CM नीतीश की समाधान यात्रा : कैमूर में जीविका दीदियों से किया संवाद, अनुभव किया साझा

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पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज समाधान यात्रा के क्रम में कैमूर जिले की जीविका दीदियों के साथ संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए। लिच्छवी भवन, भभुआ में आयोजित संवाद कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में जीविका दीदियों ने हिस्सा लिया। संवाद कार्यक्रम में जीविका समूह के माध्यम से उत्कृष्ट कार्य करने वाली 6 जीविका दीदियों ने अपने-अपने अनुभव साझा किये। सभी ने जीविका समूह से जुड़ने के बाद अपने परिवार के जीवन स्तर में हो रहे बदलाव को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा।

मुख्यमंत्री से संवाद के दौरान जीविका दीदी पुनीता कुंअर ने बताया कि मेरे पति काफी शराब पीते थे, जिससे उनकी मौत हो गई। पति की मौत के बाद ससुराल वाले परेशान करने लगे। मेरी एक छोटी बच्ची थी, मुझे घर खर्च चलाने में काफी परेशानी हो रही थी। तब मैं जीविका समूह से जुड़ी। सतत् जीविकोपार्जन योजना से लाभ लेकर एक दुकान खोली। उससे जब आमदनी होने लगी तो पैसे की बचत कर मैंने चप्पल की दुकान खोली । बकरी और बत्तख पालन भी करने लगी। उसके बाद सिलाई कढ़ाई का काम भी शुरू किया। जीविका ने मुझे जीने का सहारा दिया। अब प्रतिमाह 10 से 12 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। बच्चे को ठीक ढंग से भोजन और वस्त्र उपलब्ध हो रहा है। जीविका से जुड़कर सरकारी योजनाओं का मुझे लाभ भी मिला है। मैं मुख्यमंत्री के प्रति अपना आभार प्रकट करती हूं।

जीविका दीदी हिरोसिमा देवी ने बताया कि ससुराल में बहू के रूप में मैं घर के अंदर रहा करती थी। काफी आर्थिक तंगी थी। उस समय मुझे जीविका दीदियों ने जीविका समूह से जुड़ने की सलाह दी। समूह से जुड़कर मैंने कर्ज लिया और मालगुजारी पर खेत लेकर पति को खेती के काम में लगा दिया। जीविका की बैठकों में जाने पर मेरे ससुर पाबंदी लगाते थे लेकिन मैंने उनकी अनदेखी की। दीदियों के सहयोग से श्रृजन जीविका महिला उत्पादक कंपनी की मैं चेयरमैन बनी। हम सभी जीविका दीदियों पर अनाज की खरीद करने जाते वक्त लोग तरह-तरह के कॉमेंट करते थे। हमलोगों ने उनको नजरअंदाज किया और अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा। जीविका समूह से जुड़ी सभी दीदियों को अब अच्छी आमदनी हो रही है। हमलोग शेयर होल्डर भी बढ़ा रहे हैं और महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के लिये प्रेरित भी करते हैं। जीविका ने हम सभी महिलाओं की बंद किस्मत का ताला खोल दिया है। मुख्यमंत्री जी को मैं धन्यवाद देती हूं।

जीविका दीदी रीमा देवी ने बताया कि मेरे पति खेतिहर मजदूर थे। जैसे तैसे परिवार का गुजारा होता था। जब मैं जीविका समूह से जुड़ी तो मुझे दीदी की रसोई से जुड़ने का मौका मिला। अब मुझे अच्छी आमदनी हो रही है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। बच्चे पढ़-लिख रहे हैं। मैंने अपना कर्ज भी चुका दिया है। परिवार का भरण-पोषण अच्छे से हो रहा है।

जीविका दीदी अजमेरी देवी ने बताया कि मेरे पति की दोनों किडनी खराब हो गयी थी, वे अस्वस्थ रहा करते थे। पैसे के अभाव में मैं उनका इलाज कराने में असमर्थ थी । मेरे बच्चे भरपेट भोजन के लिये मुहताज हो गये थे, तब मैंने जीविका समूह से जुड़कर और सतत् जीविकोपार्जन योजना से लाभ लेकर कपड़े की दुकान खोली । आमदनी होने के बाद मैंने पति का इलाज कराया और वे स्वस्थ हो गये। वे साइकिल से घूम-घूमकर कपड़े बेचने का काम करते हैं। अब मैं बकरी पालन, मुर्गी पालन भी करती हूं। मेरे चार बच्चे ठीक ढंग से पढ़ाई कर रहे हैं। जीविका ने मेरे परिवार में खुशहाली लाई है।

