EWS आरक्षण का जस्टिस U.U ललित ने किया विरोध : दिनेश माहेश्वरी ने बताया संविधान सम्मत
PATNA- 10 परसेंट EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। आसान भाषा में कहा जाए तो यह कानून यथावत जारी रहेगा और गरीब सवर्णों को लाभ मिलता रहेगा। हालांकि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जस्टिस यूयू ललित सहित एक अन्य जज ने इस आरक्षण को संविधान विरोधी बताया। एक तरह से कहा जाए तो इन दोनों जस्टिस का कहना था कि यह कानून संविधान सम्मत नहीं है। हांलाकि अन्य तीन जज ने इसके समर्थन में अपना मत दिया इस कारण अब इसे रद्द नहीं किया जाएगा। आइए डिटेल में जानते हैं किसने क्या कहा।
फैसले में किस जज ने क्या कहा, पढ़िए...
1. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने जिरह के दौरान फैसला सुनाते हुए EWS आरक्षण को सही ठहराया और कहा कि यह संविधान सम्मत है। EWS आरक्षण मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करती है। संविधान के अनुसार 50% का जो बैरियर है वह अभी भी यथावत है। उस 50 परसेंट को घटा कर सवर्णों को आरक्षण नहीं दिया गया है।
2. जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने कहा कि नाहक रूप से इस मामले को तूल दिया जा रहा ह। देश की जनता को संसद के इस फैसले को सकरात्मक रुप से देखना। हमारे देश के संविधान ने सबको समानता का अधिकार दिया है।
3. जस्टिस जेबी पारदीवाला ने सख्त लहजा में कहा कि आरक्षण को देश में हमेशा के लिए जारी नहीं किया जा सकता। इसे कभी भी निजी स्वार्थ के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस त्रिवेदी को ही अपना समर्थन दिया।
4. जस्टिस रवींद्र भट्ट- आर्थिक आधार पर आरक्षण सभी वर्गों मिलना चाहिए। इसमें SC-ST को शामिल नहीं किया गया है। मैं EWS रिजर्वेशन देने के पक्ष में नहीं हूं।
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