'गुस्सा' भरा बिहार बजट सत्र समाप्त : नीतीश- तेजस्वी ने दिखाए तेवर, अध्यक्ष और सभापति भी हुए नाराज

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पटना : 25 फरवरी से शुरू हुए बिहार विधान मंडल का बजट सत्र का समापन गुरूवार 31 मार्च को समाप्त हो गया . करीब 22 दिनो तक चले इस बजट सत्र के दौरान संवैधानिक पद पर आसीन लोगों के गुस्से का रौद्र रूप देखने के लिये यह सत्र लंबे दिनो तक याद किया जायेगा.

सत्र की शुरूआत 25 फरवरी को राज्यपाल के अभिभाषण से हुई जब महामहिम राज्यपाल फागू चौहान ने विस्तारित भवन सेन्ट्रल हांल में बिहार विधान मंडल के दोनो सदनों के सदस्यो को संबोधित किया. हालांकि राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान ही भाकपा माले के सदस्य सत्यदेव राम ने भी अपना समानांतर भाषण पढा.

राज्यपाल के अभिभाषण पर दो दिनो 28 फरवरी और 2 मार्च को हुए वाद विवाद के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार की ओर से विस्तार पूर्वक धन्यवाद दिया. दिनांक 03 मार्च को विधान मंडल के दोनों सदनो में राज्य के उप मुख्यमंत्री और वित्त विभाग के प्रभारी मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया.

लेकिन विधान सभा में पूरे सत्र के दौरान विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के विधान सभा क्षेत्र लखीसराय में पिछले 10 फरवरी को दो पुलिस अधिकारियो के द्वारा दुर्वयवहार का मामला सुर्खियो में रहा . हालांकि 9 मार्च को बिहार विधान सभा में विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के बीच मनरेगा को लेकर बहस छिड़ी जिससे गुस्साये 10 मार्च को विधान सभा में तेजस्वी ने ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के इस्तीफे तक विधान सभा में नही आने का एलान किया. हालांकि विधान सभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद यह मामला तो शात हो गया लेकिन

लखीसराय मामले को लेकर 14 मार्च को विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिंहा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनो आमने - सामने दिखे.बीजेपी सदस्य संजय सरावगी के सवाल पर भड़के नीतीश ने जहां विधान सभा अध्यक्ष को संविधान का पाठ पढाया तो विजय सिंहा ने भी सुशासन की याद दिलायी. मुख्यमंत्री के बयान से आहत विधान सभा अध्यक्ष दो दिनो तक सदन ही नही आये तो विपक्षी सदस्यो का हंगामा भी जारी रहा और सदन की कार्यवाही बाधित रही.हालांकि एन डी ए नेताओं की पहल के बाद यह मामला सुलझा.

वही विधान सभा में उच्च पदों पर आसीन माननीयो के गुस्से का असर विधान परिषद में भी देखने को मिला जब 29 मार्च को आर जेडी सदस्य सुनील सिंह के व्यवहार से दुखी विधान परिषद के सभापति अबधेश नारायण सिंह ने उन्हें एक दिन के लिये सदन से निंलंबित ही नही किया उनके आचरण की जांच कराने का भी एलान किया. लेकिन 30 मार्च को विपक्ष के द्वारा खेद व्यक्त किये जाने पर सुनील सिंह का निलंबन तो वापस हुआ लेकिन फिर उनके आचरण से भड़के सभापति ने फिर उन्हें निलंबित कर दिया हालांकि सुनील कुमार के माफी मांगने के बाद मामला तो शांत हुआ. लेकिन फिर बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 पर सुनील कुमार के वक्तव्य से नाराज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमकर क्लास ही नही लगायी शराब पीने वाले को हिन्दुस्तानी मानने से इंकार किया ही उन्हें महापापी भी करार दिया.

वही सत्र के अंतिम दो दिन में विधान सभा अध्यक्ष के नाराजगी का शिकार बने AIMIM के सद्स्यो को बुधवार और भाकपा माले के सदस्यो को गुरूवार 31 मार्च को मार्शल आउट कर सदन से बाहर किया गया. .हालांकि इसके चलते माले विधायक सुदामा प्रसाद की तबीयत भी बिगड़ी और उनको अस्पताल भेजा गया.

सत्र के दौरान जहां 11 विधेयको को मंजूरी मिली जिसमें शराबबंदी कानून में संशोधन विधेयक सबसे महत्वपूर्ण रहा.वहींंसत्र के दौरान कुल विधान सभा में 5460 प्रश्न पूछे गये जिसमें 4693 स्वीकृत हुए, सत्रमें कुल 873 निवेदन प्राप्त हुए जिनमें 867 स्वीकृत भी हुए. 258 गैर सरकारी संकल्प पर भी चर्चा हुई.

सत्र के समापन के अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ने सभी प्रश्नो के शत प्रतिशत जबाब आने के लिये विभागीय मंत्रियो और सदन के सफल संचालन में सहयोग के लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विरोधी दल के नेता के अलावे पक्ष और विपक्ष के सदस्यो को धन्यवाद भी दिया. लेकिन इस बजट सत्र के दौरान प्रमुख लोगों के गुस्से की गूंज आगे आने वाले काफी दिनो तक सुनायी देगी.

अशोक मिश्रा , कशिश न्यूज .


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