बिहार के गया में सड़क के लिए तरसे लोग : जब नेताओं ने दिया धोखा तो ग्रामीणों ने मीडिया का लिया सहारा

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GAYA KE CHIRAILA GAWN KE LOGO TUTI SADAK SE HAIN PARESHAN GAYA KE CHIRAILA GAWN KE LOGO TUTI SADAK SE HAIN PARESHAN

GAYA:-बिहार में एनडीए सरकार का दावा है कि राज्य के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में सड़कें बना दी गई है...सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो सड़क को लेकर किए जा रहे दावों में कही ना कही सच्चाई दिखती भी है..ऐसा इसलिए क्योंकि 2001 में ग्रामीण सड़कों की लंबाई करीब 800 किलोमीटर थी...जो अब बढ़कर करीब एक लाख 16 हजार किलोमीटर है...यानी करीब एक लाख 15 हजार 200 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ है...लेकिन इऩ आंकड़ों पर गया में चिरैला गांव के ग्रामीणों को यकीन नहीं है, क्यों? पढ़िए पूरी खबर...

सड़क के लिए तरस रहे वर्षो से ग्रामीण

बिहार के गया जिले में गया-नवादा हाईवे से 2 किलोमीटर दूर एक गांव है जिसका नाम है चिरैला..जहां बुद्धगेरे बाजार से थोड़ा आगे चरपुलिया से चिरैला गांव जाने के लिए सड़क का निर्माण नहीं हुआ है..लिहाजा हजारों की आबादी को हर एक दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सड़क की स्थिति मौजूदा वक्त में ऐसी है कि कोई कार चालक इस सड़क पर 20 की स्पीड से भी गाड़ी नहीं चला सकता है. दरअसल, ग्रामीणों के मुताबिक 2010 के आसपास चरपुलिया से चिरैला के लिए ग्रामीण सड़क का निर्माण हुआ था..लेकिन उस वक्त ही 2-3 साल बाद सड़क खराब हो गई थी..जिसकी आज तक मरम्मती तक नहीं हुई है.

परेशानी सिर्फ एक गांव की नहीं

गया-नवादा हाईवे के मायापुर से चिरैला जाने वाली सड़क खराब होने से सिर्फ चिरैला के लोग ही परेशान नहीं हैं.बल्कि आसपास के कई गांव जिसमें कईया पंचायत के कईया, बिसार, बेलहंटी, बेलहंटा के ग्रामीणों को भी परेशानी होती है...ऐसा इसलिए क्योंकि इसी सड़क से कई गांव जुड़े हुए हैं...कशिश न्यूज से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि परेशानी हुई तो कई बार कांग्रेस से विधायक रहे अवधेश सिंह से गुहार लगाई लेकिन उन्होंने ना तो विधायक रहते कुछ किया ना ही महागठबंधन की सरकार में मंत्री रहते ध्यान दिया..मौजूदा वक्त में ग्रामीण अब वजीरगंज से बीजेपी के विधायक वीरेंद्र सिंह से गुहार लगा रहे हैं...लेकिन हैरानी की बात यह है कि ना तो कभी अवधेश सिंह ने सड़क बनाने की पहल की ना ही मौजूदा विधायक वीरेंद्र सिंह ने..थक हार कर अब गांव के लोग मीडिया के जरिए सरकार तक बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं...

क्यों खराब हुई सड़क?

कहते हैं ग्रामीण सड़कें बहुत जल्दी खराब नहीं होती है लेकिन इस गांव की सड़क बनने के बाद से ही खराब हो गई थी...और अब सड़क सफर करने लायक नहीं बचा है...नाम ना बताने की शर्त पर गांव के लोगों ने बताया कि बंधुआ और बोधगया के पास फल्गू नदी में अवैध बालू खनन होता है..बालू माफिया छापेमारी के डर से मुख्य सड़क से ना जाकर ग्रामीण सड़कों के जरिए बालू की ढुलाई करते हैं...अवैध बालू ढुलाई में क्षमता से ज्यादा बालू ट्रैक्टर के जरिए चिरैला होकर ही ले जाया जाता है..ट्रैक्टर ओवरलोड होने की वजह से सड़क धंस जाती है और खराब हो जाती है...इन सब के बीच दूसरी बड़ी बात यह है कि इससे सरकार को भले ही राजस्व का नुकसान हो रहा हो लेकिन पुलिस की इस मामले में चांदी है...आरोप है कि पुलिस की मिलीभगत से ही बालू की अवैध ढुलाई होती है..

नेताओं पर क्यों नहीं है ग्रामीणों को विश्वास?

दरअसल, गांव के सीधे-साधे लोगों ने वर्षों तक पहले कांग्रेस के अवधेश सिंह पर यह विश्वास कर वोट किया कि चुनाव जीतने के बाद विधायक जी ध्यान देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ..अवधेश सिंह सड़क के नाम पर वर्षों तक वोट लेते रहे लेकिन पिछले चुनाव में वजीरगंज विधानसभा सीट से अवधेश सिंह के बेटे को चुनावी मैदान में उतारा लेकिन चुनाव हार गए. बीजेपी के वीरेंद्र सिंह विधायक बने..चुनाव के समय में वीरेंद्र सिंह ने भी सड़क बनाने का वादा किया था लेकिन वो भी चुनाव के बाद चिरैला गांव को भूल गए. कुछ मिलाकर यह कहा जा सकता है कि चाहे कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों पार्टी के नेताओं ने ग्रामीणों को धोखा दिया है. इसलिए अब गांव के लोगों को राजनीत करने वालों पर भरोसा नही रहा. यही वजह है कि ग्रामीण कशिश न्यूज के जरिए अपनी बात अब सरकार के पास पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.

बिहार सरकार कहती है गांवों का विकास होगा तो राज्य तरक्की की ओर तेजी से बढ़ेगा..फिर ऐसा क्यों होता है कि ग्रामीणों की समस्याएं सुन मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारी तक मुंह फेर लेते हैं. विचार करने की जरूरत है.



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