जीविका दीदी रीता देवी ने बताया कि परिवार काफी तंगहाल स्थिति में था । वर्ष 2016 में स्वयं सहायता समूह से जुड़कर 30 हजार रुपये ऋण लेकर मैंने मुर्गी फार्म खोली, उससे 50 हजार रुपये का फायदा हुआ, जिससे मैंने ऋण चुका दिया। मैंने मुर्गी फार्म के काम को आगे बढ़ाया। जीविका से सहयोग मिलता गया और मेरी आमदनी बढ़ती गई। उसके बाद मैंने एक अंडा फार्म खोला। इससे काफी अच्छी आमदनी हो रही है। स्वयं सहायता समूह के सहयोग से हम सभी जीविका दीदियां आगे बढ़ रही हैं। मुख्यमंत्री जी के प्रति मैं अपना आभार प्रकट करती हूं।

बैंक सखी के रूप में कार्यरत जीविका दीदी रेखा देवी ने बताया कि मैंने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है। मेरे मन में नौकरी या रोजगार करने की इच्छा थी। वर्ष 2016 में स्वयं सहायता समूह से जुड़कर 10 हजार रुपये कर्ज लेकर मैंने गाय खरीदी। उससे आमदनी होने पर अपने घर की छत की ढलाई कराई, उसके बाद एक दुकान खोली। बैंक सखी के रूप में मैं 24 गांवों के लोगों का जमा-निकासी करवाती हूं। ढाई हजार खाते खोलवा चुकी हूं। लोगों का बीमा भी कराती हूं। मुझे प्रतिमाह 10 से 15 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। मेरे बच्चे स्कूल जा रहे हैं, ट्यूशन भी पढ़ रहे हैं। जीविका से जुड़कर गरीब-गुरबा परिवारों से जुड़ी हम महिलाओं की सामाजिक स्थिति में भी काफी सुधार आया है। लोग हमें जब बैंक सखी कहकर बुलाते हैं तो गर्व महसूस होता है। मैं मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करती हूं।

संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष समाधान यात्रा के दौरान विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं। इसी सिलसिले में जीविका दीदियों के साथ मिलने और उनकी बात सुनने का मौका मिला है। मुझे आपलोगों की बात सुनकर बहुत खुशी हुई। 6 जीविका दीदियों ने अपनी बातें रखी हैं। इसके लिये मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं। हमारा उद्देश्य है कि सभी जगह घूमकर देखें, जो योजनाएं चलाई जा रही हैं उसका लाभ लोगों को कितना मिल रहा है और क्या किए जाने की जरूरत है। आप से जो संवाद हो रहा है उससे अन्य कई बातों की जानकारी मुझे मिल रही है। आपलोगों ने जो कई अच्छे कार्य किए हैं उससे आपके परिवार और समाज में जो बदलाव हो रहा है उसकी भी जानकारी मिली है। 24 नवंबर 2005 को जब मुझे बिहार के लोगों ने काम करने का मौका दिया तो हमने स्वयं सहायता समूह की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया। उसके पहले जब हम सांसद और केंद्र में मंत्री थे तो कई जगहों पर जाकर हमने स्वयं सहायता समूह के कामों को देखा था।

बिहार में स्वयं सहायता समूह की संख्या काफी कम थी। हमने स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का नामकरण 'जीविका' किया तब से आप सभी जीविका दीदियां कहलाने लगीं। उस समय की केंद्र सरकार के मंत्री ने आकर स्वयं सहायता समूह के कामों को देखा और काफी तारीफ की और पूरे देश में इसका नामकरण 'आजीविका किया यानि बिहार की जीविका पूरे देश में आ जाए। इसे भूलियेगा मत। नई टेक्नोलॉजी के आने से लोग पुरानी बातों को जल्दी भूल जाते हैं। आपकी संख्या बहुत बढ़ी है यह देखकर मुझे खुशी होती है। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह से एक करोड़ 30 लाख से अधिक महिलायें जुड़ गई हैं। 10 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह का गठन हुआ है। पहले महिलाएं सिर्फ घर में काम करती थीं, अब पुरुष के साथ महिलाएं भी कमा रही हैं जिससे परिवार की अच्छी आमदनी हो रही है।

