कोयलांचल में कोलाबोऊ पूजा की धूम : नवरात्रा के सप्तमी तिथि को होता है कोलाबोऊ पूजा
DHANBAD : झारखंड के कोयलांचल धनबाद में दुर्गा पूजा का त्योहार पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है। दुर्गा पूजा में मां दुर्गा के नौ रूप की पूजा-अराधना होती है। इसी क्रम में सप्तमी के दिन विशेष पूजा होती है, जिसे नवपत्रिका पूजा और या कोलाबोउ पूजा के नाम से जाना जाता है।
महासप्तमी के दिन महास्नान का विशेष महत्व है। इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा के आगे शीशा रखा जाता है। शीशे पर पड़े रहे मां दुर्गा के प्रतिबिंब को स्नान कराया जाता है, जिसे महास्नान कहते हैं।दुर्गा पूजा में महा सप्तमी के दिन नवपत्रिका या नबपत्रिका पूजा का विशेष महत्व है। नवपत्रिका का इस्तेमाल दुर्गा पूजा में होता है और इसे महासप्तमी के दिन पूजा पंडाल में रखा जाता है। बंगाल तथा आसपास के इलाकों में इसे 'कोलाबोऊ पूजा' के नाम से भी जाना जाता है। कोलाबाऊ को गणेश जी की पत्नी माना जाता है।
नवपत्रिका की पूजा में सभी नौ पत्तियों को एक साथ बांधकर उसे अलग-अलग पानी से नहलाया जाता है। सबसे पहले गंगाजल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद बारिश के पानी, सरस्वती नदी का जल, समुद्र का जल, कमल वाले तालाब का पानी और आखिर में झरने के पानी से नवपत्रिका को स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद नवपत्रिका को लाल कलर की साड़ी पहनाई जाती है।
मान्यता है कि किसी नई-नवेली दुल्हन की तरह नवपत्रिका को सजाना चाहिए। महास्नान के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को पंडाल में रखा जाता है। मां दुर्गा की प्राणप्रतिष्ठा के बाद षोडशोपचार पूजा की जाती है। नवपत्रिका को पूजा के स्थान पर ले जाकर चंदन और फूल अर्पित किए जाते हैं। फिर नवपत्रिका को गणेश जी के दाहिने ओर रखा जाता है। आखिर में मां दुर्गा की महा आरती के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।