कहीं पे निगाहे कहीं पे निशाना : बीजेपी-जेडीयू में रार, नालंदा जहरीली शराब का विवाद गहराया

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PATNA : नये साल की शुरूआत में ही यानि खरमास खत्म होते ही नालंदा जिले के सोहसराय में जहरीली शराब ने करीब 14 लोगों की जानें लील ली है. हालांकि शुरू से ही इस घटना की लीपापोती कर रहे स्थानीय प्रशासन के अधिकारी जहरीली शराब से हुई मौत से साफ इंकार करते रहे हैं लेकिन रविवार को जिलाधिकारी ने माना कि यह मौत जहरीली शराब से हुई है. हालांकि इस मामले में सबसे पहले बलि का बकरा सोहसराय के थानाध्यक्ष इंसपेक्टर सुरेश प्रसाद को बनाया गया है और आई जी ने उन्हें सस्पेड कर दिया है .

लेकिन इस मामले को राज्य का राजनीतिक तापमान एकाएक गरमा गया है. राजधानी पटना समेत पूरे सूबे में जारी शीत लहर के बीच राजनीतिक दलो के बीच जारी बयान बाजी ने सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की सरकार का संकट बढा दिया है.

दर असल यू पी चुनाव में सीटों के तालमेल में मात खायी जदयू ने सम्राट अशोक के बहाने बीजेपी पर हमला बोला था और सम्राट अशोक की विवादास्पद जीवनी लिखने वाले पद्म श्री दयाशंकर सहाय की पद्म श्री वापस लेने की मांग कर रहे थे. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के आरोपो की बौछार झेल रहे बैक फुट पर आये बीजेपी नेताओं को नालंदा में जहरीली शराब की घटना ने एक सुनहरा मौका दे दिया . बस फिर क्या था बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इस मामले पर पूरी तरह से अपनी सरकार को घेरा और आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन स्वयं शराब माफिया से मिला हुआ है इसलिये भ्रष्ट प्रशासन तंत्र , पुलिस और शराब माफियाओ की तिकड़ी समाप्त किये वगैर शराबबंदी कानून सफल नही हो सकता .

बीजेपी अध्यक्ष के बयान से तिलमिलाये जद यू नेताओ को यह नागवार लगा और उन्होनें सीधे तौर पर माना कि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बीजेपी का सीधा हमला है. दर असल बिहार में शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने की मांग पर अड़े नीतीश जहां बीजेपी नेताओं की भी नही सुन रहे .वहीं उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग भी जद यू कोटे के मंत्री सुनील कुमार के पास है. ऐसे में बीजेपी के हमले से तिलमिलाये जद यू नेताओं ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर सीधा हमला बोल दिया.

पहले जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा और फिर उपेन्द्र कुशवाहा के पलटवार से बीजेपी ने भी अब आर -पार की लड़ाई लड़ने का मूड बना लिया है. यही वजह है कि सोमवार की सुबह ही जद यू नेताओं को एक तरह से अपनी सीमा में रहने की चेतावनी ही दे डाली . संजय जायसवाल ने जदयू नेताओं को साफ तौर से कहा है कि वह 2005 वाली स्थिति को ना आने दे . यानि बीजेपी मान रही है कि सिर से पानी इतना गुजर गया है कि अब गठबंधन ज्यादा दिनो तक चलने वाला नही है.

असल में यूपी चुनाव में जदयू और बीजेपी के बीच सीटों के तालमेल पर अभी तक नही हुए फैसले और जदयू द्वारा अकेले चुनाव लड़ने के एलान के बाद दोनो दलो के बीच तल्खी काफी तेज हो गयी है.वही 24 सीटो पर होने वाले विधान परिषद के चुनाव में भी सीटो में हिस्सेदारी को लेकर जदयू ने बीजेपी पर दबाब बनाना शुरू कर दिया है लेकि नांलदा जहरीली शराब से हुई मौत के मामले ने गठबंधन नेताओं के बीच भी जहर घोलने का काम किया है.

हालांकि प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर बीजेपी का कोई बड़ा नेता अभी बयानबाजी से परहेज कर रहा है तो नीतीश भी कोरोना के बहाने मौन हैं, देखना है जदयू का तीर बीजेपी पर सही निशाने बैठता है या फिर बीजेपी के पलटवार से खुद जदयू घायल हो जाती है. फिलहाल खरमास तो बीच चुका है लेकिन गठबंधन में खरमास अभी भी जारी है.

अशोक मिश्रा , कशिश न्यूज.


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