महिलाएं आगे बढ़ेंगी तो समाज भी आगे बढ़ेगा। हमलोगों ने गरीब परिवार को आगे बढ़ाने के लिए कई काम किए हैं। आप सभी जीविका दीदियां बेहतर काम कर रही हैं। पहले महिलाएं बोल नहीं पाती थीं और अब काफी अच्छे ढंग से आगे बढ़कर अपनी बातें रख रही हैं और परिवार को भी आगे बढ़ा रही हैं। आपका काम महत्वपूर्ण है। आपके काम से आपके परिवार का हित तो हो ही रहा है। साथ ही पूरा समाज आगे बढ़ रहा है। हम आपके हित में हमेशा काम करते रहे हैं। पुरुष और महिला मिलकर जब काम करेंगे तो समाज का और अधिक विकास होगा। हमलोगों ने महिलाओं के उत्थान के लिये काफी काम किया है। हमलोगों में सभी अस्पतालों में दीदी की रसोई का काम शुरू कराया है ताकि आपकी आमदनी और अधिक बढ़ सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने महिलाओं के उत्थान लिए काफी काम किया है। पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित की गई है। वर्ष 1993-94 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के लिये लोकसभा एवं राज्यसभा की एक संयुक्त कमिटी बनी थी, उस समय हम सासंद थे और इस कमिटी के सदस्य भी थे। केंद्र ने महिलाओं को कम से कम एक तिहाई आरक्षण देने का नियम बनाया। हमें जब मौका मिला तो हमने महिलाओं और पुरुषों को बराबर का अधिकार दिया क्योंकि महिलाओं की संख्या पुरुषों से कुछ ही कम थी। यहां काफी संख्या में महिलायें चुनाव जीतकर आ रही हैं। पहले सिर्फ अमीर परिवारों की गिनी-चुनी महिलायें ही चुनाव लड़ती थीं।

हमलोगों ने वर्ष 2013 में बिहार पुलिस की बहाली में महिलाओं को 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया। अब पुलिस बल में बड़ी संख्या में महिलाओं की भर्ती हो रही है। बिहार में जितनी महिलाएं पुलिस में हैं उतनी दूसरे राज्यों में भी नहीं हैं। इसके अलावा हमलोगों ने वर्ष 2016 से बिहार की सभी सरकारी सेवाओं में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया। हर तरह से महिलाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है। जब हम इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते थे उस सयम हमारे कॉलेज में एक भी लड़की नहीं पढ़ती थी। हमलोगों ने इंजीनियरिंग और मेडिकल के नामांकन में महिलाओं के लिये एक तिहाई सीट आरक्षित किया अब काफी संख्या में छात्रायें मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं। बच्चियों को पढ़ाने के लिए पोशाक योजना, साइकिल योजना शुरू की गई। वर्ष 2016 से लड़कों को भी साइकिल योजना का लाभ दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2015 के जुलाई महीने में जीविका समूह की एक बैठक में महिलाओं की मांग को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2016 में शराबबंदी लागू की गई। आप सभी गड़बड़ करने वाले लोगों को समझायें। शराब बुरी चीज है इसका सेवन न करें। समाज में लड़कियों और महिलाओं का काफी महत्व है। आप सभी दहेज प्रथा के खिलाफ निरंतर अभियान चलाते रहिये। दहेज का लेन-देन करने वालों की शादी में शामिल न हों। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष की उम्र में लड़की की, जबकि 21 वर्ष की उम्र में लड़के की शादी होनी चाहिये। इसके लिये कानून भी बना हुआ है। आप सभी अपने काम के साथ-साथ बाल विवाह के विरुद्ध अभियान भी चलाते रहिये। दहेज प्रथा खत्म होनी चाहिये। लड़के वाले को दहेज लेने का कोई औचित्य नहीं है, इसके लिये कानून बना हुआ है। समाज में लड़कियों और महिलाओं का काफी महत्व है। आप सभी दहेज प्रथा के खिलाफ निरंतर अभियान चलाते रहिये। दहेज का लेन-देन करने वालों की शादी में शामिल न हों

