जागरूक होने की जरूरत : स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, एसीएस अरुण कु. सिंह समेत आला अधिकारियों ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण को बचाने का लिया संकल्प
Ranchi : रिनपास में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता एसीएस अरुण कुमार सिंह समेत आला अधिकारियों ने सामूहिक रुप से वृक्षारोपण कर पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिया. इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस विषय "संपूर्ण ब्रह्मांड में केवल पृथ्वी हमारा घर है. यही हमारा आज है, यही हमारा कल है. विषय पर परिचर्चा हुई. रिनपास के ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर किया गया.
मौके पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि सभी वक्ताओं की बातों को हमने बहुत ही गौर से सुना है. विश्व के पर्यावरण के विषय में जब चिंतन करता हूँ तब देखता हूँ कि आज भूगर्भ जल बहुत नीचे चला गया है. ग्लेशियर गर्म हो रहा है और जब वक्त ज्यादा खराब हो जाएगा तब कई देश इसमें समा जाएंगे. आज हम सभी लोग अपने आपको मारने का काम कर रहे हैं. हम वैसी 21वीं सदी में नहीं चले जाए जहां मानव जीवन खतरे में पड़ने लगे. ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए दुनिया के लोगों को झारखंड से सीखने की जरूरत है. क्योंकि यह राज्य जल, जंगल और जमीन पर टिका हुआ है.
वहीं अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आज रिनपास के सभागार में हम सभी आए हैं. उन्होंने कहा कि पर्यावरण की दुर्दशा हमलोगों ने मिलकर की है. आज इस परिस्थिति में हम सभी नहीं संभले तो आने वाले समय में परिस्थिति और खराब होती चली जाएगी. उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. कुछ लोग अनजाने में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है तो कुछ लोग जानबूझकर. अब वक्त पर्यावरण के संरक्षण का है. बढ़ती जनसंख्या भी पर्यावरण के नुकसान का एक बड़ा कारण. अब लोग संभल जाए. पर्यावरण बचाने के लिए सामाजिक आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. सभी को इसके लिए संकल्प लेने की जरूरत है.
झारखंड इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन एहतेशाम हुसैन काजमी ने कहा कि विकास से जुड़ी परियोजनाओं को अमलीजामा पहनने का काम हमारी संस्था करती है. उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत 1972 से हुआ था. पिछले 50 सालों से हम सभी लोग पर्यावरण दिवस मना रहे हैं. लेकिन लोगों में जागरूकता नहीं दिख रही है. पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को लेकर लोगों को जितना विचार करना चाहिए उतना नहीं कर पा रहे हैं. यहां के क्लाइमेट को देखते हुए यहां रिनपास बनाया गया था. यहां का मौसम खुशनुमा था. ऐसा मानना था कि अच्छे क्लाइमेट से मानसिक रूप से बीमार लोगों को लाभ मिलता है,लेकिन अब शहर का पर्यवरण बदल रहा है. विकास की रफ्तार में हम सब गलती कर चुके है और आगे भी करेंगे. सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है नहीं तो परेशानियां और बढ़ेगी.