्र

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29 नबंंबर से शुरू हुए बिहार विधान मंडल का शीत कालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया. पांच दिनो के अल्पकालीन सत्र में की शुूरूआत में ऐसे कयास लगाये जा रहे थे कि जन हित के मुद्दे जैसा कि विपक्षी नेताओं ने दावा किया था कि शराबबंदी कानून के बाबजूद जहरीली शराब से हुई मौते किसानो के बीच खाद बीज की समस्या कानून व्यवस्था और बालू की किल्लत के अलावे बढती महंगायी जैसे जनहित से जुड़े मुद्दे को लेकर विपक्ष सदन के बाहर और सदन के भीतरसरकार की परेशानी का सबब बनेगा. लेकिन इसके ठीक उलट चार दिनो तक चलने वाले प्रश्नोत्तर काल केवल गुरूवार को 15 मिनट के लिये छोड़ दे तो शाति पूर्ण तरीके से चला .

लेकिन इन सब जनहित से जुडे मुद्दो को दरकिनार करने के बावजूद यह सत्र काफी हंगामेदार रहा और इसमें क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष दोनो के ही माननीय तार - तार हुए.

सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले ही विधान सभा परिसर में राजद सदस्य भाई वीरेन्द्र और बीजेपी सदस्य संजय सराबगी के बीच हुई भिंडत और अपमान जनक टिप्पणी के बाद एक दूसरे को देख लेने की धमकी से पूरा परिसर तो शर्मशार हुआ ही सदन के अंदर भी इस मामले को लेकर काफी हंगामा हुआ और सदन का माहौल पूरे तरह से गर्म रहा .

ठीक इसी दिन दोपहर बाद विधान सभा परिसर में शराब की खाली बोतले मिलने और इस मामले को लेकर विधान सभा में विरोधी दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा हंगामा मचाये जाने के बाद मुख्यमंत्री ने इसकी जांच का आदेश मुख्य सचिव और डीजीपी को देकर विपक्षी दल के सदस्यो की बोलती तो बंद की ही अधिकारियो को भी सख्त संदेश दिया कि सरकार शराबबंदी के मामले में पीछे हटने को तैयार नही है.

बुधवार को भाई वीरेन्द्र और संजय सरावगी प्रकरण का पटाक्षेप हुआ भी नही था कि गुरूवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले ही राज्य के श्रम संसाधन मेंत्री जीवेश कुमार मिश्रा की गाड़ी को ट्रेफिक पुलिस कर्मियो द्रारा रोके जाने का मामला तूल पकड़ा और इस मामले को लेकर जहां श्री मिश्रा ने खुद सदन के अंदर विधान सभा अध्यक्ष से न्याय की गुहार लगायी तो सत्तादारी और विपक्षी सदस्यो ने इस मामले में दोषी अधिकारियो के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की . सदन में हंगामा होता देख विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिंहा ने 15 मिनट के लिये सदन की कार्यवाही स्थगित की और दलीय नेताओ के साथ बैठक की.

इस बैठक में कोई फैसला नही होने के बाद फिर 1.15 बजे बैठक बुलायी गयी और उसमें डीजीपी और गृह विभाग के अपर मुख्य गृह सचिब को तलब किया गया . शाम में 5 बजे दोनो अधिकारी विधान सभा पहुंचे भी और उन्होने विधान सभा अध्यक्ष से मुलाकात करने के बाद सफाई भी दी कि माननीय मंत्री को अपमानित करने की कोई मंशा उनकी नही थी. इस बीच दोपहर में ही विपक्षी दलो का एक शिष्टमंडल तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जातीय जनगणना कराने की मांग की तो शाम में विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिंहा ने भाई वीरेन्द्र और संजय सरावगी को गले मिलाकर मामले का पटाक्षेप कराया.

वही गुरूवार की रात ही डीएम और एसएसपी पटना ने जीवेश मिश्रा के सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात कर इस मामले को खत्म करने का आग्रह किया. लेकिन शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद माले सदस्य महबूब आलम ने इस मामले को सदन में फिर उठाया और मंत्री को न्याय दिलाने की मांग की . लेकिन मंत्री जीवेश मिश्रा द्वारा इस मामले में डी एम और एस पी द्वारा माफी मांगे जाने की जानकारी देने के बाद यह माामला शांत हो गया.

सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान ही पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से रिहाई का मामला गरमाया और विपक्षी सदस्यो और खासकर आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद ने राज्य सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया लेकिन सदन में प्रभारी गृह मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव ने दावा किया कि लोकसेवक की हत्या किये जाने के कारण आनंद मोहन की गिरफ्तारी संभव नही है.

विधान मंडल के शीत कालीन सत्र की शुरूआत विधान सभा में राष्ट्रीय गान से शुरू हुई तो अंत राष्ट्रीय गीत से. हालांकि ए आई एम एम को छोड़कर इस परंपरा का सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यो ने स्वागत किया. जबकि ए आई एम एम विधायक दल के नेता अख्तरूल ईमान ने इस पर आपत्ति जतायी .

5 दिनो तक चले विधान मंडल के इस छोटे सत्र में राज्य सरकार अपना विधायी कार्य पूरा करने में पूरी तरह सफल रही. सरकार ने सदन से 4 महत्वपूर्ण विधेयक के अलावे द्वितीय अनुपूरक बजट पास कराने में सफलता पायी लेकिन सदस्यो के व्यक्तिगत आचरण के कारण यह सत्र काफी दिनो तक याद किया जायेगा.

अशोक मिश्रा , कशिश न्यूज .


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