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब पीना बुरी बात है। इसके संबंध में हमने बुकलेट भी छपवाई है और घर-घर इसे पहुंचाया गया है। आप खुद भी पढ़ें और दूसरे लोगों को भी पढ़ायें। एक सर्वे में यह बात सामने आई थी कि पति-पत्नी में यदि पत्नी मैट्रिक पास है तो देश में औसत प्रजनन दर 2 है और बिहार का भी 2 है। यदि पत्नी इंटर पास है तो देश का औसत प्रजनन दर 1.7 और बिहार का 1.6 है। हमलोगों ने जब काम शुरू किया उस समय बिहार का औसत प्रजनन दर 4.3 था जो अब घटकर 2.9 पर पहुंच गया है। इसे घटाकर 2 पर ले जाने का लक्ष्य है। इस तरह से अगले 15-20 वर्षों के बाद आबादी नियंत्रित हो जायेगी।

आबादी को नियंत्रित करने के लिये चीन ने भी कानून बनाया था लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ। लड़कियों के शिक्षित होने से राज्य का प्रजनन दर घटा है। इसके लिये कानून बनाने का कोई मतलब नहीं है। पति-पत्नी शिक्षित होंगे तो जनसंख्या अपने आप नियंत्रित रहेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शराब पीने से होने वाली बीमारी के बारे में वर्ष 2018 में सर्वे की रिपोर्ट प्रकाशित की। इसमें बताया गया है कि पूरे एक वर्ष में 30 लाख लोगों की मृत्यु हुई जिसमें 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से हुई। 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत लोगों की मृत्यु शराब पीने के कारण होती है। जितने आत्महत्या के मामले आते हैं उसमें 18 प्रतिशत आत्महत्या शराब पीने के कारण होती हैं।

शराब पीकर गाड़ी चलाने से 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटना होती हैं। शराब पीने से 200 प्रकार की गंभीर बीमारी भी होती हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाई थी और उस दौरान बापू ने कहा था कि शराब न सिर्फ आदमियों का पैसा छीन लेती है बल्कि बुद्धि भी हर लेती है। शराब पीने वाला व्यक्ति हैवान हो जाता है। सभी जीविका दीदियां लोगों को समझाएं और जहां भी जाएं सभी लोगों को बुकलेट दें। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में सर्वे कराया तो पता चला कि एक करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। फिर सर्वे कराने के लिए कहा है जिसमें और बातें सामने आएंगी। गड़बड़ करने वाले लोगों को समझाएं।

हमलोग आपलोगों को बढ़ाना चाहते हैं आपलोग अच्छे ढंग से काम कीजिए। आपलोगों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। जीविका समूह में सभी जाति, सभी धर्म के लोग मिलकर काम कर रहे हैं और सभी आगे बढ़ रहे हैं। आपका काम और बढ़े, आपकी आमदनी बढ़े इसके लिए हम काम करते रहेंगे। समाज में किसी जाति, किसी धर्म के हों सभी आपस में मिल-जुलकर रहें। कुछ लोग झगड़ा लागने का काम करते हैं। एक-दूसरे के प्रति अच्छी भावना रखें। इससे समाज, परिवार और देश आगे बढ़ेगा। शराबबंदी के प्रति लोगों को निरंतर प्रेरित करें। अपने कामों के साथ बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरुद्ध अभियान चलाते रहें। हम चाहते हैं कि आपकी तरक्की हो, आमदनी बढ़े, जीविका दीदियों की संख्या बढ़े। हमारी यात्रा का यही मकसद है।

संवाद कार्यक्रम में जीविका दीदियों ने मुख्यमंत्री को प्रतीक चिह्न और पौधा भेंटकर उनका स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने विभिन्न समूहों से जुड़ी जीविका दीदियों को 79 लाख 36 हजार रुपये का सांकेतिक चेक प्रदान किया। कैमूर जिले के 8,430 समूहों को 75 करोड़ रुपये का चेक प्रदान किया गया। इस अवसर पर वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो० जमा खान समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।


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