देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती : सीवान के जीरादेई समेत समूचे देश में किया जा रहा है याद
PATNA. देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की आज जयन्ती है।इस अवसर पर आज उनके पुश्तैनी गांव सीवान के जीरादेई के साथ देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है।देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की विद्धता की चर्चा देश के साथ ही विदेशों में भी होती है। उनका जन्म 3 दिसम्बर 1884 को सीवान के जीरादेई गांव हुआ,और 28 फरवरी 1963 को उनका देहांत हो गया था।
राजेन्द्र बाबू को कई विषयों के जानकार थे।उन्हौने शुरूआती पढाई मौलवी साहब से फारसी से शुरू हुआ था।उसके बाद वे अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए छपरा के जिला स्कूल गए. राजेन्द्र बाबू की शादी मात्र 13 वर्ष की उम्र में राजवंशी देवी से हुआ था।18 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा दी. उस प्रवेश परीक्षा में उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था. साल 1902 में उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया.. 1915 में उन्होंने स्वर्ण पद के साथ एलएलएम की परीक्षा पास की और बाद में लॉ के क्षेत्र में ही उन्होंने डॉक्ट्रेट की उपाधि भी हासिल की.
पराधीन भारत से लेकर आजाद भारत में राजेन्द्र प्रसाद की भूमिका अहम रही है।राष्ट्रपति बनने से पहले वे स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अंग्रेजों के खिलाफ संधर्ष किया था।संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में उन्हौने अपनी महती भूमिका निभाई। 12 वर्षों तक लगातर राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात उन्होंने 1962 में खुद से अवकाश लेने की घोषणा की. अवकाश ले लेने के बाद ही उन्हें भारत सरकार की ओर से सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया.।राजेन्द्र प्रसाद सादगी पसंद आदमी थे यही वजह है कि 12 साल राष्ट्रपति रहने के बाद वे अपना शेष जीवन सदाकत आश्रम में गुजारा और 28 फरवरी 1963 को वे हम सबको छोड़कर चले गए.