36 का आंकडा! : बनता जा रहा नीति आयोग और बिहार सरकार के बीच..आयोग की रिपोर्ट में बिहार फिसड्डी हो रहा तो बिहार सरकार की भृकुटि तनी...

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पटना। बिहार सरकार और नीति आयोग के बीच लगता है, इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा। पिछले कुछ समय में नीति आयोग ने जितनी भी रिपोर्ट बिहार से संबंधित दी है, उसमें बिहार लगभग फिसड्डी दिख रहा है। ऐसे में बिहार को विकास की राह पर ला चुकी राज्य सरकार का इन रिपोर्टों पर भृकुटि तनना स्वभाविक है। पहले नीति आयोग ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खडे किये थे। और अब आयोग की ओर से जारी नेशनल मल्टी डायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स की रिपोर्ट में बिहार के 38 में 22 जिलों की आधी से अधिक आबादी को गरीब करार दिया है। इनमें से 11 जिलों में से 60 प्रतिशत की आबादी गरीब है। लेकिन राज्य़ सरकार की नजर में आयोग की रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा है।

नीति आयोग समय समय पर देश के सभी राज्यों का अलग अलग मुद्दों पर अपनी रिपोर्ट देता है। आंकडों के जरिए नीति आयोग यह बताता है कि फलां विषय पर कौन सा राज्य इस समय देश में किस स्थान पर है। यानि अमुक मामले में राज्य में कितना विकास हुआ या नहीं हुआ। नीति आयोग ने अभी एक रिपोर्ट जारी की है जिसमेंइसमें7प्रमुख सूचकांकों में बिहार की स्थिति बेहद खराब बताई गई है.52 फीसदी आबादी को पोषक आहार आहार नहीं मिल रहा है. मैटरनल हेल्थ,इलेक्ट्रिसिटी,स्कूल अटेंडेंस और कुकिंग फ्यूल आदि के मामलों में भी बिहार की स्थिति बहद खराब बताई गई है। नेशनल मल्टी डायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स की रिपोर्ट में बिहार में 2011 की आबादी के हिसाब से 22 जिलों में लोग गरीब हैं। इसमें से 11 जिले किशनगंज, अररिया, मघेपुरा, पूर्वी चंपारण, सुपौल, जमुई, सीतामढी, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा और शिवहर जिलों में 60 प्रतिशत से अधिक गरीबी है। हैं। इसमें से सबसे अधिक किशनगंज में सबसे अधिक गरीबी है। वहां 64.79 फीसदी लोग गरीब हैं। जबकि पटना सबसे अमीर जिला है। यहां मात्र 29.20 प्रतिशत लोग ही गरीब हैं।

नीति आयोग की इस रिपोर्ट से बिहार सरकार बेहद नाराज है। राज्य सरकार का कहना है कि यह पूरी रिपोर्ट तथ्यहीन और निराधार है। जिन कामों को केन्द्र सरकार ने प्रशंसा की है, वह नीति आयोग को नहीं दिख रहा। उर्जा मंत्री विजेन्द्र यादव के अनुसार, कोई इस तथ्य को स्वीकार ही नहीं कर सकता कि बिहार में 40 फीसदी घरों में बिजली नहीं है। विजेन्द्र योदव ने कहा कि इस तरह की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

इससे पहले नीति आयोग ने कुछ समय पहले स्वास्थ्य मामलों पर भी एक रिपोर्ट दी थी। Indian public Health Standards guideline के अनुसार, प्रति एक लाख की आबादी पर बिहार के अस्पतालों में महज 6 बेड है। यानि पूरे देशभर के राज्यों में सबसे कम। पडोसी राज्य झारखंड की भी बिहार से बेहतर थी। वहां प्रति एक लाख की आबादी पर 9 बेड दिखाया गया था। इस रिपोर्ट के आने के बाद भी बिहार के सियासी हलकों में हंगामा मचा था। उस समय भी सरकार की ओर से कहा गया था कि हेल्थ सेक्टर में बिहार में तेजी से काम हुआ, लेकिन नीति आयोग की रिपोर्ट जमीमी सच्चाई से अलग है।





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