सीमा सुरक्षा बल का स्थापना दिवस : राज्यपाल रमेश बैस ने कहा- आप जवानों के शौर्य पर सभी देशवासियों को गर्व..

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हजारीबाग। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने सीमा सुरक्षा बल के हजारीबाग मेरू कैम्प पहुंचे। इस पर आयोजित समारोह में शिरकत की। इस मौके पर राज्यपाल ने अपने भाषण में सीमा सुरक्षा बल के जवानों के अदम्य साहस की सराहना की।

सीमा सुरक्षा बल अर्धसैनिक बल के रूप में देश सेवा में 01 दिसंबर 1965 से निरंतर कार्यरत है। सीमा सुरक्षा बल 25 वाहिनी के साथ स्थापित हुई और आज 192 वाहिनी के साथ राष्ट्र की सुरक्षा में है। इस बल ने अपनी स्थापना के कुछ समय उपरांत ही सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में मुक्ति वाहिनी को तैयार कर भारतीय सेना के साथ अपने अदम्य साहस शौर्य और कर्तव्य निष्ठा का अद्वितीय परिचय दिया।

इस मौके पर राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल का गौरवशाली इतिहास रहा है और जवानों के शौर्य पर हम सभी देशवासियों को गर्व है। हम सभी देशवासी अपने जवानों के कारण ही चैन की नींद सोते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल दुनिया में सबसे बड़े सीमा रक्षक बलों में शामिल हैं और इसने देश की सुरक्षा हेतु समर्पित भाव से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर व शौर्य के बल पर देश के एक जिम्मेदार व विश्वसनीय सशस्त्र बल होने का गौरव भी हासिल किया है।यह बल पाकिस्तान और बांग्लादेश के समीप विशाल अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ और ओडिशा के वामपंथी उग्रवाद व अन्य चुनौतियों से निपटने की अतिरिक्त जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभा रहा है।सीमा सुरक्षा बल के अस्तित्व में आने के पहले वर्ष में ही 18 नवंबर 1966 से प्रशिक्षण केन्द्र एवं विद्यालय को देश की सुरक्षा में लगे सीमा सुरक्षा बल के रणबांकुरो को बेसिक प्रशिक्षण के साथ कमांडो,सपोर्ट वेपन,फील्ड ईंजिनियरिंग,बम्ब डिस्पोजल व पी.टी. व यू.ए.सी. में विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने का अहम जिम्मा सौंपा गया।


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