तेजस्वी की शरण में शरद यादव : कभी लालू- नीतीश के नेता रहे एलजेडी सुप्रीमो, पार्टी को आरजेडी में किया विलय

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DESK : कभी देश में छात्र राजनीति के बड़े चेहरे रहे शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का विलय आज राष्ट्रीय जनता दल में विधिवत हो गया। 1997 में शरद यादव के कारण ही राष्ट्रीय जनता दल का गठन करने वाले लालू की पार्टी में खुद शरद यादव ने 25 वर्षो बाद अपनी पूरी पार्टी का ही विलय कर दिया।

1974 के छात्र आंदोलन के वक्त मध्य प्रदेश के जबलपुर से लोक सभा का चुनाव जीत कर राष्ट्रीय राजनीति में सुर्खियों में आये छात्र नेता शरद यादव 1977 के जनता पार्टी की लहर में भी दूसरी बार सांसद बने। 1986 में राज्य सभा सदस्य और 1989 - 1990 में बी पी सिंह की सरकार में केन्द्रीय कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बने शरद यादव उस समय देवीलाल के काफी करीब और लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के नेता हुआ करते थे।

चारा घोटाला में लालू प्रसाद के खिलाफ कोर्ट में मामला जाने के बाद शरद यादव और लालू के बीच भी खटास शुरू हुई थी। इसकी वजह जनता दल के कार्यकारी अध्यक्ष शरद यादव के खिलाफ लालू ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिये ताल ठोका और अपने निकटम सहयोगी रघुवंश प्रसाद सिंह को निर्वाचन अधिकारी बनाया। लेकिन शरद ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और मधुदंडवते को निर्वाचन अधिकारी बनाया। चुनाव में अपनी हार देख लालू प्रसाद यादव ने 1997 में अपनी अलग पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बनाया और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये।

लालू का साथ छोड़ने के बाद शरद यादव जार्ज फर्णांडिस और नीतीश के साथ आये और जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। 2015 में नीतीश लालू के साथ आने के बाद महागठबंधन की सरकार बनने के बाद 2017 में नीतीश का फिर से बीजेपी के साथ जाना शरद को रास नही आया और उन्होनें इसका विरोध किया था। साथ ही राज्य सभा सदस्य अली अनवर और पूर्व सांसद अर्जुन राय समेत अनेक नेताओं के साथ मिलकर शऱद यादव ने नयी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल बनाया। हाालंकि 2019 में शरद यादव ने राजद के लालटेन चुनाव चिन्ह पर ही मधेपुरा से लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन बुरी तरह पराजित हुए। दूसरी तरफ जदयू ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता ही नही दिखाया उनकी राज्य सभा की सदस्यता भी खत्म करवाई।

74 वर्षीय शरद यादव का राजनीतिक पतन 2018 से ही शुरू हो गया जब उन्होनें नीतीश से बगावत की। राज्य सभा की सदस्यता समाप्त होने के बाद उनका सरकारी बंगला 7 तुगलक रोड भी उन्हें खाली करना पड़ रहा है चूंकि यह बंगला केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस को आवंटित हो चुका है।

राज्य सभा की सदस्यता और दिल्ली में सरकारी आवास से बेदखल शरद यादव के लिये लालू का लालटेन पकड़ने के अलावा कोई दूसरा उपाय भी नही था.हालांकि पिछले दिनो उनकी तबीयत का हाल जानने लालू भी उनके आवास पर पहुंचे थे तो तेजस्वी भी। तेजस्वी ने उन्हें राज्य सभा भेजने का भरोसा भी दिया है.तेजस्वी से मुलाकात के बाद ही शरद ने उन्हें अपनी विरासत सौंपने की बात भी कही थी।

रविवार को शरद यादव के दिल्ली आवास पर विधिवत रूप से एल जे डी का विलय आरजेडी में हो गया है। हालांकि इस अवसर पर शरद यादव ने इस विलय को पूर्व वर्ती जनता दल को एक जुट करने की पहल की शुरूआत की है लेकिन शरद यादव को राजद में शामिल कराकर तेजस्वी ने यदुवंशियो को यह संदेश देने की कोशिश की है कि सही मायने में यदुवंशियो की हिमायती राजद ही है।

हालांकि इस विलय समारोह में लालू परिवार से तेजस्वी और मीसा भारती के अलावा राजद के सभी बड़े नेता शिवानंद तिवारी श्याम रजक , ए डी सिंह , मनोज कुमार झा , श्याम रजक , अब्दुल बारी सिद्दिकी जय प्रकाश यादव मौजूद रहे। इन नेताओं की मौजूदगी यह बताने के लिये काफी है कि करीब 25 वर्षो के बाद शरद यादव की पुराने घर में वापसी तो हुई है लेकिन वे अब लालू के नेता नही लालू के पुत्र तेजस्वी उनके नेता होंगें।

अशोक मिश्रा , कशिश न्यूज .


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