राज्यपाल रमेश बैस ने छात्रो को किया संबोधित : भारतीय छात्र संसद संस्था एवं एम.आई.टी. स्कूल ऑफ़ गवर्नमेंट के कार्यक्रम में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े राज्यपाल

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RAJYAPAL RAMESH BAISH NE CHATRO KO KIYA SAMBODHIT RAJYAPAL RAMESH BAISH NE CHATRO KO KIYA SAMBODHIT

RANCHI:-भारतीय छात्र संसद संस्था एवं एम.आई.टी. स्कूल ऑफ़ गवर्नमेंट, पुणे द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस भी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े।

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि भारत विश्व का सर्वाधिक युवा देश है। ऐसे में हम सभी को सशक्त और स्वस्थ युवा पीढ़ी तैयार करने की दिशा में प्रभावी भूमिका का निर्वहन करना है जो भावी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो।

राज्यपाल ने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी है कि राजनैतिक और सामाजिक विचारों से ओतप्रोत युवाओं के राजनीति में प्रवेश और प्रशिक्षण के लिए सर्वप्रथम वर्ष 2005 में एम.आई.टी. स्कूल ऑफ गवर्नमेंट की स्थापना की गई थी एवं वर्ष 2011 में भारतीय छात्र संसद के रूप में तीन दिवसीय वार्षिक आयोजन प्रारंभ किया गया जिसमें विश्व के सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय युवा, लोकतांत्रिक पद्धति से राष्ट्रीय एवं वैश्विक समस्याओं पर सार्थक संवाद करते हैं।

मेरा विचार है कि राजनीति सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का साधन है। इसके माध्यम से आप जहाँ विभिन्न सामाजिक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, वहीं विभिन्न जन-कल्याणकारी नीतियों के निर्माण से लोगों का आर्थिक उन्नयन भी किया जा सकता है।

आज का युवा विभिन्न तकनीकों का उपयोग करता है और सोशल साइट्स के विभिन्न आयामों को अपनाता है। विश्व के सभी देशों की अच्छी-बुरी गतिविधियों पर नजर रहती है। वह अपने यहाँ भी उस अनुकूल समाज का निर्माण करना चाहता है जिसमें लोगों का सम्पूर्ण विकास हो।

दुनिया को अब सिर्फ जी.डी.पी. की ही नहीं, बल्कि जी.डी.एच. यानी ग्रॉस डॉमेस्टिक हैप्पीनेस की भी जरूरत है। शासकीय नीतियों में यह परिवर्तन केवल देश के युवा ही ला सकते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि राजनीतिक और सामाजिक रूप से जागरूक युवाओं को राजनीति की मुख्य धारा में अवश्य आना चाहिए और परिवर्तन का माध्यम बनना चाहिए। अच्छे लोग राजनीति में आयेंगे नहीं तो समस्याओं पर गंभीर चर्चा ही नहीं हो पायेगी और जब समस्याओं पर चर्चा ही नहीं होगी तो उनका निदान भी नहीं होगा। युवाओं को भारतीय संविधान को पढ़ना एवं समझना चाहिए तथा अपने अधिकारों का ज्ञान भी होना चाहिए।

खुद के बारमें चर्चा करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि मैं जब राजनीति में आया तो क्षेत्र की कई समस्याएँ थी। विधायक से लेकर एक सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री के तौर पर उसके यथोचित निदान हेतु हमेशा सक्रिय रहा। मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे रायपुर की जनता ने 1989 से 2019 तक 7 बार लोक सभा में प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया।

मैं राजनीति को समाजसेवा का सशक्त साधन मानता हूँ। राजनीति और शासन में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। हमारे युवा शक्ति राष्ट्र का भविष्य है और उन्हें स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 35 प्रतिशत से अधिक आबादी युवाओं की हैं। इनकी रचनात्मक और सृजनशील ऊर्जा के विकास हेतु भारतीय छात्र संसद द्वारा उन्हें राष्ट्र निर्माण की विभिन्न गतिविधियों में शामिल करना एक सराहनीय प्रयास है।

राज्यपाल ने कहा कि भारतीय छात्र संसद में अलग-अलग चिंतन सत्र आयोजित किए जाने की जानकारी उन्हें मिली है।प्रत्येक सत्र के पश्चात देश-विदेश से आए हुए हजारों युवा अपनी राय प्रकट करते हैं, जिन्हें प्रस्तावों के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं सरकार के विभिन्न विभागों को भेजा जाता है।

मेरा मानना है कि गुणात्मक शिक्षा प्रणाली के माध्यम से समाज को फिर से नया स्वरूप दिया जा सकता है। इतिहास गवाह है कि हम कभी पूरी दुनिया के मार्गदर्शक हुआ करते थे। तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे प्राचीन एवं विकसित विश्वविद्यालय हुआ करते थे। ये विश्वविद्यालय दुनिया भर के सबसे मेधावी विद्यार्थियों तथा विद्वानों के लिए आकर्षण का केंद्र थे। हमें फिर से वह स्थान प्राप्त करने का प्रयास करना होगा।

वर्तमान में मुझे झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य करने का दायित्व मिला है। यह राज्य चारों तरफ खनिज सम्पदा, पहाड़ियों एवं वनों से भरा प्रकृति का मनोरम स्थल है। प्राकृतिक दृष्टिकोण से यह अत्यन्त समृद्ध प्रदेश है। यहाँ की स्वर्णिम भूमि वन-संपदा से संपूर्ण है। यहाँ कई महान हस्तियों ने जन्म लिया जिन्होंने शोषित और वंचित वर्ग के कल्याण के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया। बिरसा मुंडा, सिदो, कान्हु, वीर बुधु भगत, ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जैसे अनगिनत वीरों के बलिदान एवं स्वतन्त्रता सेनानियों के त्याग के कारण हमारा देश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विश्व के मानचित्र पर स्थापित हो सका और देश की आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान और सामाजिक सद्भावना के लिए किए गए उनके प्रयास देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

मुझे विश्वास है कि सभी देशवासी आज़ादी के इस अमृत महोत्सव से जब जुड़ेंगे, लाखों स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणा लेंगे तो भारत बड़े से बड़े लक्ष्यों को पूरा कर सकेगा।


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