कोरोना से मुक्ति के लिए हो रहा मुखौटा नृत्य : बोधगया में बौद्ध भिक्षुओं के नृत्य से भागेंगी बुरी आत्मा, होगी विश्व शांति

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गया: तथागत की तपोभूमि बिहार के बोधगया अवस्थित भूटान के बौद्ध मोनेस्ट्री में आज से पारंपरिक मुखौटा नृत्य प्रारंभ हुआ है। रंग-बिरंगे परिधान में भूटान के बौद्ध लामा पारंपरिक वाद्य यंत्रों के धुन पर नृत्य कर रहे हैं। यह कार्यक्रम 3 दिनों तक चलने वाला है।

बताया जाता है कि प्रत्येक साल इस तरह का धार्मिक आयोजन भूटान में किया जाता है। मान्यता है कि नृत्य करने वाले सभी लामा शांतिदूत होते हैं और इनके नृत्य के बाद आस-पास में रही बुरी आत्माएं भाग जाती हैं। जिससे लोगों को सुख-शांति और खुशी मिलती है।

इस संबंध में भूटान देश के बौद्ध भिक्षु दोरजी वांगडेल ने बताया कि कोरोना के कारण इन दिनों बोधगया में स्थित विभिन्न देशों के बौद्ध मठों में सन्नाटा पसरा हुआ है। धार्मिक आयोजन नहीं हो रहे हैं। भूटान बौद्ध मठ में भी यह आयोजन कोरोना के कारण इंडोर ही किया जा रहा है। बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब इस मुखौटा नृत्य को देखने के लिए आस-पास के लोगों की भीड़ लगती थी। लेकिन कोरोना के कारण पर सन्नाटा पसरा हुआ है।

भूटान देश का यह परंपरिक मुखौटा नृत्य है इसलिए परंपरा का निर्वहन करते हुए मुखौटा नृत्य का आयोजन किया गया है। इस नृत्य के माध्यम से हम यह प्रार्थना कर रहे हैं कि पूरे विश्व में शांति आए और कोरोना जैसी घातक महामारी का खात्मा हो।


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